(The Gist of Kurukshetra) राष्ट्रिय ग्राम स्वराज अभियान [JULY-2018]


(The Gist of Kurukshetra) राष्ट्रिय ग्राम स्वराज अभियान [JULY-2018]


राष्ट्रिय ग्राम स्वराज अभियान

राष्ट्रिय ग्राम स्वराज अभियान (आरजीएसए) माननीय प्रधानमंत्री जी के स्वप्न ''सबका गांव, सबका विकास को पूरा करने का प्रयास है ताकि मजबूत पंचायतों और प्रभावकारी जन भागीदारी के जरिए ग्रामीण क्षेत्रों में अलग-थलग पड़े लोगों तक पहुंचा जा सके। भारत उन गांवों मेंरहता है जहां लगभग 2 लाख 55 हजार पंचायतें और उनके 31 लाख चुने हुए प्रतिनिधि कार्यरत हैं। इसमें भी लगभग 46 प्रतिशत (1439 लाख) महिलाएं हैं। यद्यपि संविधान ने राज्यों को अधिकृत किया है कि वे पंचायतों को ग्रामीण स्वशासन की संस्थाओं के रूप में अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने के लिए शक्तियों का हस्तांतरण कर सकते , बावजूद इसके इन संस्थाओं की तीन ‘क’ (कार्य कार्यकर्ता और कोष) के क्षेत्र में अधिकार दिए जाने की स्थिति अध्ययनों के अनुसार उत्साहजनक नहीं है। इसका एक कारण निर्वाचित प्रतिनिधियों की अक्षमता और तकनीकी रूप से प्रशिक्षित कर्मचारियों, कार्य हेतु भवन, कंप्यूटर इंटरनेट सुविधा जैसी आधारभूत संरचनाओं के रूप में उचित समर्थन प्रणाली की गैर-मौजूदगी भी है। आरजीएसए ग्रामीण स्वशासी संस्थाओं की इन्हीं कमियों का निराकरण करता है। इस प्रपत्र में आरजीएसए की मुख्य विशेषताओं का उल्लेख है और यह प्रतिपादित करता है कि यह अभियान पंचायतों की बहु-प्रतीक्षित आकांक्षाओं को पूरा करेगा जिससे कि उनकी क्षमता बढ़ने के साथ ही उन्हें स्थानीय आवश्यकताओं के प्रति अधिक संवेदनशील बनाया जा सके और दीर्घकालीन स्थायी विकास (एसडीजी) के रास्ते में आ रही समस्याओं के स्थायी समाधान के लिए उन्हें सहभागिता की आयोजन के काम में लगाया जा सके ।

आरजीएसए के लक्ष्य

आरजीएसए के प्रमुख लक्ष्य हैं : (i) एसडीजी संबंधीविषयों पर पंचायती राज संस्थाओं की शासन कार्यक्षमता का विकास करना (ii) उपलब्ध संसाधनों के सर्वोत्तम उपयोग पर ध्यान देते हुए समेकित ग्रामीण शासन हेतु पंचायतों की क्षमता बढ़ाते हुए राष्ट्रीय महत्व के विषयों का समाधान (iii) स्वयं की आय के स्रोतों का विकास करने की पंचायतों की क्षमता का विकास करना, (iv) जन सहभागिता के मूलमंत्र के रूप में ग्रामसभाओं की प्रभावी कार्यक्षमता को मजबूत करना और ऐसा करते समय पंचायती राज व्यवस्था के अंतर्गत उपेक्षित समूहों पारदर्शिता और जवाबदेही पर ध्यान देना, विभिन्न विकास कार्यों के प्रभावपूर्ण कार्यान्वयन के लिए सहायक प्रावधानों का सहयोग सृजित करना(vi) संविधान की भावना और पेसा । पंचायती राज का अनुसूचित क्षेत्रों में विस्तार) अधिनियम 1996 के अंतर्गत पंचायतों को अधिकारों और दायित्वों का हस्तांतरण (vii) पंचायती राज संस्थाओं के लिए क्षमता निर्माण और उनके प्रयोग को बढ़ावा देने के लिए उत्कृष्टता संस्थानों की श्रृंखला का विकास करना, (viii) विभिन्न स्तरों पर पंचायती राज संस्थाओं की क्षमता वृद्धि के लिए संस्थाओं को मजबूत करना और उन्हें अवसंरचनाओंसुविधाओंमानव संसाधन विकास एवं लक्ष्य पूर्ति आधारित प्रशिक्षण में पर्याप्त गुणवत्ता प्राप्त करने वृद्धि के लिए पंचायतों को सक्षम बनाना जिससे कि स्थानीय के योग्य बनाना, (ix) स्थानीय आर्थिक विकास एवं आय में उत्पादों के प्रसंस्करण और विपणन पर आधारित दीर्घकालिक आय अर्जन जैसी आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा दिया जा सके, (x) प्रशासनिक सक्षमता और बेहतर सेवा प्रदान करने के। लिए पंचायतों में सुशासन को बढ़ावा देने के लिए ई-प्रशासन (गवर्नेस) एवं अन्य तकनीकी आधारित करना, (xi) कार्य निष्पादन के पंचायती राज संस्थाओं को मान्यता एवं प्रोत्साहन देना।

आरजीएसए के अंतर्गत वित्तीय सहायता प्राप्त करने के राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों द्वारा आरजीएसए के अंतर्गत वित्तीय सहायता प्राप्त करने के लिए कुछ शर्त रखी गई हैं। यह इस प्रकार हैं (6) जिन क्षेत्रों में संविधान का भाग IX लागू नहीं हैं, वहां राज्य निर्वाचन आयोग की निगरानी में पंचायतों और स्थानीय निकायों के नियमित रूप से चुनाव कराए जाना, (ii) पंचायतों स्थानीय निकायों में महिलाओं के लिए आरक्षित स्थान 33 प्रतिशत से कम न हों, (iii) प्रत्येक पांच वर्ष के अंतराल पर राज्य वित्त आयोग का गठन और उसकी सिफारिशों के अनुसार की गई कार्रवाई का लेखा-जोखा राज्य विधानसभा को दिया जाएगा, (),सभी जिलों में जिला योजना समितियों का गठन और उन्हें कार्यरत बनाने के लिए आवश्यक दिशा-निर्देशों नियमों को जारी किया जाना, पंचायती राज संस्थाओं के लिए विस्तृत वार्षिक राज्य क्षमता निर्माण योजना तैयार कर उसे केंद्रीय पंचायती राज मंत्रालय को प्रेषित किया जाएगाजनसेवा केंद्रों को ग्राम पंचायत भवनों के आसपास ही बनाया जाना। राज्य घटक के अंतर्गत राज्यों को पंचायती राज संस्थाओं के लिए विस्तृत वार्षिक क्षमता निर्माण योजना तैयार करनी होगी जिसे राज्य अनुमानित आवश्यकताओं के आकलन एवं योजना के विस्तृत घटकों और अनुमानित वित्तीय आवश्यकताओं के अनुरूप तैयार करेंगे।

केंद्रीय सहायता के उप - घटक

केंद्रीय सहायता के अंतर्गत आने वाले उप - घटक है:

तकनिकी सहायता हेतु राष्ट्रिय योजना

तकनीकी सहायता हेतु राष्ट्रीय योजना (एनपीटीएके अंतर्गत आने वाले क्रियाकलाप हैं : (i) कार्यक्रम की योजना प्रबंधन एवं निगरानी (ii) राज्य क्षमता निर्माण योजनाओं के(निर्माण और मूल्यांकन में तकनीकी सहयोग (iii) राष्ट्रीय क्षमता प्रणाली एनसीबीएफ) के अनुरूप क्षमता निर्माण कार्यक्रमों के क्रियान्वयन को सुनिश्चित करना, (iv) राज्यों में प्रशिक्षण क्षमता की गुणवत्ता सुधारने को सुगम बनाने के लिए विभिन्न स्तरों पर प्रशिक्षकों के संसाधन संकुल की स्थापना एवं विकास करना, (v) अन्य मंत्रालयों और राज्यों के बीच कार्यक्रमों की एकरूपता को सुगम करना, (vi) विकेंद्रीकरण और शासन के विभिन्न पहलुओं पर अनुसंधान अध्ययन करवाना, (vii) अच्छी कार्यशैलियों का पड़ोसी राज्यों में परस्पर आदान-प्रदान और सीखनाअभिलेखन एवं प्रसारण(ii) पंचायतों के क्षमता निर्माण एवं सुदृढ़ीकरण से जुड़े तात्कालिक महत्व के मुद्दों पर कार्यशालाएं सम्मेलन करवाना, ix) नई पहलों/विशिष्ट क्रियाकलापों को प्रारंभ करने के लिए विभिन्न संस्थानों/विशिष्ट एजेंसियों को समर्थन देना,(x) आर जीएसए की ऑनलाइन निगरानी और रिपोर्टिग का विकास और उसकी देखरेख (xi) आरजीएसए की विभिन्न योजनाओं की प्रभावशीलता का मूल्यांकन (xii) आरजीएसए के अंतर्गत चल रहे विभिन्न कार्यों के सकल मूल्यांकननिगरानी के लिए एक राष्ट्रीय कार्यक्रम प्रबंधन इकाई (एनएमपीयू) की स्थापना(xiii) उद्देश्यों के लिए अकादमिक संस्थानों / क्षमता निर्माण के क्षेत्र में काम कर रहे राष्ट्रीय संस्थान/राष्ट्रीय ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज संस्थान जैसे उत्कृष्ट संस्थानों के साथ सहयोग-समझौते करना।

राज्य योजना के अंतर्गत क्रियाकलाप

पंचायती राज संस्थाओं का क्षमता निर्माण एवं प्रशिक्षण

निर्माण एवं प्रशिक्षण क्रियाकलापों का आधार निम्नलिखित गतिविधियों के साथ राष्ट्रीय क्षमता निर्माण फ्रेमवर्क (एनसीबीएफ) होगा :

(1) पंचायती राज संस्थाओं के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम में निर्वाचित प्रतिनिधियों, एवं पंचायतकर्मियों के लिए चरणबद्ध संतृप्ति की व्यवस्था, तथापि मिशन अंत्योदय में शामिल की गई ग्राम पंचायतों एवं नीति आयोग द्वारा चिह्नित 115 आकांक्षी जिलों को प्राथमिकता दी जाएगी। (2) पंचायती राज संस्थाओं के लिए ऐसे क्षमता निर्माण एवं प्रशिक्षण कार्यक्रम जिनमें प्राथमिक स्वास्थ्य और टीकाकरण, पोषणशिक्षा, स्वच्छता, जल संरक्षणडिजिटल लेनदेन (भुगतान) जीपीडीपी, सहयोगात्मक योजना इत्यादि, राष्ट्रीय महत्व के विषयों पर जोर दिया जाएगा, (3) शिक्षा संस्थानों /विश्वविद्यालयों/महाविद्यालयों/सिविल सोसाइटी संगठनों के साथ सहयोग समझौते, (4) प्रशिक्षण मॉड्यूलों और सामग्री का विकास- इसमें ई-मॉड्यूलओपन ऑनलाइन पाठ्यक्रममोबाइल
एपमुद्रित सामग्री, अच्छी कार्यशैलियों पर लघु फिल्में और इनके व्यापक प्रचार-प्रसार के लिए हाथ से चलने वाले प्रोजेक्ट एवं अन्य सामग्री (5) निर्वाचित प्रतिनिधियों और पंचायती राज कर्मचारियों को अद्यतन जानकारी देने के लिए राज्य के भीतर और बाहर के स्थानों पर समय-समय पर नियमित एक्सपोज़र उत्कृष्ट ज्ञानार्जन केंद्र पियर लर्निग सेंटर्स पीएलसी)/ इमर्थन साइट्स के तौर पर आदर्श पंचायतों का विकास (6) क्षमता निर्माण के ऐसे स्थानीय संस्थानों को सहायता जो अनुसूची-VI क्षेत्रों सहित ऐसे क्षेत्र जहां संविधान का भाग I में स्थित हैं, ग्राम परिषदों और स्वायत्तशासी जिला परिषदों में स्थानीय शासन को सुगम बनाए ।

पंचायत को ई-सक्षम बनाना

पंचायती राज मंत्रालय द्वारा ई-पंचायत मिशन मोड परियोजना के अंतर्गत विकसित पंचायत एंटरप्राइज सूट (पीईएस (ई-एप्लिकेशनही कामकाज चलाने और सेवा प्रदान करने के लिए पंचायतों की प्रभावशीलता को बढ़ाने के लिए ई-सक्षमता का आधार बनेगा। ई-गवर्नेस के लिए राज्य की ओर से की जाने वाली किसी भी पहल को पीईएस से सहायता देकर उसे इसके साथ जोड़ा जाएगा। राज्यों को यह सुनिश्चित करना होगा कि वे सामान्य जनसेवा केंद्रों (सीएससीकी स्थापना ग्राम पंचायत भवनों के साथ ही करें। इससे ग्राम पंचायतों को स्थानीय स्वशासन के लिए एक प्रभावी संस्था के रूप में जाना जाएगा और उन्हें जन-आधारित सेवा केंद्रों के तौर पर देखा जा सकेगा।

पांचवीं अनुसूची वाले क्षेत्रों में ग्रामसभाओं को मजबूत बनाना

पांचवीं अनुसूची वाले क्षेत्रों में ग्रामसभाएं पंचायतों के कामकाज की आधारशिला हैं। राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अभियान के तहत पांचवीं अनुसूची वाले क्षेत्रों में ग्रामसभाओं को सुदृढ़ किया जाना है और इसके लिए मानव संसाधन सहयोग, ग्रामसभा व पंचायती राज संस्थाओं का क्षमता निर्माण और मजबूत करने अभिविन्यास और स्वैच्छिक संगठनों/एनजीओ या सक्षम संस्थाओं के माध्यम से। ग्रामसभाओं व पंचायत राज संस्थाओं को सुदृढ़ करने में मदद दी जाएगी।

सूचना, शिक्षा और संचार आईईसी)

पंचायतों के जरिए बेहतर अभिशासन के लिए विस्तृत संचार रणनीति बेहद महत्वपूर्ण है और इसीलिए विभिन्न प्रकार की आईईसी गतिविधियां संचालित की जा रही हैं जो इस प्रकार हैं: (1) पूरे राज्य में ग्रामोदय से भारत उदय अभियान या पंचायत सप्ताह पखवाड़ा के माध्यम से सूचनाशिक्षा और तथा व्यवहार परिवर्तन संचार (आईईसी-बीसीसी) अभियान(2) पंचायतों के अच्छे तौरतरीकों और नवोन्मेष का प्रदर्शन(3) सोशल मीडिया, मोबाइल एपदृश्य-श्रव्य मीडियाकम्युनिटी रेडियो का उपयोग (4) टेलीविजन चैनलों में विशेष कार्यक्रमों / फीचरों का प्रसारण, (5) पंचायतों और सरकारी कार्यक्रमों के फायदों के बारे में सांस्कृतिक गतिविधियों, प्रदर्शनियों, मोबाइल वैन के जरिए सूचनाओं का प्रसार(6) संचार सामग्री, जिसमें सामग्री का प्रकाशन और मुद्रण भी शामिल है, और इलेक्ट्रॉनिक व सोशल मीडिया सामग्री के लिए राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अभियान से धन की व्यवस्था की जाएगी।

ग्राम पंचायत स्तर पर सूक्ष्म परियोजनाओं के लिए गैप फंडिंग

संविधान के अनुच्छेद 243जी के अनुसार पंचायतों से अपेक्षा की जाती है कि वे संविधान की 11वीं अनुसूची में शामिल 29 विषयों समेत विभिन्न आर्थिक और सामाजिक विषयों के बारे में विकास योजनाएं बनाएंगी। इस अनुच्छेद की भावना को ध्यान में रखते हुए पंचायतों/पंचायत-क्लस्टारों की परियोजनाओं को राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अभियान से सहायता मिलेगी ताकि समूचे इलाके का समन्वित रूप से विकास हो सके। इसकी गतिविधियां अन्य बातों के अलावा विनिर्माण/प्रसंस्करण, उत्पाद विकास स्थानीय बाजार विकास और साझा सुविधा केंद्रों की स्थापना, औषधीय पौधों की खेतीगैर-खाद्य वस्तुओं की खेतीबागवानी, पर्यटन विकास समेत गौण कृषि/ लघु उत्पादों के विपणन से संबंधित होंगी। पंचायती राज मंत्रालय से मिलने वाला धन ऐसी महत्वपूर्ण कमियों को दूर करने के लिए ही सीमित होगा, जिनके लिए किसी अन्य योजना से धन जुटाना संभव नहीं है या जिसमें किसी महत्वपूर्ण क्षेत्र में ज्यादा संसाधन जुटाने की आवश्यकता है।

पंचायतों को तकनीकी सहायता

राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अभियान के तहत यह एक अत्यंत महत्वपूर्ण प्रावधान है क्योंकि गांवों के स्तर पर तकनीकी जनशक्ति की कमी है। अभियान के तहत दी जाने वाली सहायता का उपयोग इनमें किया जाएगाः (1) ग्राम पंचायत/कलस्टर स्तर पर सेवाओं/ तकनीकी कर्मचारियों को उपलब्ध कराने में किया जाएगा, (2) मददगार कर्मचारी/आईटी, लेखा कार्य, कॉमन सेवा केंद्रों को कुछ कार्य आउटसोर्स करनेस्वसहायता समूहों के प्रशिक्षणक्लस्टर रिसोर्स पर्सस की सेवाएं लेने में, और (3 ) 10 हजार से कम आबादी वाले क्लस्टरों के स्तर पर ग्राम पंचायतों के लिए कर्मचारियों को काम पर लगाने के लिए इन सबको आउटसोर्सिग आधार पर काम पर रखा जाएगा।

ग्राम पंचायत भवन

पंचायत भवनों के बिना पंचायतों का ग्रामीण सरकार के रूपमें कार्य करना बड़ा मुश्किल है। राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अभियान में इस बारे में भी एक अत्यंत महत्वपूर्ण प्रावधान उपलब्ध है। राज्यों से अपेक्षा की जाती है कि वे ग्राम पंचायतों की इमारतों और सामुदायिक हॉल के लिए विभिन्न स्रोतों से धन उपलब्ध कराएंगे और इस बात का खास ध्यान रखेंगे कि यह महात्मा गांधी नरेगा के प्रावधानों के अनुरूप हो। लेकिन अगर अन्य योजनाओं से धन नहीं जुटाया जा सका तो ग्राम पंचायत की इमारतों और सामुदायिक हॉल के निर्माण मरम्मत के लिए वित्तीय सहायता दी जाएगी।

कार्यक्रम प्रबंधन

राज्यों के पंचायती राज विभागों की मदद के लिए राज्य-स्तर पर कार्यक्रम प्रबंधन इकाइयां गठित की जा सकती हैं जो राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अभियान के नियोजनकार्यान्वयन और निगरानी का कार्य कार्यक्रम प्रबंधन की लागत के भीतर ही करेगी। इसमें क्षमता निर्माणपंचायती राज व सामाजिक विकाससूचना शिक्षा और संचार, निगरानी व मूल्यांकन आदि के क्षेत्र में विशेषज्ञता और अनुभव वाले पेशेवर लोगों को लगाया जा सकता है। राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अभियान की निगरानी राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर गठित विभिन्न समितियों द्वारा की जाएगी।

निष्कर्ष

राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अभियान स्वयं भी विकास के चरण में है। इसके अंतर्गत किए गए प्रावधान आधुनिक संदर्भ में बड़े प्रासंगिक हैं। हाल में ग्रामीण विकास मंत्रालय ने ग्रामीण विकास कार्यक्रमों के बेहतर नतीजों के लिए कार्यनिष्पादन पर आधारित भुगतान’ नाम की एक रिपोर्ट जारी की है। इसमें अन्य बातों के अलावा इस पर भी जोर दिया गया है कि सक्षम ग्राम पंचायतें ग्रामीण विकास कार्यक्रमों का कारगर तरीके से कार्यान्वयन कर सकती हैं और पंचायतों को सक्षम बनाने के लिए न सिर्फ प्रशिक्षण की आवश्यकता है, उपयुक्त कर्मचारियों और बुनियादी ढांचे के में सहायक प्रणाली की भी आवश्यकता है। राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अभियान इन सब मुद्दों पर आधुनिकम स्तर पर विचार करता है। यह कहा जा सकता है कि लागू किए जा चुके या लागू किए जा रहे विभिन्न कार्यक्रमों के अनुभवों को राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अभियान में शामिल कर लिया गया है। इस अभियान को कितने प्रभावी तरीके से लागू किया जाएगा, यह पंचायतों के 30 लाख से अधिक निर्वाचित प्रतिनिधियों की सक्रियता पर निर्भर करेगा। अगर वे पूरी तत्परता और जागरूकता से कार्य नहीं करेंगे तो बागडोर राजनेताओं और अफसरशाहों के हाथ में चली जाएगी और राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अभियान बाकी कार्यक्रमों की तरह महज खानापर्ति बन कर रह जाएगा।

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Courtesy: Kurukshetra