(The Gist of Kurukshetra) राष्ट्रीय सामजिक सहायता कार्यक्रम [June-2018]


(The Gist of Kurukshetra) राष्ट्रीय सामजिक सहायता कार्यक्रम [June-2018]


राष्ट्रीय सामजिक सहायता कार्यक्रम

राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम के तहत सरकार गरीबी रेखा से नीचे के परिवारों के 3 करोड़ से अधिक बुजुर्गोंविधवाओं और दिव्यांग लाभार्थियों को प्रत्यक्ष हस्तांतरण के लिए प्रतिबद्ध है। राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम के तहत अभावों से जूझ रहे परिवारों तक नकद हस्तांतरण की सुविधा खाद्य सुरक्षा और स्वास्थ्य बीमा समेत समग्र सामाजिक सुरक्षा का एक महत्वपूर्ण भाग है।

वर्ष 2016 में एनएसएपी योजना को सर्वाधिक महत्वपूर्ण योजना के तहत लाने का जब से रणनीतिक फैसला लिया गया तब से केंद्र सरकार योजना की शत-प्रतिशत जरूरतें पूरी करने के लिए वित्तीय प्रतिबद्धता को लगातार बढ़ा रही है। वित्तवर्ष 2018-19 के लिए एनएसएपी योजना को 9975 करोड़ रुपये आवंटित किए गए जो वर्ष 2014-15 के दौरान 7241 करोड़ रुपये के रुपये आवटित किए 1 में आवंटित बजट से 38 प्रतिशत है। वित्तवर्ष 2017-18 के अधिक दौरान एनएसएपी तहत /केंद्रशासित प्रदेशों को 8696 करोड़ के राज्यों रुपये की राशि जारी की गई जो वर्ष 2014-15 के दौरान जारी राशि से 23 प्रतिशत अधिक है।

योजना में पारदर्शिता बढ़ाने और कमियां हटाने के लिए सरकार ने कई कदम उठाए हैं। एनएसएपी के तहत लाभार्थियों के आंकड़े एनएसएपीपीपीएस पर डिजिटल फार्म में रखे गए हैं। योजना के तहत 173 लाख लाभार्थियों के आधार उनकी सहमति से जोड़े-नंबर गए करने का फैसला लिया हैं। सरकार ने आधार आधारित व्यवस्था (एबीपीएस) स्वीकार करने की तारीख बढ़ाकर 30 जून 2018 है।

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इस दिशा में तेजी लाते हुए डिजिटल लेन-देन की सुविधा बढ़ाने के लिए लाभार्थियों की सहमति से आधार-आधारित भुगतान व्यवस्था लागू करने का उद्देश्य है ताकि किसी भी तरह की संभावित कमियों को पूरी तरह से दूर किया जा सके। आधार आधारित व्यवस्था से बुजुगोंविधवाओं और दिव्यांग लोगों को विशेष लाभ होगा चूंकि बैंक/डाकघर के जरिए उनके खाते में सीधे भुगतान पहुंचाया जाता है। वित्तीय वर्ष 2017-18 की शुरुआत में सिर्फ 6 राज्यों केंद्रशासित प्रदेशों गुजरात, लक्षद्वीप, बिहारदादर एवं नगर हवेलीदमन एवं द्वीपझारखंड और महाराष्ट्र में ही डिजिटल लेनदेन के जरिए एनएसएपी सहायता पहुंचाई गई और प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण के जरिए एक 173 करोड़ लेनदेन दर्ज किए गए। 31 मार्च2018 को समाप्त वित्तीय वर्ष में विशेष कोशिश के तहत आंध्र प्रदेश, असम बिहार, छत्तीसगढ़दमन एवं द्वीपदादर एवं नगर हवेलीदिल्ली, गुजरातहरियाणा, झारखंडलक्षद्वीप, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, मेघालय पुडुचेरीराजस्थानतमिलनाडुतेलंगाना, त्रिपुरा और उत्तर प्रदेश जैसे 20 राज्यों /केंद्रशासित प्रदेशों में प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण के जरिए 1073 करोड़ लेन-देन हुए। अत2016-17 में डीबीटी के जरिए डिजिटल लेन-देन की तुलना में 2017-18 में 520 प्रतिशत लेन-देन की बढ़ोतरी दर्ज की गई। वर्ष 2017-18 में 679170 करोड़ रुपये मूल्य के डिजिटल लेन-देन किए गए जो इस साल जारी रकम का लगभग 78 प्रतिशत है।

राष्ट्रीय दिव्यांगता पेंशन योजना के तहत मासिक सहायता 300 से बढ़ाकर 500 रुपये प्रति महीना करने के अलावा अन्य ग्रामीण विकास कार्यक्रमों में भी दिव्यांग लोगों के लिए विशेष प्रावधान किए गए हैं। एमजीएनआरइजीए के तहत कार्यस्थलों पर पेयजल उपलब्ध करानेपालनाघर की व्यवस्था इत्यादि में दिव्यांग लोगों को काम दिलाने को प्राथमिकता दी गई है। दिव्यांग मजदूरों को अन्य मजदूरों के बराबर ही मजदूरी दी जाती है। दिव्यांग मजदूरों को उनके अनुसार उचित काम के चुनाव जैसी कई और छूट दी गई हैं। वित्तवर्ष 2017-18 में एमजीएनआरइजीए के तहत लगभग 47 लाख दिव्यांग मजदूरों को रोजगार उपलब्ध कराया गया।

डीडीय के के प्रत्येक के लिए लोगों का बढ़ाने के कम से कम ग्रामीण कौशल योजना निर्देशों अनुसार राज्य कौशल लक्ष्य का 3 प्रतिशत कौशल विकास लक्ष्य दिव्यांगों के लिए सुनिश्चित किया जाना जरूरी है। योजना के तहत दिव्यांग योजनाओं लिए पृथक इस के प्रशिक्षण केंद्र हो सकते हैं और नियमित परियोजना से अलग इनकी लागत भी अलग हो सकती है। डीडीय -ग्रामीण कौशल योजना के तहत देशभर में अभी कुल 243 जिसमें उम्मीदवारों को करने परियोजनाएं मंजूर की गई हैं दिव्यांग भी प्रशिक्षित का प्रावधान है। इसके डीडीयूजीकेवाई के तहत 5 विशेष परियोजनाएं मंजूर की गई हैं जिनमें 1500 दिव्यांग उम्मीदवारों को कौशल प्रशिक्षण दिया जाना है। वित्तवर्ष 2016-17 में 662 की जीकेवाई उम्मीदवारों तुलना में डीडीयू-परियोजना के तहत वित्तवर्ष 2017-18 फरवरी आवास (जी) में भी राज्यों के प्रावधान है वह तक) में दिव्यांग उम्मीदवारों को प्रशिक्षित किया गया। प्रधानमंत्री योजना लिए यह कि कम से कम 3 प्रतिशत दिव्यांग लाभार्थी सुनिश्चित करें। प्रधानमंत्री आवास योजना (जी) के तहत दिव्यांगों के लिए 5682 घर मंजूर किए गए जिनमें से 1655 घरों का निर्माण हो चुका है।

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Courtesy: Kurukshetra