यूपीएससी आईएएस (मेन) हिन्दी अनिवार्य परीक्षा पेपर UPSC IAS (Mains) Hindi Compulsory Exam Paper - 2014
यूपीएससी आईएएस (मेन) हिन्दी अनिवार्य परीक्षा पेपर UPSC IAS (Mains) Hindi Compulsory Exam Paper - 2014
1. निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर निबन्ध लिखिएः
(क) राजनीति में स्त्रिियों की भूमिका
(ख) क्या भारत को चीनी अर्थव्यवस्था की वृद्धि से डरना चाहिए?
(ग) भारतीय समाज में तलाक की स्वीकृति में वृद्धि
(घ) क्या कठोर कानून नैतिकता के पालन के लिए बाध्यकारी हो सकते हैं?
2. निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और उसकके आधार पर, उसके नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर स्पष्ट और शुद्ध भाषा में दीजिए। 12×5 = 60
वैश्विक पैमाने पर लोगों की एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने की प्रक्रिया शताब्दियों पहले शुरू हुई थी जबमनुष्य जाति ने समूहों में एक क्षेत्रा से दूसरे क्षेत्रा में विभिन्न कारणों से जाना शुरू किया है। ये कारण थे-चारागाहों अथवा कृषियोग्य भूमि की तलाश, निष्ठुर शासन अथवा यंत्राणा से पलायन, विचार अथवा अभिव्यक्ति की स्वतंत्राता की चाहत अथवा मात्रा घूमने की लालसा। आप्रवास अपने सामान की तरह अपने सांस्कृतिक अधिपत्य को संजोते हैं और मार्ग में अथवा नयी व्यवस्था में उसे प्रोन्नत करने का प्रयत्न करते हैं। मार्ग में मिलने वाली दूसरी जनजातियों से वे या तो युद्ध या व्यापार या विवाह या समान उपक्रमों के माध्यम से साहचर्य स्थापित करते हैं। शुरूआत में वाग्युद्ध का तनावपूर्ण समय रहता है, कुछ समय बाद वातावरण शान्त हो जाता है और शान्ति अपने पूरे कौशल एवं रचनात्तमक के साथ फलने-फूलने लगती है। लेन-देन सम्बन्धों का आधार बन जाता है। किसी भी संस्कृति के अधिपत्य के बिना एक स्वतंत्रा वातावरण में प्रत्येक समूह एक बहुमुखि समाज के रूप में पनपता है। अतः स्मभव है कि मंगोलिया के लोग अलास्का चले गए हों, एंग्लो-सेक्सन ब्रिटेन में बस गए हों, शायद हज़रत मूसा ने चुने हुए लोगों का पवित्रा या पूर्व-निर्धारित भूमि की तलास में नेतृत्व किया हो। शायद कोलम्बस ने यूरोपीय देशों को वैश्विक दुस्साहस की ओर अभिमुख करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई हो। तभी से उपनिवेशवाद दूसरे देशों एवं संस्कृतियों को जीतने का एक साधन बन गया और इन विजित देशों को विजेताओं के प्रभुत्व में लाने लगा। आज व्यापार और धंधा बड़े पैमाने पर लोगों के एक देश से दूसरे देश को स्थानान्तरण के शक्तिशली कारण है। प्रत्येक समूह पूर्वजों का अन्तर्बोध, पुराने घर की मीटी-स्मृति, एक बीतहे हुए समय को संजोए रखता है। एक या दो पीढ़ी गुज़र जाने के बाद सम्मिलन पुराने सम्बन्धों-सम्पर्को के बहुत थोड़े निशान रहने देता है। शायद अगली शताब्दी में कोई यह भविष्यवाणी करने का खतरा उठाए कि दुनिया की आबादी अपनी पुरानी क्षेत्रिए पहचान को जीवित रखने में बहुत कठिनाई अनुभव करेगी। जिस समय हम जहां रहते हैं, वही हमारा क्षेत्रा हो जाता है। हम नए स्थान के रंग-गंध के आदी हो जाते है। स्थानिकता वैश्विकता में घुल-मिल जाती है। आने वाले समय में बहुत-से थोड़े लोग ही रह जाएँगे जो अपनी पुरानी अस्मित ाके बचाए रख सकने में सफल होंगे। नयी व्यवस्था समूचे तंत्रा को सर्वत्रा नीवकृत कर देगी। पहले से ही पुरानी मान्यताओं से मुक्त पीढ़ियाँ भविष्योन्मुख है एवं खोई हुई अस्मिताओं को संजोए रखने की भावुकता से पूर्णतया मुक्त है। कोई भी संस्कृति या पुरूष या स्त्राी पृथकतावाद में नहीं रह सकता । केन्द्र की ओर से आने की प्रवृति वाली और केन्द्र से हटने की प्रवृति वाली शक्तियाँ थोड़े समय के लिए ही रह सकती हैं, असंख्य पिढ़ियों ने भले ही यह प्रार्थना की हो कि प्रत्येक नागरिक की वैयक्किता बनी रहे, अपनी आस्था में वह सुरक्षित रहें और बाहरी प्रभावों से अपने को पूर्णतया मुक्त रखे लेकिन तब भी हम भली-भांति जानते हैं कि हम अत्यधिक संवेदनशील, क्षतिग्रस्त के भय से आक्रान्त, छिद्रपूर्ण, अयाचित प्रतिक्रियाओं और उतरों के प्रति संग्रहणशील और अनाश्रित हैं और कभी तुरन्त आश्रित भी। ‘जीन्स’, ‘डी. एन. ए.’ और ‘आर. एन. ए.’ पहले से ही सुगठित हैं, प्रत्येक ज्ञान-तन्तु यह जानती है कि पहले क्या हो चुका है। शरीर और मस्तिष्क दूसरों के विचारों, कथनों और कार्याें के प्रति ग्रहणशील हैं। अनभिज्ञता भय पैदा करती है, भय घृणा उत्पन्न करता है, घृणा आत्वविश्वास को नष्ट करती है और यह सब हमें हृास और मृत्यु की ओर ले जाता है। अतीत में बहुत-सी प्राचीन संस्कृतियों इसी प्रकार के अन्त की ओर उन्मुख हुई होंगी। जीवित रहने के लिए एक को दूसरे के प्रति ग्रहणशील होना ही होगा, भले ही दूसरा कितना भी दोषपूर्ण क्यों न हो।
(a) आप्रवासीजन अपनी नयी व्यवस्था में पहली बार क्षेत्राीय लोगों से किस तरह सम्पर्क करते हैं?
(b) प्रारम्भिक काल में लोगों के एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने के क्या कारण थे? प्रारम्भिक काल के कारणों में और आज के लोगों द्वारा किए जाने वाले स्थानान्तरण के कारणों में क्या भिन्ता है?
(c) संस्कृतियां कैस आपस में सम्मिलन करती हैं?
(d) बहुत-सी प्राचीन संस्कृतियाँ कैसे नष्ट हुई?
(e) लेखक क्यों यह कहता है कि यह सम्भव नहीं है कि कोई संस्कृति पृथकतावाद में जीवित रह सके?
2. निम्नलिखित गद्यांश का संक्षेप एक-तिहाई में लिखिए। शीर्षक देने की आवश्यकता नहीं हैः 60
जब हम किसी नौकरी के लिए आवेदन करते है एवं अपना जीवन-वृत प्रस्तुत करते है तो सामान्यतः हम यह प्रयत्न करते है कि हमारा अनुभव, पृष्ठभूमि एवं विशेषताएँ सामने आ जाएं। बहुत-से लोग अपने जीवन में आने वाली कठिनाइयों को छिपा लेते है एवं अपनी महान उपलब्ध्यिां की ओर ध्यान आकर्षित कराते हैं। जब कार्यदाता ऐसे जीवन-वृतों को पढ़त है तो बहुधा यह अनुभव करते हैं कि प्रत्येक हैं कि प्रत्येक आवेदनकर्ता यह लिख रहा है कि वह उन महानतम व्यक्तियों में से एक है जो इस दुनिया से आए।
इस संदर्भ में, खेल की दुनिया से सम्बन्धित एक सच्ची कहाी की चर्चा की जा सकती है। किसी विश्वविद्यालय की फुटबॉल टीम दौड़ने का अभ्यास कर रही थी। इस टीम का एक खिलाड़ी ‘लाइनमैन’ की स्थिति पर था। यह खिलाड़ी बहुत ही महत्वपूर्ण स्थिति पर था और टीम का सबसे तेज ‘लाइनमैन’ माना जाता था। एक दिन यह खिलाड़ी अपने प्रशिक्षक के पास गया और उससे सबसे तेज ‘रनिंग बैक्स’ के साथ पूरे वेग से दौड़ने की अनुमति मांगी। प्रशिक्षक ने उसे अनुमति दे दी।‘लाइनमैन’ रोज दौड़ने लगा लेकिन प्रत्येक दिन वह बबसे पीछे रहता था। दिन-प्रतिदिन उसने सबसे तेज ‘बैक्स’ के साथ दौड़ना जारी रखा, लेकिन प्रत्येक दिन वह सबसे पीछे ही रहा। यह स्वभाविक ही था क्योंकि सामान्यतः ‘लाइनमैन’ ‘रनिंग बैक्स’ के समान तेज धावक नही माने जाते।प्रशिक्षक ने इस घटना को आश्चर्य मानते हुए स्वयं से पूछा - ‘‘यह खिलाड़ी क्यों सर्वश्रेष्ठ धावकों के साथ दौड़ने की स्पर्धा कर रहा है और लगातार सबसे पीछे ही आ रहा है जबकि यह दूसरे ‘लाइनमैनों’ के साथ दौड़ते हुए सबसे तेज धावक रह सकता है?’’
प्रशिक्षक ने इस युवा खिलाड़ी को परखा और अन्ततोगत्वा यह देखकर कि यह ‘लाइनमैन’ रोज़ सबसे पीछे ही आ रहा है, उससे पूछा-‘‘तुम दसूरे ‘लाइनमैनों’ के साथ दौड़कर विजे़ता होने को क्यों प्राथमिकता नहीं देते? इससे क्या लाभ कि तमुम ‘रनिंग बैक्स’ के साथ दौड़कर पराजित होते रहो?’’
प्रशिक्षक ने फुटबॉल के इस खिलाड़ी का उत्तर सुनकर आश्चर्यचकित रह गया। इस युवा ने कहा- ‘‘मैं यहाँ ‘लाइनमैन’ को पराजित करने के लिए नही हूँ। मैं पहले से ही यह जानता हूँ कि मैं यह सोच सकता हूँ। मैं यहाँ यह सीखने के लिए आया हूँ कि तीव्र से तीव्रकर कैसे दौड़ा जा सकता है। महोदय, आपने यदि ध्यान दिया हो तो आप पाएँगे कि मैं दिन-प्रतिदिन ‘रनिंग बैक्स’ से अपनी दूरी कम करता रहा हूँ।’’
यह घटनाक्रम हमारी आध्यात्मिक प्रगति के रहस्य को समेटे हुए है। सांसारिक कार्याें में हम सर्वश्रेष्ठ होने या दिखने की चाहत रखते हैं लेकिन जब आध्यात्मिकता का प्रश्न आता है तो हम ईश्वर से अपनी वास्तविकता नहीं छिपा सकते। हमारी प्रगति ईश्वर के लिए खुली किताब है। आध्यात्मिक प्रगति हमारे सच्चे प्रयत्नों पर निर्भर है। हम ईश्वर से अपनी आध्यात्मिक उपलब्ध्यिों एवं असफलताओं को नहीं छिपा सकते।
फुटबॉल खिलाड़ी ने यह जान लिया था कि वह पुरानी उपलब्ध्यिों की दुनिया में रहते हुए आगे नहीं बढ़ सकता। वह जानता था कि वह स्वयं को चुनौति देकर ही प्रगति कर सकता है। एक धावक के रूप में अपनी कमज़ोरियों को पहचान कर ही वह आगे बढ़ने का प्रयत्न कर सकता है। स्वयं को अपने से बेहतर व्यक्तियों के सम्मुख रखकर ही वह उस क्षेत्रा में सर्वोतम बन सकता है, बेहतर व्यक्तियों के सामनउसकी कमज़ोरियाँ प्रगट हो जाएँगी और वह उन्हें दूर कर सकेगा। वह स्वयं को सुधारना चाहता था, वह प्रशंसा का भूखा नहीं था।
फुटबॉल खिलाड़ी यह देख सकता था कि दूसरे ‘रनर्स’ क्या कर रहे है और उनके प्रकाश में अपनी योग्यता को वह विकसित कर सकता थां नित्य के अभ्यास से वह यह जान गया था कि अगली बार उसे और बेहतर करना है। यह करने से वह अपने ध्येय तक पहुंचने में निकट होता गया। जब हम अपनी असफलताओं को देखते हैं तो हम जानते है कि हर रोज हमें और बेहतर करना है। ऐसे प्रयत्नेां से पहले की तुलना में हमारी असफलताएं कम से कमतर होती जाएंगी। समयहोने पर हम अन्ततोगत्व एक ऐसी स्थिति पर पहुंच जाएंगे अब असफलताओं का प्रतिशत शून्य रह जाएगा।
हम अपनी असफलताओं को ईश्वर से नहीं छिपा सकते क्योंकि वह सब कुछ देख रहा है। ईश्वर यह सोचता हैकि हम अपने सदप्रयत्नों से अपनी असफलताओं को दर कर सके। जब ईश्वर यह देखता है कि कठिनाइयों के रहते हुए भी हम सदप्रयत्नों को करने में दत्तचित हैं तो हमारी सच्चाई उसके सामने होती है। तब ईश्वर से हमें अनुग्रह एवं सहानुभूति मिलती है। इस प्रकार, संघर्ष करते हुए हमें सहायता मिलती है। ईश्वर, हमें अनी असफलताओं से उपर उठने में शक्ति प्रदान करता है ताकि हम उन असफलताओं को दूर कर सके एवं प्रगति-पथ पर अग्रसर हो सके।
4. निम्न गद्यांश का हिन्दी में अनुवाद कीजिएः
Most people involved in the film production industry know that there is a constant evolution. The change is in the way movies are made, discovered, marketed, distributed, shown, and seen. Following independence in 1947, the 1950s and 60s are regarded as the ‘Golden Age’ of Indian cinema in terms of films, stars, music and lyrics. The genre was loosely denied, the most popular being ‘socials’, films which addressed the social problems of citizens in the newly developing state. In the mid-1960s, camera technology revolutionized the documentary method by enabling the synchronized recording of image and sound. Today, CINEMA 4D users are free to create scenes without worrying about the size of objects or how many objects are in the scene, shaded setting, texture size, multi pass-rendering or eye-catching particle systems.
Until the 1960s, filmmaking companies, many of whom owned studios, dominated the film industry. Artists and technicians were either their employees or were contracted on a long-term basis. Since the 1960s, however, most performance went the freelance way, resulting in the star system and huge escalations in film production costs. Financing deals in the industry also started becoming murkier and murkier, since then. According to estimates, the Indian film industry has an annual turnover of Rs. 60 billion. It employs more than 6 million people, most of whom are contract workers as opposed to regular employees. In the late 1960s, it was recognized as an industry.
More money impacted the perception, visual representation, and definitions of reality. Like any other media of mass communication, the themes are relevant to their times.
Thus, filmmaking became more expensive and riskier. As opposed to the time of the Gemini Studies, when only 5 percent of a movie was shot outdoor, filmmakers often select oversea locations in order to create greater realism, manage costs more efficiently or source people. Filmmakers spend considerable time scouting for the perfect location.
5. निम्नलिखत गद्यांश का अंग्रेजी में अनुवाद कीजिएः
हास्य मनुष्य की एक ऐसी योग्यता गुण है जो स्थितियों को देखकर मनोविनोद की भावना उत्पन्न कर देता है। यह हास्यवृत्ति का एक घेरा है। अथवा सम्प्रेषणीयता है जो एकी भावनाओं को उत्पन्न करती है अथवा मनुष्यों को हसाती है अथवा प्रसन्नता का अनुभव कराती है।
आलोचना किसी क्रियाकलाप का फैसला है अथवा सुनिन्तित व्यवस्था है। रचनात्मक आलोचना सम्प्रेषणयिता का एक ऐसा प्रकार है जिसमें दूसरे के व्यवहार को ठीक करने का प्रयत्न करता है बिना किसी अधिकार भावना के। सामान्यतः यह एक कूटनीतिक प्रयत्न है उस मनुष्य के लिए जिसके कार्य सामाजिक रूप से ठी नहीं है। यह रचनात्मक है। यह अधिकार या अपमान का विरोध करती हुई शान्तिपूर्ण की ओर बढ़ती है।
व्यंग्य एक ऐसा औज़ार है जो आलोचक द्वारा प्रयुक्त किया जाता है। यह सामान्यतः मनोरंजक या वाक्शक्ति से परिपूर्ण होता है, हालांकि व्यंग्य का प्राथमिक उद्देश्य हास्य नहीं है। यह किसी घटना की, व्यक्ति-विशेष की, किसी समूह की बुद्धिमत्तापूर्ण ढंग से की आलोचना है।
व्यंग्य एक मूल्यवान साहित्यिक विद्या है। यह किसी निश्चित निशाने को रखती है। यह निशाना आदमी, आदमियों का समूह, विचार, प्रवृति संस्था या सामाजिक-सभ्यास हो सकता है। किसी भी दशा में निशाने की हँसी उड़ाई जाती है।
व्यंग्य क्रोध एवं हास्य का सम्मिश्रण है। यह परेशानी पैदा कर सकता है और यह विडम्बनायुक्त होता है। इसमें विडम्बना आक्षेप के रूप में होती है। अतः बहुधा आ सके। साहित्य या नाटक इसके मुख्य साधन है लेकिन यह फिल्मों, कलारूपों या राजनैतिक कार्टूनों में भी पाया जाता है। व्यंग्यकर्त्ता एक ऐसा कलाकार है जो प्रत्येक स्थान पर कुछ-न-कुछ गड़बड़ी देखता है लेकिन उसका प्रस्तुतीकरण क्रोध के स्थान पर हास्य पैदा करता है।
6. (a) निम्नलिखित मुहावरों का अर्थ स्पष्ट करते हुए उनका वाक्यों में प्रयोग कीजिएः 2 × 5 = 10
(a) अंगारों पर लोटना
(b) अक्ल पर पत्थर पड़ना
(c) गूलर का फूल होना
(d) दाई से पेट छिपाना
(e) मक्खियाँ मारना
(b) निम्नलिखित वाक्यों के शुद्ध रूप लिखिएः 2 × 5 = 10
(a) हम कहे थे।
(b) युवा पीढ़ी शुद्ध हिन्दी लिखने का प्रयास कर रहा है।
(c) मैं लिख लिया हूँ।
(d) लड़की प्रणाम करता है।
(e) पुलिस ने राम को आरोप लगाया।
(c) निम्नलिखित शब्दों के दो-दो पर्यायवाची शब्द लिखिएः 2 × 5 = 10
(a) इन्द्र
(b) अवस्था
(c) कंचन
(d) गणेश
(e) जलद
(d) निम्नलिखित युग्मों को इस वाक्य में प्रयुक्त कीजिए कि उनका अर्थ स्पष्ट होते हुए उनके बीच का अन्तर भी शब्दार्थ में लिखित रूप में वर्णित हो: 2 × 5 = 10
(a) आभास-आवास
(a) अभिज्ञ-अनभिज्ञ
(a) कृपण-कृपाण
(a) तप्त-तृप्त
(a) नीरद-नीरज