(GIST OF YOJANA) सबका साथ, सबका विकास, सबका आवास [July] -2018]


(GIST OF YOJANA) सबका साथ, सबका विकास, सबका आवास [July] -2018]


सबका साथ, सबका विकास, सबका आवास

प्रधानमंत्री चुने जाने के महीना भर बाद यानी जुलाई 2014 में संसद के सयुंक्त सत्र को संबोधित करते हुए श्री नरेंद्र मोदी ने कहा था, ‘जब देश आजादी के 75 साल पूरे करेगा. तब तक हर परिवार के पास पानी के कनेक्शन के साथ पक्का मकान, शौचालय की सुविधा, 24 घंटे बिजली की सुविधा होगी।1 इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए श्री मोदी ने प्रधानमंत्री आवास योजना (पीएमएवाई) या सबके लिए सस्ते घर मिशन की शुरुआत की। इस मिशन को दो भागों में बांटा गया- प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण), जो ग्रामीण विकास मंत्रालय के दायरे में है और प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) जो आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय के तहत आता है।

पीएमएवाई (शहरी) के लिए जून 2015 में लक्ष्य की शुरुआत की गई- इसके तहत साल 2022 तक तकरीबन शहरी इलाकों में 1.2 करोड़ सस्ते घर बनाने की बात है। मौजूदा सरकार के चार साल के कार्यकाल में आवासीय और शहरी मामलों का मंत्रालय पहले ही 475 लाख से ज्यादा सस्ते घरों के निर्माण को मंजूरी दे चुका है और 8 लाख से भी ज्यादा घर बनाए जा चुके हैं और इसे संबंधित लाभार्थियों को सौंपा भी जा चुका है।

शहरीकरण नए अंदाज में

पीएमएवाई (शहरी) की सफलता को समझने के लिए शहरीकरण के मामले में भारत में हो रहे अहम बदलाव को समझना जरूरी है। देश के इतिहास में पहली बार केद्र की किसी सरकार ने शहरीकरण की अवधारणा को अपनाया है। आजादी के बाद भारत में अधिकांश समय में इस मुल्क को शहरीकरण के मामले में 'अनिच्छुक' के तौर पर पेश किया गया। इस अनिच्छा का मामला इस तथ्य पर आधारित था कि आमदनी और रोजगार दोनों मामलों में खेती अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार था। आज जहां खेती में देश के कुल कार्यबल का 40 फीसदी से भी ज्यादा हिस्सा लगा हुआ है, वहीं भारत के ग्रॉस वैल्यू ऐडेड में खेती की हिस्सेदारी घटकर 16.4 फीसदी पर पहुंच गई है। दूसरी तरफ, सेवाओं की हिस्सेदारी में जबरदस्त बढ़ोतरी हुई है और आज यह आंकड़ा 55.2 फीसदी के स्तर पर पहुंच गया है।' सेवा क्षेत्र का ठिकाना अपनी प्रकृति के मुताबिक शहरी इलाकों में ही है।

भारत में जनसाख्यिकी सबंधी बदलाव को देखते हुए प्रधानमंत्री ने अपने कार्यकाल की शुरुआत से ही शहरीकरण को तवज्जो देना शुरू कर दिया। ‘शहरा और मानवीय बस्तियों को समावेशी, सुरक्षित, लचीला और टिकाऊ बनाएं' शीर्षक से सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) के लक्ष्य 11 के तत्वों को भारत ने एसडीजी से पहले अपने विकास के एजेंडे में शामिल कर लिया और 2030 का विकास का एजेंडा औपचारिक तौर पर 2015 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा अपनाया गया। इस सिलसिले में पीएमएवाई (शहरी) का मामला दिलचस्प है - सरकार ने जून 2015 में इस मिशन को शुरू किया, जबकि इस संबंध में अपने इरादों के बारे में जुलाई 2014 में ही एलान कर दिया। इसके आलावा, एसडीजी के तहत 2030 तक लक्ष्यों को हासिल करने की बात है, जबकि पीएमएवाई (शहरी) का इरादा 2022 तक ही हर भारतीय के लिए घर सुनिश्चित करना है। साल 2022 में भारत आजादी की 75 वीं वर्षगांठ मनाएगा।

सरकार की भूमिका को नए सिरे से पारिभाषित करना

'भारत में कभी भी अच्छे सुझावों और विचारों की कमी नहीं रही है। हमारे बौद्धिक वर्ग के साथ हमारे नौकरशाहों ने कई पेपर और सुझाव प्रकाशित किए हैं और इसमें ऐसा समाधान पेश किया गया है, जो हमारे शहरी परिदृश्य को बदल देगाहालांकि, अक्सर इस तरह के विचार शुरुआत में ही अटक जाते हैं। प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) की सफलता प्रधानमंत्री की इस प्रतिबद्धता का गवाह है कि सरकार की सबसे अहम जिम्मेदारी सामान और सेवाओं को मुहैया कराना है। और सामान और सेवाएं दार्शनिक विचार-विमर्श के जरिए नहीं मुहैया कराए जा सकते - इस बाबत जमीनी स्तर पर सफलता के लिए योजनाओं पर अमल की जरूरत होती है और इसमें लगातार निगरानी और मूल्यांकन भी शामिल है।

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प्रधान मंत्री आवास योजना (शहरी) का क्रियान्वयन

प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) पर अमल चार बिंदुओं के जरिये किया जा रहा है - झुग्गियों के स्थान पर नया निर्माण ; साझेदारी में रस्ता आवास (एचएचपी) ; क्रेडिट लिंक्ड सब्सिडी स्कीम (सीएलएसएस) और लाभार्थी की अगुआई में निर्माण (बीएलसी)। इन बिंदुओं के जरिए यह मिशन सस्ते घर के पूरे दायरे को समेटता है। यानी बेहद अमानवीय परिस्थितियों में रह रहे झुग्गीवासी, आर्थिक रूप से कमजोर समुदाय और मध्य वर्ग के लोग जिन्हें सस्ता बैंकिंग वित्तपोषण चाहिए और जिनके पास जमीन है, लेकिन घर बनाने के लिए अतिरिक्त धन की जरूरत है। सबसे अहम बात यह है कि इस तरह के विकल्पों की पेशकश के कारण प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) का मामला पिछले टॉप मॉडलों से बिल्कुल अलग है। यह मिशन जरूरतों के हिसाब से सबसे बेहतर निर्णय करने के लिए लाभार्थी के फैसले पर भरोसा करता है।

2014 के लोकसभा चुनावों के बाद प्रधानमंत्री ने अपने पहले संबोधन में सहयोगात्मक संघवाद पर जोर दिया था। एक अहम राज्य के मुख्यमंत्री के तौर पर काम करने के बाद प्रधानमंत्री नई दिल्ली से चलाए जाने वाली केद्र सरकार की सीमाओं से भलीभांति वाकिफ थे। अमूमन राष्ट्रीय राजधानी से तैयार और लागू किए मिशन परवान नहीं चढ़ सके, क्योंकि राज्य सरकारों को पहले कभी विश्वास में नहीं लिया गया। प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) उन फ्लैगशिप कार्यक्रमों में शामिल है, जो सहयोगात्मक संघवाद मॉडल के तहत फलफूल रहा है। पुरानी आवासीय योजनाओं में राज्य सरकारों को केंद्र से अपनी परियोजनाओं को मंजूर करवाना पड़ता था। प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) के तहत राज्य सरकार खुद इन मंजूरियों को देखती हैं और केंद्र सरकार की तरफ इसमें सिर्फ मामूली सुझाव की बात है।

नियमन की आवश्यकता

प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) के आयकर और व्यापकता वाले किसी भी मिशन को सुचारु रूप से चलाने के लिए पर्याप्त नियामकीय ढांचे की जरूरत होती है। और चूंकि प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) ऐसे सेक्टर के तहत आता है, जिसे मुख्य तौर पर रियल एस्टेट की तरह पारिभाषित किया गया है, लिहाजा ऐसे ढांचे की जरूरत और अहम है।
भारत में रियल एस्टेट सेक्टर को ऐतिहासिक तौर पर इस तरह से पेश किया गया है, जहां छल-कपट और बेईमान वाले बर्ताव से आदमी फलताफूलता है और ईमानदारी की सजा मिलती है। राजनेता-नौकरशाहबिल्डर का गठजोड़ खेल के नियमों को तय करता था और घर खरीदने वाले किसी भी शख्स को उनकी शों के हिसाब से घर खरीदने के लिए भ्रष्ट गतिविधियों में संलिप्त होने के लिए मजबूर होना पडता था और इसके बावजूद इस बात की कोई गारंटी नहीं थी कि खरीदी गई प्रॉपर्टी उसके असली मालिक को सौंप दी जाएगी। इसी परिपाटी को खत्म करने के लिए सरकार ने रियल एस्टेट (नियमन और अविनियमन), कानून 2016 या रेरा को लागू किया। देश में पिछले 70 साल में पहली बार रियल एस्टेट सेक्टर के लिए नियामक के तौर पर रेरा को संस्थागत स्वरूप दिया गया।

सबका साथ, सबका विकास, सबका आवास

अनुमानों के मुताबिक, भारत में शहरी मांग को पूरा करने के लिए देश में 2030 तक हर साल 70 से 90 करोड़ वर्ग मीटर रिहायशी और व्यावसायिक जगह की जरूरत होगी। कहने का मतलब यह है कि अगर देश के नागरिकों की शहरों में रिहाइश की मांग को पूरा करना है, तो अभी से लेकर 2030 तक भारत को हर साल एक नया शिकागो का निर्माण करना होगा।

इसी संदर्भ में प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) की सफलता को देश में चल रहे योजनाबद्ध शहरीकरण की तमाम चीजों को जोडकर देखने की जरूरत है। स्वच्छ भारत मिशन आज जनआंदोलन बन गया है। खुले में शौच की समस्या से मुक्ति पर इसके जोर के तहत न सिर्फ जरूरी संख्या में शौचालय बनाने की बात है, बल्कि देश में व्यवहार संबंधी बदलाव लाने का भी मकसद है। 57 लाख निजी शौचालयों और 3.8 लाख सामुदायिक शौचालयों का निर्माण पूरा हो चुका है और प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) के तहत हर सस्ते घर में 475 लाख से भी ज्यादा शौचालय बनाए जाएंगे। नवीनीकरण और शहरी रूपांतरण के लिए अटल मिशन (अमृत) के तहत 500 शहरों में सभी जरूरी जगहों पर पानी की आपूर्ति की सुविधा और पानी के निकास का बेहतर नेटवर्क होगा। इससे सस्ते घरों में रह रहे लोगों के जीवन स्तर में और सुधार होगा। स्मार्ट सिटी मिशन के तहत चुने गए 99 शहरों में नागरिकों की व्यापक सहभागिता के तहत यह सुनिश्चित किया जाएगा कि सस्ते घरों में रहने वालों का भी शहर के विक्रम में एक समान दखल हो।

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Courtesy: Yojana