(The Gist of Kurukshetra) प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना से आवास क्षेत्र में क्रांति [AUGUST-2018]


(The Gist of Kurukshetra) प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना से आवास क्षेत्र में क्रांति [AUGUST-2018]


::प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना से आवास क्षेत्र में क्रांति::

प्रधानमंत्री आवास योजना – ग्रामीण (पीएमएवाई-जी) को पहले इंदिरा आवास योजना कहा जाता था, जो देश में ग्रामीण गरीबों को मकान मुहैया कराने के लिए भारत सरकार द्वारा शुरू किया गया समाज कल्याण का प्रमुख कार्यक्रम है। योजना के अंतर्गत मकान बनाने के लिए मैदानी इलाकों में 70,000 रुपये (1,000 डॉलर) और दुर्गम इलाकों (ऊंचे इलाकों) में 75,000 रुपये (1,100 डॉलर) की वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। इन मकानों में शौचालय, रसोई गैस कनेक्शन, पेयजल और बिजली कनेक्शन जैसी सुविधाएं हैं। स्वच्छ भारत अभियान के शौचालयों, उज्ज्वला योजना के एलपीजी गैस कनेक्शनों और सौभाग्य योजना जैसी अन्य योजनाओं के साथ मेल इस योजना की विशेषता है।

उद्देश्यः योजना का मुख्य उद्देश्य समाज के सबसे कमजोर वर्गों को अपने रहने के लिए अच्छी गुणवत्ता वाले मकान बनाने हेतु वित्तीय सहायता प्रदान करना है। सरकार का सपना भारतीय गांवों में सभी कच्चे मकानों के बदले पक्के मकान बनाना है।

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने 20 नवंबर, 2018 को प्रधानमंत्री आवास योजना- ग्रामीण (पीएमएवाई-जी) आरंभ की। ग्रामीण आवास के पिछले कार्यक्रम इंदिरा आवास योजना (आईएवाई) को पुर्नगठित कर पीएमएवाई-जी बनाई गई । "2022 तक सभी के लिए आवास” पूरे करने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में 31 मार्च, 2019 तक 1 करोड़ और 2022 तक 2.95 करोड़ नए पक्के मकान बनाने का लक्ष्य रखा गया। इनमें से 51 लाख मकान 31 मार्च, 2018 तक पूरे होने थे, जिनमें इंदिरा आवास योजना के अंतर्गत अधूरे रह गए 2 लाख मकानों का निर्माण भी शामिल है।

ग्रामीण आवास योजना का प्रदर्शन लगातार अच्छा हुआ है और पिछले चार वर्ष में तकरीबन चार गुना बढ़ गया है। 20 नवंबर, 2016 को कार्यक्रम आरंभ होने के बाद लाभार्थी पंजीकरण, जियो-टैगिंग, खाते के सत्यापन आदि की प्रक्रिया में कुछ महीने लगने के बाद भी इतनी प्रगति हो गई है।

पीएमएवाई-जी के अंतर्गत गुणवत्तायुक्त मकानों को जल्द पूरा करने में उस वित्तीय सहायता का योगदान है, जो राज्य स्तर पर मौजूद एकल राज्य नोडल खाते से आईटी-डीबीटी प्लेटफॉर्म के जरिए सीधे लाभार्थी के खाते में पहुंचती है। आईटी-डीबीटी प्लेटफॉर्म से कार्यक्रम का पारदर्शिता भरा, झंझट-रहित और गुणवत्तायुक्त क्रियान्वयन सुनिश्चित हुआ है। पीएमएवाई-जी के तहत लाभार्थियों को भुगतान सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन प्रणाली (पीएफएमएस) के जरिए किया जाता है। प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) के ये प्रभाव हुए हैं: ।

  • आवास निर्माण के समय और खर्च में कमी
  • पारदर्शिता के कारण लाभ के कहीं और अवैध प्रयोग यानी रिसाव पर रोक
  • लाभार्थियों को मिलने वाले वित्त पर नजर रखने में आसानी
  • मकानों का बेहतर गुणवत्ता वाला निर्माण

राज्य सरकारों द्वारा 2016-17 में इलेक्ट्रॉनिक चैकों (रकम अंतरण के ऑर्डर) के जरिए कुल 1,92,58,246 लेन-देन हुए हैं और उनसे सीधे लाभार्थियों के खातों में (5 अप्रैल, 2018 तक) 65,237.50 करोड़ रुपये की सहायता राशि भेजी गई है।

लाभार्थियों की पहचान से लेकर मकान निर्माण के हरेक चरण और निर्माण पूरा होने तक पूरे चक्र पर नजर रखने के लिए अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी और आईटी मंचों का प्रयोग किया जा रहा है। और प्रत्येक चरण की जियो-टैगिंग भी की जा रही है। | ग्रामीण विकास मंत्रालय ने एक प्रदर्शन सूचकांक तैयार किया है, जिसमें पीएमएवाई-जी के तहत प्रगति के विभिन्न पैमाने शामिल हैं। सूचकांक विभिन्न राज्यों, जिलों, ब्लॉकों और ग्राम पंचायतों में विभिन्न पैमानों पर पीएमएवाई-जी की प्रगति पर नजर ही नहीं रखता है बल्कि उनके बीच स्वस्थ स्पर्धा भी कराता है। यह सुधार के क्षेत्र ढूंढने में और राज्यों को कार्यक्रम के क्रियान्वयन में बेहतर प्रदर्शन करने के लिए प्रेरित करने में भी मदद करता है। प्रदर्शन सूचकांक पर राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों और उनके नीचे के निकायों की रैंकिंग वास्तविक समय में की जाती है और राज्यों/ केंद्रशासित प्रदेशों तथा उनके नीचे के निकायों के प्रदर्शन के आधार पर रैंकिंग रोजाना बदलती भी रहती है। हाल ही में जिलों की राष्ट्रीय रैंकिंग आरंभ की गई है, जो जिले के प्रदर्शन को राष्ट्रीय परिदृश्य में रखती है।

पीएमएवाई-जी के तहत शौचालय, रसोईगैस कनेक्शन, बिजली कनेक्शन, पेयजल जैसी सुविधाओं के साथ निर्मित पक्के मकानों से गांवों की तस्वीर तेजी से बदल रही है। कुछ राज्यों में पीएमएवाई-जी मकान समूह/कॉलोनियों में बनाए जा रहे हैं, जो आमतौर पर भूमिहीन लाभार्थियों के लिए हैं और विभिन्न केंद्रीय तथा राज्य योजनाओं को मिलाकर इनमें कई प्रकार की सुविधाएं दी जा रही हैं।

गरीबों को सशक्त बनाने के लिए प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल किया गया है। यूएनडीपी-आईआईटी, दिल्ली अथवा संबंधित राज्यों द्वारा तैयार मकानों के डिजाइन लाभार्थियों को दिए गए हैं, जिनमें से उन्हें अपनी पसंद का मकान चुनना होता है। 15 राज्यों के लिए अभी तक स्थानीय स्थितियों के अनुरूप और स्थानीय स्तर पर उपलब्ध सामग्री का इस्तेमाल कर बनाए जाने वाले मकानों के 168 प्रकार के डिजाइन तैयार किए गए हैं। मकानों के ये डिजाइन किफायती और आपदारोधी हैं और उन्हें केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान, रुडकी ने जांचा है। भवन डिजाइन के इतने बड़े समूह के कारण ग्रामीण क्षेत्रों में विभिन्न डिजाइनों के तकनीकी रूप से उत्तम मकान बने हैं, जो देखने में बहुत सुंदर हैं। इन मकानों से गांवों की तस्वीर ही नहीं बदल रही है बल्कि पूरे देश के गांवों में सामाजिक परिवर्तन भी हो रहा है। गरीबों को सुरक्षित घर मिल रहे हैं और वे गरिमा के साथ जी सकते हैं।

प्रधानमंत्री आवास योजना - ग्रामीण के अलावा रुबेन मिशन ने भी गांवों में शहरी-ग्रामीण क्लस्टर बनाने में योगदान किया है। देश में ग्रामीण क्षेत्रों के बड़े हिस्से अलग-थलग बस्तियों के रूप में नहीं हैं बल्कि आसपास बसी बस्तियों के झुंड के हिस्से हैं। इन झुंडों में वृद्धि की संभावना नजर आती है, ये आर्थिक वाहक रहे हैं और इन्हें स्थान तथा प्रतिस्पर्धा के फायदे मिलते हैं। इसलिए ऐसे झुंडों या क्लस्टरों के लिए अनुकूल नीतियां बनानी चाहिए। इन कलस्टर को विकसित होने के बाद ‘रुर्बन' नाम दिया जा सकता है। इसी बात पर ध्यान देते हुए भारत सरकार श्यामा प्रसाद मुखर्जी रुर्बन मिशन (एसपीएमआरएम) क्रियान्वित कर रही है, जिसका उद्देश्य आर्थिक, सामाजिक एवं भौतिक बुनियादी ढांचागत सुविधाएं प्रदान कर ऐसे ग्रामीण क्षेत्र विकसित करना है। । आर्थिक दृष्टिकोण से इन क्लस्टरों के लाभ देखकर और बुनियादी ढांचागत सुविधाओं के अधिक से अधिक फायदे उठाने के लिए मिशन ने 300 रुर्बन क्लस्टर तैयार करने का लक्ष्य रखा है। इन क्लस्टरों में आवश्यक सुविधाएं दी जाएंगी, जिनके लिए सरकार की विभिन्न योजनाओं को मिलाकर संसाधन जुटाने का प्रस्ताव रखा गया है। इन क्लस्टरों के केंद्रित विकास के लिए इसके बाद क्रिटिकल गैप फंडिंग (सीजीएफ) के जरिए धन प्रदान किया जाएगा। इस मिशन के तहत ये बड़े परिणाम मिलने की आशा है: 1. शहरों और गांवों के बीच आर्थिक, तकनीकी और सुविधाओं एवं सेवाओं से संबंधित खाई पाटना; 2. ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी एवं बेरोजगारी घटाने पर जोर देते हुए स्थानीय आर्थिक विकास को बढ़ावा देना; 3. क्षेत्र में विकास का प्रसार करना; 4 ग्रामीण क्षेत्रों में निवेश आकर्षित करना।

निष्कर्ष

दुनिया भर का खासतौर विकासशील देशों का ध्यान ग्रामीण विकास पर है। भारत जैसे देश के लिए इसका बहुत महत्व है, जहां लगभग 65 प्रतिशत आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है। भारत में ग्रामीण विकास की वर्तमान रणनीति पारिश्रमिक एवं स्वरोजगार के नए कार्यक्रमों के जरिए मुख्य रूप से गरीबी उन्मूलन, आजीविका के बेहतर अवसरों, बुनियादी सुविधाओं की उपलब्धता और बुनियादी सुविधाओं पर ध्यान देना है। ग्रामीण आवास कार्यक्रम ने निश्चित रूप से गरीबी रेखा के नीचे के कई परिवारों को पक्के मकान खरीदने योग्य बनाया है। ग्रामीण आवास योजना से संपत्तियों (प्राकृतिक, भौतिक, मानवीय, तकनीकी एवं सामाजिक पूंजी) तथा सेवाओं की बेहतर उपलब्धता के कारण ग्रामीण जनता की आजीविका में निष्पक्ष तरीके से एवं लगातार सामाजिक एवं पर्यावरणीय सुधार होगा।

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Courtesy: Kurukshetra