(The Gist of Kurukshetra) ऑपरेशन ग्रीन से सुधरेगी कृषि की तस्वीर [April-2018]


(The Gist of Kurukshetra) ऑपरेशन ग्रीन से सुधरेगी कृषि की तस्वीर [April-2018]


ऑपरेशन ग्रीन से सुधरेगी कृषि की तस्वीर

देश में ऑप्रेशन फ्लड (श्वेतक्रांति) की अभूतपूर्व सफलता के बाद सरकार ने ऑप्रेशन ग्रीन शुरू करने की घोसणा की है।इसमें टमाटरप्याज और आलू जैसी फसलों को उसकी खेती से लेकर रसोईघर तक की आपूर्ति श्रृंखला को संयोजित करना है। इस पूरी श्रृंखला को मजबूत बनाने के लिए सरकार ने आम बजट में बजटीय प्रावधान किया है। इसमें कृषि मंत्रालय के साथ खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय की भूमिका भी अहम होगी। रसोईघर की प्रमुख सब्जियों में शुमार इन कृषि उत्पादों की खेती आमतौर पर देश के छोटे एवं मझोले स्तर के किसान ज्यादा करते हैं। यही वजह है कि पैदावार अधिक हुई तो मूल्य घट जाने से उनकी लागत मिलने के भी लाले पड़ जाते हैं। इसके विपरीत इन जिंसों की पैदावार घटी तो पूरे देश में हायतौबा मचना आम हो गया है। राजनैतिक तौर पर यह बेहद संवेदनशील मुद्दा बन जाता है। ऑपरेशन ग्रीन के तहत इसमें एक तरफ किसानों को इनकी खेती के लिए प्रोत्साहित करना है तो दूसरी तरफ उपभोक्ताओं को उचित मूल्य पर इन जिंसों की सालभर उपलब्धता बनाए रखने की चुनौती से निपटना है। इन्हीं दोहरी बाधाओं से निपटने के लिए सरकार ने ऑपरेशन ग्रीन की शुरुआत कर दी है। आगामी वित्तवर्ष में इस दिशा में कार्य तेजी भी पकड़ सकता है। इसके चलते किसानों की आमदनी को दोगुना ने सरकार की मंशा को पूरा करने में भी मदद मिलेगी ।

केंद्रीय वित्तमंत्री श्री अरुण जेटली ने वित्तवर्ष 2018-19 के आम बजट में इस समस्या का निदान ढूंढ़ा और उसके लिए ऑपरेशन ग्रीन की घोषणा की है। इसके लिए आम बजट में 500 करोड़ रुपये की प्रारंभिक धनराशि भी आवंटित कर दी गई है। इस धनराशि से कोल्ड चेनकोल्ड स्टोरेज, अन्य लॉजिस्टिक और सबसे अधिक जोर खाद्य प्रसंस्करण पर दिया जाएगा। प्रधानमंत्री कृषि संपदा योजना इसमें बेहद मुफीद साबित होगी। इसके तहत देशभर में आलूप्याज और टमाटर उत्पादक क्षेत्रों में क्लस्टर आधारित पूरी श्रृंखला विकसित की जाएगी, ताकि किसानों के उत्पादों के बाजार में आने के वक्त कीमतें न घटने पाएं और समय रहते उनका भंडारण उचित माध्यमों से किया जा सके। ऑपरेशन ग्रीन के तहत इन प्रमुख सब्जियों की खेती वाले राज्यों के क्षेत्रों को चिन्हित कर वहां इन बुनियादी ढांचे का निर्माण किया जाएगा। जरूरत पड़ने पर संबंधित मंडी कानून में संशोधन भी किया जा सकता है ताकि सीधे किसानों के खेतों से ही उत्पाद को बड़ी उपभोक्ता कंपनियां और प्रसंस्करण करने वाले खरीद सकते हैं। कांट्रैक्ट फार्मिग (खेती) की सुविधा बहाल की जाएगी। इससे इन संवेदनशील सब्जियों की उपलब्धता पूरे समय एक जैसी रह सकती हैं। किसानों को उनकी उपज का जहां उचित मूल्य मिलेगा वहीं उपभोक्ताओं को महंगाई से निजात मिलेगी। किप्रनों की आमदनी को दोगना करने में सहूलियत मिलेगी ।

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वर्ष 2017-18 में टमाटर, प्याज और आलू खेती का बुवाई रकबा और पैदावार (अनुमानित)

जींस

रकबा (लाख हेक्टेयर) पैदावार (लाख टन)
प्याज 11.96 214
टमाटर 8.01 223.4
आलू 21.76 493.4

आलू उत्पादक प्रमुख राज्यों में आलू के भंडारण की स्थिति

राज्य 2017 भंडारण (लाख टन में) 2016 भंडारण (लाख टन में) 2015 भंडारण (लाख)
उतर प्रदेश 124.62 112.57 112
पश्चिम बंगाल 65.76 55.46 64.29
बिहार 12.14 12.97 13.16
पंजाब 19.36 19.34 18.61
गुजरात 11.61 11.26  
भण्डारण वाले कुल आलू की मात्रा 233.49 211.6 208.06

नोटः 50 से 55 फीसदी आलू का ही भण्डारण हो पता है। बाकी आलू ताजा में बिकता है या सड़ जाता है।

 सब्जियों के उत्पादन में भारत दूसरे स्थान पर है। यहां सालाना 18 करोड़ टन सब्जियों का उत्पादन होता है। हालांकि पहले पायदान पर रहने वाले चीन में इसका चार गुना उत्पादन होता है। लेकिन भारत सब्जियों की पैदावार में तेजी से आगे बढ़ने वाला देश बन गया है। लेकिन भारत में हरितक्रांति के समय जैसे गेहूं व चावल की पैदावार और श्वेतक्रांति में दूध के उत्पादन में बहुत तेजी से वृद्धि हुई थी, सब्जियों की पैदावार में वह क्रांति नहीं आई है। उदाहरण के तौर पर वर्ष 2003-04 से 2017-18 के बीच आलू का उत्पादन 28 करोड़ टन से बढ़कर 49 करोड़ टन हो चुका है। जबकि प्याज की पैदावार में तीन गुना से अधिक की छलांग लगा ली है। इसका उत्पादन 63 लाख टन से बढ़कर 214 करोड़ टन हो गया है। टमाटर जैसी फसल का उत्पादन 81 लाख टन से बढ़कर 2.2 करोड़ टन हो गया है। लेकिन बढ़ती आबादी और लोगों की माली हालत में सुधार होने से इन जिंसों की मांग में भी खूब इजाफा हआ है।

श्वेतक्रांति के जनक कहे जाने वाले डॉक्टर कुरियन ने अपनी किताब में इसके बारे में विस्तार से लिखा है कि उनका | सपना किसानों को संगठित करना, उनके उत्पादन को बढ़ाना और उन्हें उनके घर पर रोजी-रोजगार मुहैया कराना था।उत्पादों को वास्तविक बाजार मुहैया कराना और किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य दिलाना असल चुनौती होती है, जो उन्हें सतत मिलता रहे। इसके लिए पहली जरूरत उपज की खपत वाले सबसे विशाल केंद्रों की खोज कर उन्हें चिन्हित करना है। और फिर वहां तक उत्पाद को पहुंचाने की उचित व्यवस्था होनी चाहिए। साथ ही खपत यानी उपभोक्ता केंद्रों पर हर जिंस के लिए सशक्त खुदरा नेटवर्क बनाना सबसे जरूरी है। इसी तरह फसलों की पैदावार को बढ़ाने के लिए किसानों को संगठित कर किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) बनाना होगा। इन संगठनों की जिम्मेदारी होगी कि वह जिंसों को उत्पादक स्थल पर छंटाई, भराईग्रेडिंगवजन और पैकेजिंग के साथ बार कोड लगाकर उपभोक्ता केंद्रों तक पहुचाएं |

प्याज का उचित भंडारण न होने से खेत से लेकर स्टोर तक पहुंचाने में 25 से 30 फीसदी तक बर्बादी होती है। यानी सड़ जाता है। इसे रोकने के लिए आधुनिक कोल्ड स्टोरेज की जरूरत है। विशेषज्ञों के मुताबिक आधुनिक भंडारण प्रणाली से प्याज की बर्बादी 15 से 20 फीसदी तक रूक जाएगी। साथ ही, भंडारण की लागत भी कम होगी। योजना के मुताबिक बिजली से चलाए जाने वाले कोल्ड स्टोरेज की जगह आधुनिक कोल्ड स्टोरेज सौर ऊर्जा से चलाए जा सकते हैं, जो बहुत सस्ते साबित होंगे। अधिक मात्रा में भंडारण के लिए आवश्यक वस्तु अधिनियम (ईसीए) संशोधन की सख्त जरूरत पड़ेगी, क्योंकि सरकार समय-समय पर स्टोरेज कंट्रोल आर्डर लागू करती रहती है।

तीसरी सबसे बड़ी जरूरत ऑपरेशन ग्रीन में प्रोसेसिंग उद्योग को प्रमुखता दी जाए और उसे खुदरा स्तर पर जोड़ा पर जोड़ा जाए । गई प्याज डिहाईड्रेटेड़ आनियन, टमाटर की प्यूरी और आलू के चिप्स का प्रयोग खूब धड़ल्ले से किया जा सकता है। खाद्य प्रसंस्करण उद्योग आलूप्याज और टमाटर की अतिरिक्त पैदावार को लेकर प्रोसेस कर सकता है। इससे किसान और उद्योग दोनों। पक्षों को लाभ होगा। सरकार के समर्थन से इन जिंसों के मूल्य में उतार-चढ़ाव की संभावना बहुत कम रह जाएगी, जिससे न किसान दुखी होगा और न ही उपभोक्ता। ऑपरेशन ग्रीन चैंपियन होकर उभरेगा, लेकिन इसके लिए किसी करियन की तलाश करनी होगी।

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