(The Gist of Kurukshetra) महिलाओं की उन्नति के खुलते नए द्वार [June-2018]


(The Gist of Kurukshetra) महिलाओं की उन्नति के खुलते नए द्वार [June-2018]


महिलाओं की उन्नति के खुलते नए द्वार

महिलाओं के प्रति आदर और गौरवपूर्ण व्यवहार हमारे देश के चिंतन का मूलभूत सिद्वांत रहा है और महिलाओं ने समाज के आधे हिस्से के रूप में आदिकाल से लेकर आज तक हर क्षेत्र में अपनी प्रमाणिकताएं, क्षमता और सामर्थ्य का भरपूर परिचय दिया है । एक महिला सशक्त होती है, तो वह दो परिवारों को सशक्त बनाती है । प्राचीनकाल में भी महिलाएं शक्ति का उदाहरण थीं । वे ज्ञान का भंडार थीं । किंतु, एक समय ऐसा आया कि महिलाओं को घर की चारदीवारी तक सीमित कर दिया गया । किंतु, ये समय भी अधिक समय तक नहीं टिका । एक बार फिर से महिलाएं घर की चैखट से बाहर आने लगी हैं । आज महिलाएं सभी क्षेत्रों में अपना परचम लहरा रही हैं ।

हाल ही में बच्चियों के साथ बढ़ती हुई दरिंदगी पर चिंतित सरकार पसको एक्ट में भारी बदलाव करते हुए 12 साल से कम उम्र की बच्चियों के साथ बलात्कार करने वालों के लिए फांसी का अ/यादेश लेकर आई है जिसका सभी ने दलगत भावना से उपर उठकर स्वागत किया है । इतना ही नहीं बलातकार जैसे जघन्य अपरा/ा के लिए फास्ट ट्रैक अदालतों का भी गठन किया गया है जिसको एक निश्चित समय–सीमा में फैसला करना होता है । इतना ही नहीं कैसे तकनीक का इस्तेमाल करते हुए महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकती है इसका प्रमाण है सरकार की ये दुरगामी उपयोग करने के निर्देश दिए गए हैं और बहुत हद तक ये सुविधा उपयोग में लाई जाने लगी है ।

मात्रृत्व लाभ कार्यक्रम जनवरी, 2017 से लागू है । इसके अंतर्गत गर्भवती और स्तनपान कराने वाली माताओं को पहले दो जीवित शिशुओं के जन्म के लिए तीन किस्तों में 6000 रूपये की नकद प्रोत्साहन राशि भी प्रदान की जाती है । साथ ही काम करने वाली महिलाओं के लिए सुरक्षित आवास आसानी से उपलब्ध करवाने के उद्देश्य से वर्किंक वुमेन होस्टल भी बड़ी संख्या में उपलब्ध कराए गए है, जहां पर उनके बच्चों के देखभाल की सुविधा और जरूरत की हर चीज आसपास उपलब्ध हो । यह योजना शहरी और ग्रामीण सभी जगह पर उपलब्ध है जहां पर महिलाओं के लिए रोजगार के अवसर मौजूद हैं । सरकार द्वारा चलाई जा रही ये योजनाएं और अन्य प्रयास महिला सशक्तिकरण के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण माने जा रहे हैं । ये सब बातें महिला सशक्तिकरण के संबंध में इस सरकार की प्रतिबद्धता को ही दिखाती है । इसी तरह उनको उद्यमी बनाने की दिशा में मुद्रा योजना मील का पत्थर साबित हुई है ।

बेटी बचाओं बेटी पढ़ाओं योजना

इस योजना के उत्साहजनक परिणाम सामने आए हैं । लिंगानुपात बेहतर हुआ है और लड़कियों की स्कूली शिक्षा बीच में छोड़ने के मामलों में भी कमी आई हैं । ‘बेटी बचाओं बेटी पढ़ओं’ योजना वर्तमान में यह योजना देश में 161 जिलों में लागू है और इसमें 244 ए नए जिलों को जोड़ा गया है । इस योजना का विस्तार भारत के सभी 640 जिलों में किया जाना है । शेष 235 जिलों को मीडिया व जागरूकता अभियान द्वारा जोड़ा जाएगा ।

सुकन्या समृद्धि योजना सरकार द्वारा लड़की की सुरक्षा और भविष्य के साथ–साथ समाज में सकारात्मक मानसिकता बनाने के प्रयास के रूप में ही शुरू किया गया था । इस योजना के अंतर्गत जन्म से लेकर 10 साल तक की कन्याओं के खाते डाकघर में खोले जाते हैं । इन खातों में जमाराशि पर 8–1 प्रतिशत की दर से वार्षिक ब्याज देने का प्रावधान है । बेटियों की शिक्षा और समृद्धि की यह योजना अभिभावकों के लिए वरदान सिद्ध हो रही है । इसके अलावा, अल्पसंख्यक महिलाओं के नेतृत्व क्षमता विकसित करने के लिए ‘नई रोशनी योजना’ बनाई गई है ताकि वे उद्यमशिलता के क्षेत्र में आगे बढ़ सकें ।

100 और वन स्टॉप सेंटर

आने वाले वर्षों में देश का प्रत्येक जिले में एक वन स्टॉप सेंटर का निर्माण किया जाएगा और प्रत्येक वन स्टॉप सेंटर को 50,000 रूपये की अतिरिक्त वार्षिक धनराशि प्राथमिक चिकित्सा के लिए दी जाएगी । 21 अप्रैल, 2018 को हुए कैबिनेट बैठक में यह निर्णय लिया गया ।

इस बीच महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने 100 और वन स्टॉप सेंटर को मंजूरी दे दी है । ये केंद्र हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, म/य प्रदेश, महाराष्ट्र, मिजोरम, नागालैंड, ओडिशा, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश से निर्मित किए जाऐंगे ।
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने अप्रैल 2015 से अब तक 182 वन स्टॉप सेंटरों का निर्माण किया है । ये केन्द्र हिंसा से पीड़ित महिलाओं को विभिन्न प्रकार की सहायता उपलब्ध कराते हैं । अब तक 33 राज्यों / केन्द्र शासित प्रदेशों में 1–3 लाख से ज्यादा हिंसा से पीडित महिलाओं को सहायता उपलबढ़ कराई गई है ।
मंत्रालय की महिला हेल्पलाइन – 181 को सार्वभौमिक बनाने का कार्य अप्रैल, 2015 से शुरू किया गया है और अब यह 30 राज्यों / केन्द्रशासित प्रदेशों में संचालित है । प्रत्येक ओएससी को महिला हेल्पलाइन से जोड़ा गया है । इन हेल्पलाइनों के जरिए अब तक 16–5 लाख महिलाओं को सहायता प्रदान की गइ है ।

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Courtesy: Kurukshetra