(The Gist of Kurukshetra) जैव र्इंधन पर राष्ट्रीय नीति – 2018 [June-2018]
(The Gist of Kurukshetra) जैव र्इंधन पर राष्ट्रीय नीति – 2018 [June-2018]
जैव र्इंधन पर राष्ट्रीय नीति – 2018
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अ/यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल समिति ने जैव र्इं/ान पर राष्ट्रीय नीति–2018 को मंजूरी दे दी है ।
मुख्य विशेषताएं
- नीति में जैव र्इंधनों को ‘आधारभूत जैव र्इंधनों’ यानी पहली पीढी जैव इथनॉल और जैव डीजल तथा ‘‘विकसित जैव र्इंधनों’– दूसरी पीढी इथनॉल, निगम के ठोस कचरे से लेकर ड्रॉप इन र्इंधन, तीसरी पीढी के जैव र्इंधन, जैव सीएनजी आदि को श्रेणीबद्ध किया गया है ताकि प्रत्येक श्रेणी में उचित वित्तीय आर्थिक प्रोत्साहन बढ़ाया जा सके ।
- नीति में गन्ने का रस, चीनी वाली वस्तुओं जैसे चुकुन्दर, स्वीट सौरगम, स्टार्च वाली वस्तुएं जैसे – भुट्टा, कसावा, मनुष्य के उपभोग के लिए अनुपयुक्त बेकार जैसे गेहुं, टूटा चावल, सड़े चावल, सड़े हुए आलू के इस्तेमाल की उनुमति देकर इथनॉल उत्पादन के लिए कच्चे माल का दायरा बढ़ाया गया है ।
- जैव ईंधनों के लिए, निती में 2जी इथनॉल जैव रिफाइनरी के लिए 1जी जैव र्इंधनों की तुलना में अतिरिक्त कर प्रोत्साहनों, उच्च खरीद मूल्य के अलावा 6 वर्षों में 5000 करोड़ रूपये की निधियन योजना के लिए वयावहारिकता अंतर का संकेत दिया गया है ।
- नीति गैर–खाद्य तिलहनों, इस्तेमाल किए जा चुके खाना पकाने के तेल, लघु गाभ फसलों से जैव डीजल उत्पादन के लिए आपूर्ति श्रृंखला तंत्र स्थापित करने को प्रोत्साहन दिया गया ।
- इन प्रयासों के लिए नीति दस्तावेज में जैव र्इंधनों के संबंध में सभी मंत्रालयों, विभागों की भूमिकाओं और जिम्मेदारियों का अधिग्रहण किया गया है
संभावित लाभ
- आयात निर्भरता कम होगी % एक करोड़ लीटर ई–10 वर्तमान दरों पर 26 करोड़ रूपय की विदेशी मुद्रा की बचत करेगा । इथनॉल आपूर्ति वर्ष 2017–18 में करीब 150 करोड़ लीटर इथनॉल की आपूर्ति दिखाई देने की उम्मीद है जिससे 4000 करोड़ की विदेशी मुद्रा की बचत होगी ।
- स्चच्छ संबंधी लाभ % खाना पकाने के लिए तेल खासतौर से तलने के लिए लंबे समय तक उसका दोबारा इस्तेमाल करने से स्वास्थ्य के लिए खतरा पैदा हो सकता है और अनेक बीमारियां हो सकती हैं । इस्तेमाल हो चुका खाना पकाने का तेल जैव र्इंधन के लिए संभावित फीडस्टॉक हो सकता है और जैव र्इंधन बनाने के लिए इसके इस्तेमाल से खाद्य उद्योगों में खान पकाने के तेल के दोबारा इस्तेमाल से बचा सकता है ।
- एमएसडब्लयू प्रबंध % एक अनुमान के अनुसार भारत में हर वर्ष 62 एमएसटी निगम का ठोस कचरा निकलता है । ऐसी प्रौद्योगिकियां उपलध हैं जो कचरा / प्लास्टिक, एमएसडब्ल्यू को र्इंधन में परिवर्तित कर सकती हैं । ऐसे एक टन कचरे में र्इंधनों के लिए करीब 20 प्रतिशत बूंदे प्रदान करने की संभावना है ।
- रोजगार सृजन % एक 100 केएलपीडी 2जी जैव रिफाइनरी संयंत्र परिचालनों, ग्रामीण–स्तर के उद्यमों और आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन में 1200 नौकरियां देने में योगदान दे सेकती है ।
- किसानों की अतिरिक्त आय % 2 जी प्रौद्योगिकियो को अपना कर संबंधि अविशिष्टों / कचरे को इथनॉल में बदला जा सकता है और यदि इसके लिए बाजार विकसित किया जाए तो कचरे का मूल्य मिल सकता है जिसे अन्यथा किसान जला देते हैं । साथ ही, अतिरिक्त उत्पादन चरण के दौरान उनके उत्पादों के लिए उचित मूल्य नहीं मिलने का खतरा रहता है । अत% अतिरिक्त अनाजों को परिवर्तित करने और कृषि बॉयोमास मूल्य स्थिरता में मदद कर सकते हैं ।
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Courtesy: Kurukshetra