(The Gist of Kurukshetra) समावेशी विकास के लिए कुशल परिवहन इंफ्रास्ट्रक्चर [AUGUST-2018]


(The Gist of Kurukshetra) समावेशी विकास के लिए कुशल परिवहन इंफ्रास्ट्रक्चर [AUGUST-2018]


समावेशी विकास के लिए कुशल परिवहन इंफ्रास्ट्रक्चर

परिवहन का कुशल इंफ्रास्ट्रक्चर किसी भी देश के सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए सबसे बड़े उत्प्रेरकों में से एक होता है। यह उत्पादन के संसाधन केंद्रों और बाजार के बीच जरूरी संपर्क मुहैया कराता है। यह देश के सबसे दूरदराज के हिस्सों में वस्तुओं और सेवाओं की आपूर्ति सुनिश्चित कर संतुलित क्षेत्रीय विकास को बढ़ावा देने वाला एक प्रमुख कारक है।

2014 में हमारी सरकार के सत्ता संभालने के समय इंफ्रास्ट्रक्चर को साफतौर पर हमारी प्रमुख प्राथमिकताओं में शामिल किया गया। अच्छे इंफ्रास्ट्रक्चर के अभाव में भारत का विकास लंबे समय से अवरुद्ध था। परिवहन के मोर्चे पर वस्तुओं और व्यक्तियों का आवागमन धीमा और अकुशल था। दूरदराज के इलाकों में परिवहन नेटवर्क की पहुंच अपर्याप्त थी। यातायात के धीमा होने की वजह से अनमोल समय के नुकसान के अलावा काफी प्रदूषण भी होता था। अंधाधुंध दुर्घटनाओं में बेशकीमती जिंदगियां जा रही थीं। नदियों के विस्तृत जाल की विशाल नौवहन क्षमता का इस्तेमाल नहीं हो रहा था। हमने फैसला किया कि इन सबमें सुधार का समय आ गया है।

पिछले चार वर्षों में हमने देश के परिवहन नेटवर्क के आधुनिकीकरण, उसे पूरी तरह दुरुस्त करने और उसके विस्तार में पूरा जोर लगा दिया है। हमने सड़कों, जलमार्गों और रेलमार्गों में निवेशों में तालमेल कायम किया है। हमारा लक्ष्य एक ऐसी कुशल और किफायती समेकित परिवहन पारिस्थितिकी विकसित करने का है जो देश के सबसे दूरदराज के कोनों तक पहुंचे तथा सुगम, सुरक्षित और पर्यावरण के अनुकूल हो।

राजमार्ग क्रांति

भारतीय परिदृश्य में तेजी से राजमार्ग क्रांति आ रही है। राष्ट्रीय राजमार्ग अब 27 किलोमीटर प्रतिदिन की रफ्तार से बनाए जा रहे हैं। वर्ष 2011 में इनके निर्माण की रफ्तार सिर्फ 12 किलोमीटर प्रतिदिन थी। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने पिछले चार वर्षों में 51073 किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्गों के निर्माण के लिए काम आवंटित किया है। यह पिछली सरकार के समय 2010 और 2014 के बीच आवंटित 25158 किलोमीटर के काम से दुगुना है। हमने 2010 और 2014 के बीच सिर्फ 16505 किलोमीटर की तुलना में 28531 किमी राष्ट्रीय राजमार्गों का निर्माण पूरा किया है। इस साल हमारा लक्ष्य लगभग 16000 किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्ग बनाने का है जोकि भारत में एक वर्ष में अब एक हुए निर्माण में सबसे ज्यादा होगा।

राष्ट्रीय राजमार्गों के नेटवर्क के विस्तार, आड़े-तिरछे मार्गों को छोटा करने के लिए पुलों और सुरंगों के निर्माण, लॉजिस्टिक पार्को तथा यातायात के बहुविध साधनों से समावेशी आर्थिक विकास को बहुत बल मिलेगा। इन कदमों से दूरदराज के किसानों और अन्य उत्पादकों को बाजार तक पहुंच कायम होगी जो अब से पहले संभव नहीं थी। इनसे देशभर के नागरिकों की जीवन की गुणवत्ता में काफी सुधार आएगा। इसके अलावा इनसे बेहद जरूरी रोजगार भी पैदा होंगे। भारतमाला कार्यक्रम देश में आर्थिक विकास के लिए एक बड़ा उत्प्रेरक होगा। कार्यक्रम के पहले चरण में 35 करोड मानव दिवस से ज्यादा रोजगार पैदा होने का अनुमान है।

स्वच्छ ईंधन को प्रोत्साहन

राजमार्ग क्षेत्र को पर्यावरण के अनुकूल बनाना हमारी एक अन्य प्राथमिकता है। इस मकसद से हम एथनॉल, मीथेनॉल, बायो-डीजल, बायो-सीएनजी और बिजली जैसे स्वच्छ ईंधनों के इस्तेमाल को बढ़ावा दे रहे हैं। कृषि अवशेषों, बांस जैसे पौधों, अखाद्य तिलहनों और म्युनिसिपल कचरे से देश में ही तैयार किए जाने वाले इन ईंधनों के इस्तेमाल से प्रदूषण घटने के साथ ही देश के आयात के विशाल बोझ में भी कमी आएगी। नागपुर शहर में बसें शत-प्रतिशत अवशिष्ट जल से निकलने वाले मीथेन से निर्मित बायो एथनॉल और बायो-सीएनजी से चलाई जा रही हैं। बाकी स्थानों पर भी ऐसा ही किया जा सकता है। इससे रोजगार भी पैदा होगा और देश के ग्रामीण क्षेत्रों, पूर्वोत्तर और बंजर जमीन वाले इलाकों की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी।

राजमार्गों पर सुरक्षा

दुख की बात है कि दुनिया भर में सड़क दुर्घटनाओं में सबसे ज्यादा मौतें भारत में ही होती हैं। यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है और हम इन्हें 2020 तक 50 प्रतिशत घटाने के लिए कृत संकल्प हैं। देशभर में दुर्घटना की आशंका वाले 779 स्थलों की पहचान कर उन्हें दुरुस्त किया जा रहा है। सड़कों की डिजाइनों में विस्तृत परियोजना रिपोर्ट के चरण में ही सुरक्षा के तत्वों को शामिल किया जा रहा है। इसके अलावा सड़कों का सुरक्षा ऑडिट भी किया जा रहा है। बेहतर वाहन सुरक्षा मापदंडों को अधिसूचित करने के साथ ही हम देश के हर जिले में चालक प्रशिक्षण विद्यालय खोलने की योजना चला रहे हैं।

मोटर वाहन (संशोधन) विधेयक लोकसभा में पारित किया जा चुका है। इसके राज्यसभा में पारित किए जाने का इंतजार है। विधेयक में जुर्मानों को ज्यादा सख्त बनाने तथा वाहनों के फिटनेस प्रमाणन और चालक लाइसेंस जारी करने की प्रक्रिया में कंप्यूटरीकरण से पारदर्शिता लाने के प्रावधानों के जरिए सड़क सुरक्षा के मुद्दों का समाधान किया गया है। इसमें मददगार नागरिकों को संरक्षण और सूचना प्रौद्योगिकी आधारित अमल प्रणाली को मान्यता देने की व्यवस्था की गई है।

विकास के इंजन के रूप में बंदरगाह

हमारी सरकार ने समुद्रों और नदियों की क्षमता के दोहन के लिए सागरमाला कार्यक्रम शुरू किया है। इस मकसद से 111 जलमार्गों को राष्ट्रीय जलमार्ग घोषित किया गया। इस कार्यक्रम के तहत बंदरगाह क्षेत्रों का औद्योगीकरण किया जाना है ताकि वे विकास के वाहक बन सकें। बड़े बंदरगाहों के इर्द-गिर्द विशेष आर्थिक क्षेत्रों (एसईजेड) और 12 तटीय आर्थिक क्षेत्रों के गठन पर जोर दिया जा रहा है। इसके अलावा बंदरगाहों के आधुनिकीकरण की परियोजनाओं पर काम चल रहा है ताकि वे ज्यादा सक्षम और लाभकारी बन सकें। सड़कों, रेलमार्गों और जलमार्गों के माध्यम से अंदरूनी इलाकों के साथ बंदरगाह का संपर्क बढ़ाने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं। इस कार्यक्रम से रोजगार के जो अवसर खुलेंगे, उनके लिए स्थानीय आबादी को जरूरी कुशलता और इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ तैयार किया जा रहा है।

सागरमाला में 19 राज्यों और संघशासित प्रदेशों में 87 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की 577 परियोजनाएं शामिल हैं। इनमें से 70 प्रतिशत से ज्यादा परियोजनाएं लागू किए जाने के विभिन्न चरणों में हैं। जवाहरलाल नेहरू पोर्ट ट्रस्ट (जेएनपीटी) में एसईजेड तथा कांडला और पारादीप में स्मार्ट औद्योगिक बंदरगाह शहर निर्माणाधीन हैं। सतारा में मेगा खाद्य प्रसंस्करण पार्क तैयार हो चुका है और आंध्र प्रदेश में दो ऐसे पार्क निर्माणाधीन हैं। विभिन्न राज्यों में आठ इलेक्ट्रॉनिक निर्माण क्लस्टर और तीन बिजली क्लस्टर बनाए जा रहे हैं। जेएनपीटी में बहु-कौशल प्रशिक्षण केंद्र स्थापित किया गया है जिसमें सालाना 1500 लोगों को प्रशिक्षित किया जाएगा। मछुआरों की आजीविका में सुधार के लिए नौ समुद्र-तटीय राज्यों में 26 मत्स्य आखेट बंदरगाह परियोजनाएं शुरू करने की योजना है।

तटीय जहाजरानी और क्रूज पर्यटन भी लंबी छलांग के लिए तैयार हैं। दोनों को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने कई नीतिगत कदम उठाए हैं और इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण कर रही है। हमने माल की तटीय ढुलाई के लिए बांग्लादेश के साथ एक करार पर दस्तखत किए हैं। इससे पूर्वोत्तर राज्यों में आर्थिक अवसरों में वृद्धि होगी। वर्ष 2013-14 के सिर्फ 95 की तुलना में 2016-17 में 166 क्रूज जलपोत भारत आए और इनकी संख्या में कई गुना वृद्धि होने की संभावना है।

सागरमाला से संचालन खर्च के रूप में सालाना 35000 करोड़ से 40000 करोड़ रुपये की बचत होने की संभावना है। इससे निर्यात में भी 110 अरब अमेरिकी डॉलर की बढोतरी होगी। इस कार्यक्रम से समुद्री क्षेत्र, बंदरगाहों के इलाकों में लगने वाली फैक्टरियों, सेवा उद्योग, मत्स्यपालन केंद्रों, पर्यटन और अन्य प्रतिष्ठानों की बदौलत एक करोड़ से ज्यादा प्रत्यक्ष और परोक्ष रोजगार पैदा होने की उम्मीद है।

जल परिवहन को हकीकत में बदलना

हमारे जलमार्गों को नौवहन के योग्य बनाना हमारे लिए एक अन्य बड़ी प्राथमिकता है। हम राष्ट्रीय जलमार्ग घोषित 111 जलमार्गों को नौवहन के लिए विकसित कर रहे हैं। सड़क और रेल की तुलना में जल परिवहन सस्ता और कम प्रदूषण करने वाला है। जलमार्गों के जरिए माल ढुलाई से हमारे उत्पादों के परिवहन खर्च में कमी आएगी और वे ज्यादा प्रतिस्पर्धी बनेंगे।
गंगा, ब्रह्मपुत्र, बराक, कृष्णा, महानदी, अम्बा, नर्मदा इत्यादि नदियों पर 10 जलमार्गों के लिए काम शुरू हो चुका है। गंगा पर विश्व बैंक की सहायता से 5369 करोड़ रुपये की जलमार्ग विकास परियोजना तेज रफ्तार से आगे बढ़ रही है। वाराणसी में एक मल्टी-मोडल टर्मिनल इस साल अक्टूबर तक तैयार हो जाएगा। साहिबगंज और हाल्दिया में मल्टी मोडल टर्मिनल तथा फरक्का में नौवहन लॉक निर्माण का काम काफी आगे बढ़ चुका है। इस परियोजना से 46000 प्रत्यक्ष और 84000 परोक्ष रोजगार पैदा होने का अनुमान है।

हम कई जलमार्गों पर रोल ऑन-रोल ऑफ (रो-रो) सवाS पहले ही शुरू कर चुके हैं। ये सेवाएं फलों और सब्जिया जा स्थानीय वस्तुओं की ढुलाई का बेहद असरदार माध्यम साबित ९२ हैं। इनसे अब तक आड़े-तिरछे मार्गों से जुड़े दो स्थानों के बीच आवागमन में समय की बचत हो रही है। ब्रह्मपुत्र नदी पर रासेवा धुबरी और हतसिंगीमारी के बीच चल रही है। इन दाना शहरों के बीच पिछले छह महीनों में 36000 यात्रियों और 450 ट्रकों का परिवहन रो-रो के जरिए हुआ है। इससे सड़क यात्रा 230 किलोमीटर कम हुई है। बराक नदी पर राष्ट्रीय जलमार्ग-16 के जरिए बंगलादेश के लिए अंतर्राष्ट्रीय माल ढुलाई भी होती है।

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Courtesy: Kurukshetra