यूपीएससी आईएएस (मेन) हिन्दी अनिवार्य परीक्षा पेपर UPSC IAS (Mains) Hindi Compulsory Exam Paper - 2013



यूपीएससी आईएएस (मेन) हिन्दी अनिवार्य परीक्षा पेपर UPSC IAS (Mains) Hindi Compulsory Exam Paper - 2013



1. निम्नलिखित प्रत्येक पर 300 शब्दों में संक्षिप्त

निबंध लिखिएः- 1×50 = 100

(क) हम अपने कर्मों में जीते हैं ना कि सालों में। 50
(ख) कोई समाज बिना समयवद्ध न्याय के नहीं चल सकता। 50

2. निम्नलिखित गद्दांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और उसके आधार पर, उसके नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर स्पष्ट, सही और संक्षिप्त भाषा में दीजिएः- 6×10 = 60

पत्राकारों के बीच विचारों की असहमति प्रशासकों की सुविधा का एक स्रोत है, जिसका अभिप्राय प्रेस की उस शक्ति का क्षरण होना है जो अनेकानेक विचारों द्वारा प्रेस द्वारा अभिव्यक्त किए जाते हैं। वह कोई जोरदार आवाज नहीं है, ना ही सुननेवालों के समूह का कोई आकार है जो कि स्वीकार्य है और जो समाचार-पत्रा के प्रभाव का सही मापदण्ड है। प्रेस की शक्ति तो पकड़ में न आने वाली चीज है, जो न तो उनसे सम्बद्ध होती है जो समाचार-पत्रा की बिक्री से खूब पैसे कमाते हैं और ना ही उनसे जो सर्वाधिक प्रसार-संख्या में सफल हो जाते हैं।

जो पत्रा आम जनता की कमजोरियों और उसकी संवेदना, पीड़ा के बारे में विचार करते हैं, फिल्मों की आकर्षक-शक्ति की सबलता उन अधिकांश चरित्रों से जुड़ी होती है जिन्हें वे प्रदर्शित करती हैं। फिल्मों की व्यावसायिक सफलता उनकी गुणवत्ता से नितान्त भिन्न चीज है जो कलाकार की पूर्णता/समर्पण से आती है। कला के सर्वोत्तम रूप के मूल्यांकन का साधन भीड़ से सम्बद्ध नहीं होता है। वह तो एक अर्जन है जिसके ‘चुनाव’ का स्वामित्व सीमित है, जो संख्या बल में सीमित है। वहाँ कुछ चुने-चुने हुए सूक्ष्म प्रतिभाशाली, बोध-शक्ति सम्पन्न और अनेक अज्ञानी/अपढ़ के बीच एक संघर्ष है। बाद वालों में शिक्षाप्रद सुधार का लक्ष्य समाचार-पत्रा की तरह फिल्मों का है। दोनों-समाचार-पत्रों और फिल्मों-के अन्तर्गत एक ही तरीके से प्रयास करना है। प्रलोभनेां से उपर उठना समान है।

(i) लेखक किन दो चीजों की तुलना कर रहा है? 10
(ii) जो समाचार-पत्रा जनता के बारे में सोचते हैं, जनता उनके हेतु कैसी प्रतिक्रिया करती है? 10
(iii) लेखक किस ‘साधन’ का संदर्भ दे रहा है? 10
(iv) लेखकानुसार, समाचार-पत्रों का लक्ष्य क्या होना चाहिए? 10
(v) लेखक किन लोगों को स्वीकृति नहीं प्रदान करता है? 10
(vi) वो कौन से प्रभाव है जो किसी अच्छे समाचार-पत्रा की गलत तस्वीर पेश करते हैं ? 10

3. निम्नलिखित गद्दांश का संक्षेपण एक तिहाई शब्दों में लिखिए। शीर्षक देना अनिवार्य नहीं है। (शब्द-सीमा के अंतर्गत संक्षेपण न करने पर अंक काटे जा सकते हैं) :- 60

समकालीन विश्व में, ‘राष्ट्र’ और ‘राष्ट्र-राज्य’ की अवधारणा के बीच में व्यापक मतभेद है। ‘राष्ट्र-राज्य’ को परिभाषित करना अपेक्षाकृत आसान है, वे विश्व राजनीतिक संगठन की आधारभूत इकाइयाँ हैं। वे प्रायः प्रभुसत्ता-सम्पन्न राज्य के समरूप हैं। वे वह इकाइयाँ हैं जिनके पास संयुक्त राष्ट्र में सीट है, अंग्रेजी में, आमतौर पर उन्हें ‘देश’ नाम दिया गया है। यह सुविधा-जनक होगा यदि हम उनको ‘राज्य’ के नाम से सरल बना दें, लेकिन दुर्भाग्यवश यह नाम कुछ राष्ट्र-राज्यों द्वारा इस्तेमाल किया जाता है जो वर्णित इकाइयों के राष्ट्र-राज्यों से छोटी हैं ।

राष्ट्र-राज्य और प्रभुसत्ता राज्य को बराबर करना लुभाने वाले हैं, लेकिन यह आधुनिक जगत की अस्थिर प्रकृति की प्रभुसत्ता हेतु भ्रामक होगा। असल में, सभी राष्ट्र-राज्यों ने अपनी प्रभुसत्ता का कुछ हिस्सा अन्तर्राष्ट्रीय संगठनों को समर्पित कर रखा है, यहाँ यू एन ;न्छद्ध का अच्छा उदाहरण है- राष्ट्र-राज्यों से अधिकार तो वो लेता है, लेकिन देता नहीं है। राज्यों के बीच व्यवहार में यहाँ शक्ति के जटिल समझौते और सम्बन्ध होते हैं। एक छोर पर, यह कुछ बड़े राज्यों को व्यापक शक्ति देता है। दूसरे छोर पर, कई छोटे राज्य, स्पष्ट रूप से शक्तिशाली पड़ोशियों या अन्तर्राष्ट्रीय संगठनों के संरक्षण के नीचे हैं और असलियत में उन्हें कई क्षेत्रों में स्वतन्त्रातापूर्वक कार्य करने की कोई गुंजाइश नहीं है।

अधिकांश राष्ट्र-राज्य खुद को ‘राष्ट्र’ के रूप में वर्णित करते हैं, इसलिए हम सरल रूप से उन्हें उनके कहे के अनुसार क्यों नहीं लेते और कहें कि राष्ट्र-राज्य और राज्य एकरूप हैं? यह संभव नहीं है क्योंकि यह भिन्न व्यवस्था का सूक्ष्मीकरण है। कानूनी रूप से, एक राष्ट्र-राज्य एक परिभाषित सत्ता है, एक राष्ट्र एक जनसमुदाय है। जबकि आधुनिक जनसमुदाय, जो सामान्यता खुद को राष्ट्र के साथ राष्ट्र-राज्य के फैलाव में लाने का आकांक्षी होता है, राष्ट्र की वह परिभाषा, जो यह अपेक्षित करती है कि वह अपने राष्ट्र-राज्य पर प्रभुत्व स्थापित करे, भी प्रतिबन्धक है। अधिकांश टिप्पणीकार सहमत होंगे कि पूर्ववर्ती सोवियत यूनियन के गणराज्यों के बहुसंख्यक जनसमुदाय, जैसे कि जॉर्जीयंस, लूथियानन्स और उक्रेनियन्स स्वतन्त्राता प्राप्ति से पूर्व राष्ट्र थे और वह जनसमुदाय, जो अच्छी तरह से परिभाषित प्रादेशिक क्षेत्रा थे, जैस स्कॉटलैण्ड, वहाँ के बहुसंख्यक समझते हैं कि उन्हें भी उसी तरह राष्ट्र का दर्जा मिलना चाहिए। थोड़ी-सी अलग अभिव्यक्ति देते हुए, स्वायत्तता या स्वतन्त्राता की आकांक्षा करना पर्याप्त है। यद्दपि उपरी तौर से राजशासन-व्यवस्था से साम्य रखते हुए आधुनिक राष्ट्र-राज्य काफी पुराने हैं, दस शताब्दी वर्ष पूर्व पीछे जाते हुए, विश्व के कुछ हिस्सों में, जैसे कि चीन, भारत और भूमध्यसागरीय प्रवाह में इन बहुत पुरानें संगठनों की साधारण राज्यक्षेत्रा के रूप में उत्पति थी, जिसकों एक सभ्यसमाज नियंत्राण करने में समर्थ था। पहले प्रकार की यह राज्य-शासन व्यवस्था इसी से विकसित हुई अथवा आधुनिक राष्ट्र-राज्य द्वारा पुनः धीरे-धीरे से स्थापित हुई और उनके निशान बढ़ी मजबूती से आधुनिक समय में टिके रहे। ऐस्ट्रो-हंगेरियन, रसियन और ओटोमन साम्राज्य स्पष्ट रूप से राजवंशीय शासन थे, जो कि 1917-1918 तक विद्दमान रहे। इनके जनसमुदाय की कोई समान्य राष्ट्रीय पहचान नहीं थी और सोवियत संघ, जो कई राष्ट्रो का एक राज्य था। यहाँ तक कि, आज कई ऐसे उदाहरण संभव हैं जहाँ राष्ट्र-राज्य और राज्य आसानी से मेल नहीं खाते। जबकि, वास्तविक रूप से सभी राष्ट्र राज्यों की सरकारें अपनी शासन-व्यवस्था को राष्ट्र के रूप में बतलाती हैं। कई राज्यों द्वारा नियंत्रित जनसमुदाय, जो कि राष्ट्रीय अस्मिता को स्वीकार नहीं करते हैं, को वहाँ के राज्य घोषित करते हैं। ब्रिटेन में, काई स्कॉट्स और वैल्स महसूस करते हैं कि वो एक स्कॉट्स या वैल्स हैं ना कि ब्रिटिश-राज्य या वो दोनों स्कॉटिश-ब्रिटिश या वैल्स-ब्रिटिश राष्ट्रीयता हैं। अरब देशों में कई यह महसूस करते हैं कि वह एक अरब राष्ट्र हैं न कि एक राष्ट्र, जो कि नई अरब राज्यों द्वारा परिभाषित होते हैं और जो इराक से मोरक्कों और दक्षिण यमन तक फैले हैं। कई लोगों के लिए, एक मानव-जाति (राष्ट्र-रहित) की पहचान ही इतनी प्रबल है कि बदले में (राज्य निर्धारित) राष्ट्रीय पहचान कमजोर पड़ जाती है और आखिरकार वह महत्वहीन हो जाती है। यहाँ हम पहले अमेरिकन या अफ्रीकन मानव-जाति समूह (जन-जातियों) के कई सदस्यों के उदाहरण दे सकते हैं।

यद्दपि राष्ट्र-राज्य और राष्ट्र दोनों समरूप नहीं हैं, निस्सन्देह, दोनों सूक्ष्मता से जुड़े हुए हैं। एन्थोनी स्पिथ (देखें विशेषकर स्मिथ 1991) राष्ट्रों को उनमें विभाजित करते हैं जो कि मानव जाति समूहों में मुख्यतः विकसित हैं, जो अपनी मानव-जाति पहचान को रूपान्तरित और विस्तारित करते हुए खुद को विस्तृत जन-समुदाय तक फैलाते हैं और उनमें जो कि विशिष्ट विकसित राज्य हैं जहाँ राज्य में ही राष्ट्रीय पहचान की एक सामान्य समझ उदित हो चली है जो पूर्ववर्ती नानाविध जनसमुदाय को सम्मिलित करते हैं।

4. निम्नलिखित गद्दांश का हिन्दी अनुवाद कीजिएः- 20

Raman completed school when he was just eleven years old and spent two years studying in his father’s college. When he was only thirteen years old, he want to Madras (which is now Chennai), to join the B.A. course at Presidency College. Besides being young for his class, Raman was also quite unimpressive in appearance and recalls, ‘…… in the first English class that I attended, Professor E.H. Elliot addressing me, asked if I really belonged to the junior B.A. class, and I had to answer him in the affirmative’. He, however, stunned all the sceptics when he stood first in the B.A. examinations, Seeing what a brilliant student he was, his teachers asked him to prepare for the Indian Civil Services (ICS) examination. It was a very prestigious examination and very rarely did non-Britishers get through it. Yet Raman has impressed his teachers so much that they urged him to take it up at such an early age. In spite of their student’s brilliance, the plan was not to work. Raman has to undergo a medical examination before he could qualify to take the ICS test and Civil Surgeon of Madras declared him medically unfit to travel to England! This was only examination that Raman failed, and he would later remark in his characteristic style about the man who disqualified him, ‘I shall ever be grateful to this man,’ but at the time, he simply put the attempt being him and went on to study Physics.

5. निम्नलिखित गद्दांश का अंग्रेजी में अनुवाद कीजिएः-

पैसे को किसी ऐसी चीज से परिभाषित किया जा सकता है जो खरीदारी से किसी साधन या किसी अन्य प्रकार के भुगतान को बदलकर रख दिया, जिसकी प्रक्रिया देनदार हेतु काफी असुविधाजनक होती थी। क्योंकि जिस वस्तु को बदला जा रहा था, उसकी कीमत का उस वस्तु से मुल्य निर्धारण करना काफी कठिन होता था। और फिर दोनों पक्षों को - एक विनिमयकर्त्ता के रूप में - इस बात के लिए राजी होना पड़ता था कि दूसरा पक्ष अदला-बदली के रूप में आगे बढकर जो दे रहा है, उसे वह स्वीकार करे। पैसे ने विशिष्टीकरण और श्रम-विभाजन में सहायता प्रदान की, जो कि उत्पादन का बड़े पैमाने पर आधार है। पैसा कोई भी पदार्थ या कानूनी रूप से स्थापित कोई चीज या प्रथा हो सकती है लेकिन उसका एक अनिवार्य अभिलक्षण यह है कि उसे शीघ्रता से और व्यापक रूप से स्वीकृत होना चाहिए। आदिम समुदायों में कुछ चीजें, जैसे कि मवेशी, सीपियाँ, चावल और चाय का प्रयोग होता था किंतु आधुनिक सभ्य-राष्ट्र धातु या कागज को स्थिर रूप में काम में लाते हैं। सिक्के या नोट्स के रूप में, ये अधिकतर उन विशेषताओं से सम्पन्न होते हैं जो कि एक पैसा-सामग्री में वांछनीय है, यथा-सुवाहृता, स्थिरता, लक्षण में एकरूपता और स्वीकार्यता। धातुएँ मुख्यतः सोना, चांदी, तांबा और निकल के रूप में प्रयुक्त होती हैं । नोट्स कई भिन्न प्रणालियों में जारी किए जाते हैं। मानक पैसे और सांकेतिक पैसे में एक महत्वपूर्ण भिन्नता है। पहला एक निर्धारित (मानक) मूल्य से संघटित है जिससे किसी वस्तु के साथ अन्य की तुलना, उसके मूल्य को मापने हेतु की जाती है। मानक पैसे का मूल्य उसमें विद्यमान सामग्री पर निर्भर करता है, जबकि सांकेतिक पैसे का, जैसे नोेट्स के संदर्भ में मूल्य कानून या प्रथा द्वारा निर्धारित होता है, उसके आन्तरिक मूल्य की परवाह किए बिना ।

6. (क) निम्नलिखित मुहावरों और लोकोक्तियों का अर्थ स्पष्ट करते हुए उनका वाक्यों में प्रयोग कीजिएः- 2 × 5 = 10

(i) एक और एक ग्यारह होना 2
(ii) अन्धे की लाठी होना 2
(iii) ऊँची दुकान फीका पकवान 2
(iv) अँगूठा दिखाना 2
(v) नौ दो ग्यारह होना। 2

(ख) निम्नलिखित वाक्यों के शुद्ध रूप लिखियेः- 2 × 5 = 10

(i) पेड़ पर अनेकों चिड़ियाँ बैठे हैं। 2
(ii) तुम ताजी भैंस का दूध लेकर आओ। 2
(iii) मेरे पड़ोस में एक बड़ी सुन्दर लड़की रहता है। 2
(iv) कल सड़क पर एक भयानक दुर्घटना हुआ। 2
(v) तुम्हारे को मेरे घर आने का निमन्त्राण-पत्रा मिला? 2

(ग) निम्नलिखित शब्दों के दो-दो पर्यायवाची शब्द लिखिएः- 2 × 5 = 10

(i) सूर्य, 2
(ii) प्रेम, 2
(iii) अंधकार, 2
(iv) परमात्मा, 2
(v) नेत्रा। 2

(घ) निम्नलिखित युग्मों को इस तरह वाक्य में प्रयुक्त करें कि उनका अर्थ स्पष्ट होते हुए उनके बीच का अन्तर भी शब्दार्थ में लिखित रूप से वर्णित होः- 2 × 5 = 10

(i) मद-पत्रा, 2
(ii) अक्षर-अक्षत, 2
(iii) प्रतिज्ञा-प्रतीक्षा, 2
(iv) अनल-अनिल 2
(v) प्रमाण-प्रणाम। 2

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