(The Gist of Kurukshetra) कृषि विकास पर टिका ग्रामीण विकास [June-2018]


(The Gist of Kurukshetra) कृषि विकास पर टिका ग्रामीण विकास [June-2018]


कृषि विकास पर टिका ग्रामीण विकास

125 करोड़ से अधिक जनसंख्यां वाले विशाल देश में अधिसंख्य किसान अभी भी परम्परागत खेती कर रहे है। खेती ही नहींअधिकांश किसान आज के दौर में पशुपालन और कृषि से जुड़े अन्य बहुतायत व्यवसाय भी परंपरागत तरीके से ही कर रहे हैं। आधुनिक तकनीकों और कृषि उपकरणों की मौजूदगी के बावजूद खासतौर पर तंगहाल छोटे किसान उनका लाभ नहीं उठा पा रहे हैं। वे घाटे की खेती करते हुए ऐसे दुष्चक्र में उलझे हैं कि ज्ञान और कौशल से वंचित रह जाते हैं। खेती और कृषि से संबंधित अन्य व्यवसायों को समेकित रूप से अधिक लाभकारी बनाने के लिए कौशल विकास पर सरकार संजीदा है। आवश्यकता इस बात की है कि सरकारी योजनाओं और उनके लाभों की उन्हें सही जानकारी उपलब्ध कराई जाए !

कृषि उत्पादकता बढ़ाने संबंधी सरकारी प्रयास

उत्पादकता बढ़ाने के लिए उत्तम बीज की उपलब्धता, मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन के लिए मृदा स्वास्थ्य कार्ड. उर्वरकों से जुड़ी सरकारी नीतियांसिंचाई जल की उपलब्धता और प्रति बूंद पानी से अधिक उपज का लक्ष्य अर्थात् पानी का किफायती एवं अधिक कारगर उपयोगविपणनबीमा, लैंड लीजिंग और पूर्वोत्तर भारत पर फोकसविभिन्न मदों में किसानों एवं ग्रामीण लोगों को डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) जैसी योजनाओं के तहत फायदा पहुंचाने की पहल की गई है। किसानों को प्रति इकाई क्षेत्रफल से अधिकतम लाभकारी उपज प्राप्त करने के लिए वैज्ञानिक तकनीकी से जोड़ा जा रहा है। मेरा गांव मेरा गौरव' जैसे प्रयास से किसान लाभान्वित होंगे। कृषि सिंचाई योजनाओं को मिशन मोड में ले लिया गया है। बजट 2018-19 में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के लिए नौ हजार करोड़ रुपये का प्रावधान किए जाने से फसल की सुरक्षा का दायरा बढ़ेगाफार्म लोन टारगेट नौ लाख करोड़ से बढ़ाकर 10 लाख करोड़ रुपये करने एवं कृषि ऋण लक्ष्य को एक लाख करोड़ रुपये से बढ़ाकर 10 लाख करोड़ रुपये करने की घोषणा से किसानों को सस्ता ऋण मिल सकेगा। लांग टर्म इरीगेशन फंड योजना उन राज्यों के लिए अच्छी साबित होगी, जहां पानी की किल्लत है। गरीबी से निजात दिलाने वाले प्रस्ताव से गांव खुशहाल होंगे ।

पिछले तीन बजटों में खाद्यान्न उत्पादन बढ़ाने और किसानों की आय बढ़ाने के सार्थक उपाय किए गए हैं। इन प्रावधानों से पटरी पर लौटी खेती को और रफ्तार मिलेगी। इसमें कृषि से जुड़े पांच मुद्दों को प्रमुखता से शामिल किया गया है।

  • उत्पादन बढ़ाने के लिए तमाम जरूरी प्रयास
  • किसानों को फसलों के बेहतर मूल्य दिलाने की नीतियां
  • पट्टे पर भूमि देने की नीतियों में सुधार प्राकृतिक आपदाओं से त्वरित राहत के लिए तंत्र का निर्माण

पूर्वोत्तर राज्यों में हरितक्रांति के प्रसार के लिए पहल किसानों, गरीबों एवं जरूरतमंदों के लाभार्थ क्षेत्र विशेष की कृषि समस्याओं के समाधान हेतु चलाई गई विशिष्ट परियोजनाओं द्वारा समस्याग्रस्त अम्लीयलवणीय एवं क्षारीय भूमि का सुधार कर कृषि योग्य बनाने तथा मृदा स्वास्थ्य में आए विकारों को दूर कर फार्मजनित निवेशों (गोबर, कूड़े की खाद, कम्पोस्ट, पशुशाला की खादहरी खाद, फास्फो सल्फो नाइट्रो कम्पोस्ट, फसल अवशेषों का संरक्षण एवं सदुपयोग आदि) के उपयोग को बढ़ावा देने हेतु सहायता एवं मार्गदर्शनशुष्क कृषि वाले क्षेत्रों की उत्पादकता बढ़ाने के लिए सिंचाई साधनों का सृजनचैकडैमविशाल कुओं का निर्माण एवं जल समेट क्षेत्र पर आधारित परियोजनाएं छोटे एवं सीमांत क्षकों में आशा की नई ज्योति जगाने में कारगर साबित

कषि जिंसों का वाजिब दाम : लंबे समय से अटकी केसानों की मांग को पूरा करने के लिए सरकार ने रबी 2018-19 से विभिन्न कृषि जिंसों पर किसानों को उनके उत्पाद का कृषि लागत से 50 प्रतिशत ज्यादा न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) देने का ऐलान किया है। परंतु बजट में इसके लिए कितनी राशि का आवंटन किया जाएगा इसकी बात नहीं की गई, जिसकी वजह से सरकार के इस लोक-लुभावन कदम पर सवाल उठ रहे हैं। सरकार द्वारा समय-समय पर यह स्पष्ट किया गया है कि हम सिर्फ एमएसपी की घोषणा नहीं करना चाहते बल्कि एमएसपी का लाभ किसानों तक पहुंचाने का भी कार्य कर रहे हैं। यद्यपि सरकार के प्रयासों से विगत 4 वर्षों में दाल, तिलहनधान, गेहूं जैसी फसलों की खरीददारी में वृद्धि हुई , इसे नकारा नहीं जा सकता है। परंतु यह वृद्धि आशा के अनुरूप नहीं है। हां, वित्तमंत्री ने समर्थन मूल्य पर खरीदी न होने पर चिंता व्यक्त करते हुए यह जरूर कहा कि यदि बाजार में दाम एमएसपी से कम हों तो सरकार या तो एमएसपी पर खरीद करे या किसी अन्य व्यवस्था के अंतर्गत किसान को पूरी एमएसपी दिलाने की व्यवस्था करे। इस दिशा में केंद्र सरकार नीति आयोग एवं राज्य सरकारों के साथ चर्चा कर पुख्ता व्यवस्था करेगी, जिससे किसानों को उनकी उपज का उचित दाम मिल सके, ऐसा कहा गया है।

कृषि मंडियों के लिए नए सुधारों की शुरुआत : किसानों को उनकी उपज का सही दाम दिलवाने के उद्देश्य से कृषि मंडियों के लिए नए सुधारों की शुरुआत की गई है। वर्ष 2018 - 19 में 2000 करोड़ के कृषि बाजार विकास फण्ड की घोषणा की गई है जोकि कृषि विपणन में खुदरा बाजार की अहमियत को दर्शाता है।

आपरेशन ग्रीन : पूरे देश में टमाटर, प्याज, आलू का साल भर किया जाता है। जैसाकि हम सब जानते हैं कि आजादी के बाद से अब तक बिचौलियों के कारण कृषि जिंसों की खरीद हो जाने के बाद इनके मूल्य आसमान छूने लगते हैं। ऐसी मूल्य वृद्धि हर वर्ष किसी न किसी जिंस के लिए अवश्य ही देखने को मिलती है एरिणामस्वरूप किसान और उपभोक्ता दोनों को ही इसका खामियाजा झेलना पड़ता है। सरकार ने पहली बार वर्ष 2018-19 से आपरेशन ग्रीन के नाम से एक नई पहल शुरू करने की घोषणा की है जिससे किसानों को उनकी उपज का सही मूल्य तथा उपभोक्ताओं को ये उत्पाद वाजिब दामों में उपलब्ध हो सकेंगे ।

किसान उत्पादक संगठन/किसान उत्पादक कंपनी (PTPC) : सभी प्रकार के किसान उत्पादक संगठनों जिसमें किसान उत्पादक कंपनियां भी शामिल हैं, उन्हें इनकम टैक्स छूट का लाभ दिया गया है। इसका लाभ लघु एवं सीमांत किसान भी किसान उत्पादक संगठन और किसान उत्पादक कंपनियां बनाकर उठा सकेंगे। वहीं दूसरी ओरजमीन के बंटवारे की समस्या से उत्पन्न छोटी जोतों से भी निजात मिल सकेगा।

फसल अवशेष प्रबंधन : दिल्ली में प्रदूषण के मद्देनजर हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश एवं दिल्ली सरकार को फसल अवशेष के स्थानीय प्रबंधन हेतु भी मदद की जाएगी। औषधीय तथा सगंध फसलों की खेती : हमारे देश में औषधीय तथा सगंध फसलों की खेती के लिए भी अनुकूल कृषि जलवायु क्षेत्र उपलब्ध है। इस प्रकार की खेती को भी बढ़ावा दिए जाने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं। इससे न सिर्फ किसानों वरन लघु एवं सीमांत उद्योगों का विकास भी हो सकेगा।

जैविक कृषि : इस जैविक कृषि के सफल कार्यान्वयन के लिए क्लस्टर आधारित खेती की जाएगी तथा इसे बाजारों से भी जोड़ा जाएगा। कृषि उत्पादक संगठनों एवं ग्रामीण उत्पादक संगठनों के माध्यम से जैविक कृषि को भी बढ़ावा देने की बात कही गई है। प्रत्येक समूह या संगठन के 1000 हेक्टेयर के क्लस्टर होंगे। ये अच्छी पहल है, परंतु इस क्षेत्र में निष्कर्षात्मक शोध एवं विकास की गहन आवश्यकता ,है।

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क्लस्टर- आधारित खेती को बढ़ावा : कृषि उत्पादों को चिन्हित कर क्लस्टर आधारित जिलों का विकास किया जाएगा । ताकि उत्पादन से लेकर मार्केटिंग तक की संपूर्ण श्रृंखला का लाभ किसानों को मिले। यही नहींजिलेवार बागवानी फसलों के लिए भी क्लस्टर-आधारित खेती को बढ़ावा दिया जाएगा। इसके लिए खाद्य-प्रसंस्करण एवं वाणिज्य मंत्रालय के साथ भी समन्वय स्थापित किया जाएगा ।

कृषि आधारित उद्योगों को बढ़ावा

मछली पालन : मत्स्य क्षेत्र की संभावनाओं को देखते हुए सरकार ने नील क्रान्तिः समन्वित विकास और मत्स्य प्रबन्धन के नाम से मछली पालन के लिए पांच साल की योजना तैयार की है। जिसमें 2020 तक मछली का उत्पादन 15 करोड़ टन तक पहुंचाने का लक्ष्य है।
मधुमक्खी पालन : रोजमर्रा की जिंदगी में शहद के बढ़ते प्रचलन के चलते मधुमक्खी पालन भी किसानों की आमदनी में अहम भूमिका निभा रहा है। यही नही, यह भी प्रमाणित हो चुका है कि खेतों में मधुमक्खी पालन से फसल उत्पादन में भी अच्छी-खासी बढ़ोत्तरी होती है। अभी भारत दुनिया के शहद उत्पादक देशों में 9वें स्थान पर है।

मुर्गी पालन : यह सर्वाधिक सफल पूरक व्यवसाय है जो कृषि, पशुपालन या अन्य पेशेवर कार्यो के साथ समानांतर कमाई के व्यवसाय है। इस समय कुक्कुट उत्पादों को घरेलू मांग मौजूदा उत्पादनो की तुलना में अंडे की चार गुना और मीट की 6 गुना से अधिक है।

रेशमकीट पालन : भारत सरकार रेशम उत्पादन में प्रोत्साहन, विस्तारउन्नयन, संरक्षण और तकनीकी अनुप्रयोगों के लिए विभिन्न योजनाएं संचालित कर रही है। इसके लिए किसानों के सामूहिक प्रशिक्षण के अलावा राष्ट्रीय अनुसंधान विकास निगम केंद्र प्रायोजित उद्यमिता विकास कार्यक्रम संचालित कर रहा है। आवश्यकता आधारित कार्यक्रमों के अलावा एकीकृत कौशल विकास योजना के तहत भी रेशमपालकों को प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है।

खुंबी उत्पादन : सामान्य तौर पर लगभग 9-10 कि.ग्रा. प्रतिवर्ग मीटर में निकलती है। प्रति 10 कि.ग्रा. कम्पोस्ट से 12-15 कि.ग्रा. खुम्बी प्राप्त की जा सकती है। उपयुक्त तापमान और नमी एवं उचित रखरखाव अधिक पैदावार बढ़ाने में सहायक होते है। किसानों को प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के तहत उन्नत ख्जी उत्पादन की तरकीबों की आवश्यकता है।

राष्ट्रीय बांस मिशन : कृषि तथा गैर-कृषि क्रियाकलापों को बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय बांस मिशन को नए अवतार में 1290 करोड़ रुपये की निधि के साथ प्रस्तावित किया गया है। इसके माध्यम से न सिर्फ छोटे उद्योगों की स्थापना की जा सकेगी वरन् नए रोजगार भी पैदा हो सकेंगे।

मॉडल लैंड लाइसैंस कल्टीवेटर एक्ट : सरकार ने वर्ष 2018-19 के बजट में ‘माडल लैंड लाइसेंस कल्टीवेटर एक्ट' की भी घोषणा की है जिसके माध्यम से बंटाईदार तथा जमीन को किराए पर लेकर खेती करने वाले छोटे किसानों को भी संस्थागत ऋण व्यवस्था का लाभ मिल सकेगा। इसके लिए नीति आयोग राज्य सरकारों के साथ मिलकर आवश्यक कार्यवाई करेगा।

किसानों की आय दोगुनी करने के उपाय

आजीविका सुरक्षा के लिए बागवानी को बढ़ावा : सरकार के अगले पांच वर्षों में किसानों की आमदनी दोगुनी करने के संकल्प में बागवानी फसलों की महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है। बागवानी फसलों की खेती से रोजगार के अवसर बढ़े हैं। साथ ही लघु और सीमांत किसानों की आय में वृद्धि हो रही है। सब्जियां अन्य फसलों की अपेक्षा प्रति इकाई क्षेत्र से कम समय में अधिक पैदावार देती हैं। एक खेत से एक वर्ष में 3 से 5 सब्जियों की फसलें लेकर किसान अपनी कमाई बढ़ा सकते हैं। कुछ सब्जियों से निर्मित कई महंगे खाद्य पदार्थ जैसे अचार, मुरब्बा, चटनी, पेस्ट, पाउडर मिठाईयां बनाकर आय बढ़ाई जा सकती है । इसके अलावा कौशल विकास के तहत प्रशिक्षित होकर वे सब्जियों का प्रसंस्करण कर अधिक लाभ प्राप्त कर सकते हैं।

विदेशी सब्जियां : सब्जियों में ब्रोकोली, ब्रुसेल्सस्प्राउटस चायनीज कैबेजलीक पार्सले, सेलरीलैटूसचैरीटमाटररेड कैबेजएसपैरागस आदि प्रमुख हैं। ये सब्जियां विशेष रूप से सर्दियों के मौसम में उगाई जाती हैं। इन सब्जियों की मांग बढ़े शहरों के पांच सितारा होटलों और पर्यटक स्थलों पर अधिक है। यदि किसानों को कौशल विकास योजना के तहत प्रशिक्षित कर दिया जाए तो निश्चित रूप से वे विदेशी सब्जियों की खेती से अधिक आय अर्जित कर सकते हैं और यह उनकी आजीविका का बनने में सहायक साबित होगा

जैविक खेती : आजकल सब्जियों की जैविक खेती का बढ़ता जा रहा है। जैविक खेती में सब्जियों को जैविक खादों के सहारे व बिना कीटनाशियों के पैदा किया जाता है। इस प्रकार की सब्जियों के दाम निश्चित रूप से रासायनिक उर्वरकों व कीटनाशक दवाओं का प्रयोग करके उगाई गई सब्जियों की अपेक्षा अधिक रहते हैं। आज उपभोक्ता अपने स्वास्थ्य की चिंता करते हुए अच्छे गुणों वाली सुरक्षित सब्जियों को ऊंचे दाम पर खरीदना पसंद करता है। जैविक सब्जी उत्पादन का क्षेत्र बड़ी तेजी से आगे बढ़ रहा है। इसके अलावा सब्जियोंफलों और फूलों से आर्गेनिक रंग भी बनाए जाते हैं जो न केवल शुद्ध सस्ते व खुशबूदार होते हैं बल्कि हमारी त्वचा के लिए भी सुरक्षित होते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में आर्गेनिक फार्मिग को बढ़ावा देने के लिए नाबार्ड सहित कई सरकारी व गैर-सरकारी संस्थान कार्यरत हैं। वर्ष 2015-16 से पूर्वोत्तर राज्यों में हो रही बागवानी फसलों की जैविक खेती को प्रोत्साहन देने के लिए हर वर्ष का अलग से प्रावधान किया जा रहा है।

फूलों से रोजगार : किसान फूलों की खेती द्वारा अपनी आय कई गुना बढ़ा सकते हैं। गेंदा और गुलाब महत्वपूर्ण व्यावसायिक फूल हैं। आज देश के अनेक भागों में कट फ्लावर व लूज दोनों की काफी मांग है। इसी प्रकार रजनीगंधा व गलैडिओलस फूलों की खेती करके ग्रामीण क्षेत्रों में व्यापक बेराजगारी को दूर किया जा सकता है। ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि योग्य भूमि की कमी व कम आमदनी की वजह से रोजगार के अवसर कम होते जा रहे हैं। ऐसे में फलों की खेती को रोजगार के रूप में अपनाया जा सकता है।

खाद्य प्रसंस्करण : उल्लेखनीय है कि खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र प्रति वर्ष 8 प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है। खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय के लिए बजट वर्ष 2017-18 के 715 करोड़ रुपये के मुकाबले वर्ष 2018-19 में दुगुना कर 1400 करोड़ रुपये कर दिया गया। टमाटर, आलूप्याज के उत्पादकों के लिए ऑपरेशन ग्रीन शुरू किया जा रहा है जिसमें भंडारण, प्रसंस्करणविपणन की सुविधाएं किसानों को उपलब्ध होंगी। यदि ये ऑपरेशन सही दिशा में दिल्ली से निकलकर गांव तक हकीकत में उतर जाता है तो इन फसलों के किसानों को निश्चित लाभ होगा। खरीद के मानकों पर सरकार ने नीति आयोग और राज्य सरकार को जिम्मा देने की बात की है।
महिला किसान सशक्तीकरण : महिला किसान सशक्तीकरण परियोजना के माध्यम से निम्नलिखित पहलुओं पर ध्यान दिया जा रहा है--

  1. महिलाओं की कृषि कार्यों से होने वाली शुद्ध आय को निरंतर बढ़ाना।
  2. कृषक महिलाओं और उनके परिवारों की खाद्य एवं पोषण सुरक्षा में सुधार करना।
  3. खेती के तहत क्षेत्रफलफसल तीव्रता तथा खाद्य उत्पादन में
  4. महिलाओ की कृषि कार्यों में कौशल तथा क्षमताओं को विकसित करना।
  5. महिलाओं की कृषि संबंधित उपयोगी जानकारियों जैसे उपजाऊ भूमि, कृषि ऋणप्रौद्योगिकी एवं अन्य सूचनाओं इत्यादि तक पहुंच को बढ़ाना;
  6. कृषि उत्पादों के बेहतर विपणन हेतु बाजार संबंधी जानकारियों की पहुंच में वृद्धि।

संक्षेप मेंकृषि उत्पादों की विपणन प्रणाली को बेहतर बनाने के लिए सरकार एकीकृत कृषि विपणन योजना और ई-प्लेटफार्म लेकर आई है। इससे किसान आसानी से अनाजसब्जियांफल जैसे उत्पाद बाजारों तक पहुंचा पाएंगे। प्रत्येक ग्राम पंचायत को 80 लाख रुपयेकिसानों को नौ लाख करोड़ रुपये का ऋण बांटने जैसी सौगातों के साथ मोदी सरकार का पांच साल में किसानों की आमदनी दोगुनी करने का लक्ष्य है। इन सभी पहलुओं पर कौशल विकास योजना के तहत प्रशिक्षण का लाभ उठाया जा सकता है। लेखक इंटरनेशनल प्लांट न्यूट्रीशन इंस्टीट्यूटइंडिया प्रोग्राम के पूर्व निदेशक तथा चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के मृदा एवं कृषि रसायन विभाग के पूर्व प्राध्यापक एवं अध्यक्ष रहे हैं।

UPSC सामान्य अध्ययन प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा (Combo) Study Kit 2018

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Courtesy: Kurukshetra