(The Gist of Kurukshetra) ग्रामीण विकास में सुचना और संचार तकनीक का योगदान [May-2018]


(The Gist of Kurukshetra) ग्रामीण विकास में सुचना और संचार तकनीक का योगदान [May-2018]


ग्रामीण विकास में सुचना और संचार तकनीक का योगदान

चौथे औद्योगिक क्रांति के मौजूदा दौर में हम एक बढ़ी, चौतरफा परिवर्तन की प्रक्रिया से गुजर रहे है। यह प्रक्रिया अनेक स्तरों पर कायाकल्प कर रही है जिससे कामकाज के तौरतरीके ज्यादा तेजतर्रार और परिणामोन्मुखी हो रहे हैं। दूरियां कम हो रही हैंचीजें आसानी से पहुंच योग्य बन रही हैं, नए अवसर खुल रहे हैं और नवोन्मेष को गति मिली है। परिवर्तन चारों तरफ दिख रहा है और हमारे शहरों के साथ-साथ गांव भी इसके प्रभाव से मुक्त नहीं हैं।

कोई भी परिवर्तन तभी सार्थक और दीर्घस्थायी हो सकता है जब समाज के सभी तबकों तक उसका लाभ पहुंचे। सूचना तकनीक के क्षेत्र में हो रहे महत्वाकांक्षी विकास की सार्थकता भी इसी बात में निहित है कि वह हर नागरिक को किसी न किसी रूप में सक्षम और सशक्त बनाए। संयोगवश, भारत में सूचना तथा संचार की मौजूदा क्रांति को काफी हद तक एक सुनियोजित दिशा देने की कोशिश की गई है जो डिजिटल इंडिया क रूप में फलीभूत होती हुई दिखाई देती है। सरकारी क्षेत्र के साथ-साथ निजी संस्थानों और बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने भी तकनीकी विकास की प्रक्रिया में भागीदार की भूमिका निभाई है जो एक शुभ संकेत है क्योंकि भारत जैसे देश के पैमाने पर अभिकल्पित परियोजनाएं सिर्फ सरकार के भरोसे पर नहीं छोड़ दी जानी चाहिए बल्कि उन्हें सफल बनाने में गैर-सरकारी, गैर-लाभकारी बहुराष्ट्रीय संगठनों तथा नागरिकों सभी को जिम्मेदार भूमिका निभानी चाहिए। तकनीक के संदर्भ में एक दशक पहले भारत के गांवों की जो स्थिति | थी, आज वैसी नहीं है। न सिर्फ ढांचागत विकास में तेजी आई है बल्कि जन-जन तक तकनीकी विकास के प्रत्यक्ष और परोक्ष लाभ भी पहुंचने लगे हैं। लोगों के बीच जागरूकता भी बढ़ी है और उसी के अनुरूप ग्रामीण विकास
से जुड़ी अवधारणाएं बदल रही हैं। पारंपरिक परिभाषाओं से आगे बढ़कर आज हम गांवों की परिकल्पना तकनीक से समृद्ध और विकासमान इकाई के रूप में करते हैं। गांव की छवि में पिछले एक दशक के भीतर बड़ा परिवर्तन आया है तो इसके पीछे रोजगार के नए अवसरों के पैदा होनेआधारभूत विकासबाजार के विकास, शिक्षा के प्रसारग्रामीण निकायों के मजबूत होने के साथ-साथ तकनीकी प्रसार को भी जिम्मेदार माना जाएगा।

भारत के लिए तकनीक प्रेरित विकास का यह दौर महत्वपूर्ण है क्योंकि विश्व बैंक के मुताबिक भारत में दुनिया में सबसे ज्यादा गरीब लोग हैं और ऐसे लोगों की । संख्या 27 करोड़ है। इन्हें ध्यान में रखते हुए दो साल पहले प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने 2022 तक किसानों की आमदनी को दोगुना करने के लिए एक नई राष्ट्रीय नीति पेश की थी। यह गरीबी में कमीखाद्य सुरक्षा और जलवायु परिवर्तन पर ध्यान केंद्रित करती है। लेकिन साथ ही साथ अपने डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के माध्यम से भारत सरकार देश की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बदलने और ग्रामीण क्षेत्रों में कुशल नौकरियों का निर्माण करने के लिए काम कर रही है।

सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय के तहत राष्ट्रीय सैंपल सर्वे ऑर्गेनाइजेशन ने एक अध्ययन में कहा था कि 156 करोड़ भारतीय ग्रामीण परिवारों को सशक्त बनाने तथा नए रोजगार सृजन को गति देने के लिए परिवहनबिजली और इंटरनेट में निवेश की आवश्यकता है। यहां परिवहन और बिजली तो ठीक हैं, लेकिन इंटरनेट का जिक्र किया जाना बहुत महत्वपूर्ण है। याद रहे, सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में किए गए विभिन्न सर्वेक्षणों के अनुसार ग्रामीण भारत में इंटरनेट के प्रयोग में जबर्दस्त तेजी का रुझान देखने को मिल रहा है और नैसकॉम की एक रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि सन 2020 तक भारत में इंटरनेट का प्रयोग करने वाले लोगों में से 75 प्रतिशत ग्रामीण क्षेत्रों के होंगे। यह भी उल्लेखनीय है कि तब 75 प्रतिशत इंटरनेट प्रयोक्ता भारतीय भाषाओं में इंटरनेट का प्रयोग कर रहे होंगे ।

यह एक उदाहरण है कि किस तरह इंटरनेट जैसी आधुनिक अवधारणा आज ग्रामीण समाज के लिए भी एक जरूरत बन गई है। इसका तात्पर्य यह हुआ कि सूचना प्रौद्योगिकी की पहुच का दायरा बढ़ा है और ग्रामीण विकास तथा सक्षमता के लिए इस माध्यम को इस्तेमाल करने की गुंजाइश पैदा हो गई है। इस दिशा में बहुत से रचनात्मक प्रयोग किए भी जा रहे हैं। केंद्र तथा राज्य सरकारों ने इस प्रक्रिया को गति देने के लिए कई बड़ी और नई पहल की हैं। नई प्रौद्योगिकियां छोटे किसानों को ज्ञान-गहन कृषि की ओर ले जाने में सक्षम हैं। सटीक (प्रसिजन) और परिणामोन्मुख कृषि, रोपण की समयबद्धता में सुधारबाजार की जानकारी और ई-बाजार आधारित सुधारों के जरिए ग्रामीणों के लिए सर्वश्रेष्ठ बाजार मूल्य सनिश्चित करना संभव हो रहा है। तकनीकों के प्रयोग से बेहतर बीज की आपूर्ति और भूमि व जल प्रबंधन में मदद ली जा रही है जिसके परिणामस्वरूप दोहरी और तिहरी फसल लेना संभव बन सकता है और किसानों की आय बढ़ सकती है। उधरकॉमन सर्विस सेंटर या सामान्य सेवा केंद्र ग्रामीणों को विभिन्न इलेक्ट्रॉनिक सेवाओं की डिलीवरी कर रहे हैं। डिजिटल और वित्तीय समावेशन को प्रोत्साहित करनेग्रामीण उद्यमिता को प्रोत्साहित करने और ग्रामीण क्षमताओं में वृद्धि के लिए भी तकनीक की मदद ली जा रही है।

सरकार ने तकनीक को अनेक सुधारों का माध्यम बनाया है, जैसे सीधे बैंक हस्तांतरण के माध्यम से उर्वरक सब्सिडी प्रदान करती है, जोकि वित्तीय मध्यस्थों की लागत को खत्म या कम करती है और कृषि विस्तार में सुधार करती है। संचार और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय अन्य मंत्रालयों के साथ-साथ राज्यों के सेवा वितरण को सुधारने के लिए काम कर रहा है। सरकार भी इस तथ्य से अवगत है कि देश के विकास को अगले स्तर तक ले जाना तब तक संभव नहीं है जब तक कि ग्रामीण भारत को आर्थिक विकास के दायरे में नहीं लाया जाता। भारत की कुल आबादी का लगभग 70 प्रतिशत हिस्सा अब भी ग्रामीण इलाकों में बसा हुआ है।
सूचना संचार प्रौद्योगिकी (आइसीटी) लानग पहल को । बढ़ावा देने के लिए बहुत उपयोगी हो सकती है, खासतौर पर ऐसे क्षेत्रों में जहां स्तरीय शिक्षण के अच्छे माध्यम उपलब्ध नहीं हैं। इसमें इंटरनेट के साथ-साथ कंप्यूटर और मोबाइल फोन जैसे उपकरणों की महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है। एक क्षेत्र जहां प्रौद्योगिकी विशेष रूप से क्रांतिकारी भूमिका निभा सकती , वह है- स्वास्थ्य सेवा का क्षेत्र। इंटरनेट और मोबाइल के प्रसार के चलते आज गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य सुविधाओं को उन दूरस्थ इलाकों में भी उपलब्ध कराया जा सकता है जहां डॉक्टरों की पहुंच एक बहुत बड़ी समस्या है।

आइएएक नजर डालते हैं उन योजनाओं और कार्यक्रमों की तरफ जो तकनीकों के सार्थक प्रयोग से ग्रामीण विकास में मदद कर रहे हैं।

आधार

आधार, जोकि डिजिटल पहचान का माध्यम है, डिजिटल इंडिया के प्रमुख स्तंभों में से एक है। इसके तहत देश के हर निवासी को एक विशिष्ट पहचान या आधार संख्या प्रदान की जाती है। यह दुनिया में सबसे बड़ी बॉयोमीट्रिक्स आधारित पहचान प्रणाली है। साथ ही साथ यह सामाजिक और वित्तीय समावेशन सार्वजनिक क्षेत्र की डिलीवरी संबंधी सुधारोंवित्तीय बजट का प्रबंधनसुविधा बढ़ाने और जन-केंद्रित शासन को बढ़ावा देने के लिए एक सामरिक नीति उपकरण है। डुप्लिकेट या नकली पहचान को खत्म करने के लिए यह एक प्रभावी व्यवस्था है। यूं तो आधार सरकार के साथ-साथ देश के हर नागरिक को लाभान्वित कर रहा है लेकिन ग्रामीण भारत के लिए इसका विशेष महत्व है जहां इसका उपयोग प्रभावी सेवा वितरण के लिए किया जा रहा है। इसने पारदर्शिता और सुशासन को सुनिश्चित करने में योगदान दिया है।

उमंग

उमंग ई-गवर्नेस कार्यक्रमों को सुचारू रूप से चलाने के लिए एक एकीकृत मोबाइल एप है। इसे इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय और राष्ट्रीय ई-गवर्नेस डिवीजन (एनएजीडी)द्वारा विकसित किया गया है। उमंग सभी भारतीय नागरिकों को विभिन्न सरकारी सुविधाएं प्राप्त करने का मंच उपलब्ध कराता है। यह आधार और डिजि लॉकर जैसी सेवाओं से जुड़ा हुआ है।

गर्व ग्रामीण विद्युतीकरण मोबाइल एप

यह मोबाइल एप्लिकेशन सभी उपयोगकर्ताओं/हितधारकों को जारी विद्युतीकरण प्रक्रिया के वास्तविक समय का अद्यतन डाटा प्रदान करता है। विद्युतीकरण के क्षेत्र में सरकार की क्या योजनाएं हैं और वे किस स्तर तक पहुंची हैं, इस पर पारदर्शिता के साथ जानकारी यहां मिलेगी।

ई-बस्ता

इस परियोजना का मकसद स्कूल की पुस्तकों को डिजिटल रूप में पहुंचाना है ताकि बच्चे टेबलेट और लैपटॉप पर ई-पुस्तकों के माध्यम से अध्ययन कर सकें और बेवजह भारीभरकम बस्तों का बोझ उठाने से बचें। विभिन्न प्रकाशकों और स्कूलों को एक साथ लाते हुए एक पोर्टल का विकास हुआ है जिसका उद्देश्य किसी भी समय शिक्षा प्राप्त करने की आजादी देना है। यहां बड़ी संख्या में पाठ्य-सामग्री उपलब्ध है जिसे विद्यार्थी डाउनलोड कर सकते हैं। ग्रामीण छात्रों के लिए इसकी विशेष अहमियत है जो स्तरीय पाठ्य-सामग्री को विभिन्न कारणों से इस्तेमाल नहीं कर पाते।

प्रत्यक्ष लाभ अंतरण

यह कल्याणकारी योजनाओं में सुधार पर केंद्रित योजना है जिसमें तकनीक का व्यापक प्रयोग हुआ है। सूचना और ज्ञान के सरल और तेज प्रवाहलाभार्थियों की सही पहचान और धोखाधड़ी को कम करने के उद्देश्य से इस योजना की शुरुआत की गई थी। डीबीटी सरकारी प्रणाली में दक्षताप्रभावशीलता पारदर्शिता और उत्तरदायित्व लाने में सफल रहा है। आधुनिक प्रौद्योगिकी और आईटी उपकरणों के उपयोग से इसने अधिकतम शासनन्यूनतम सरकार के सपने को मूर्त रूप देने में मदद की है।

डिजिटल साक्षरता अभियान

देशभर में सभी राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में आंगनवाड़ी. आशा कार्यकर्ता और अधिकृत राशन डीलरों सहित लाखों लोगों को आईटी प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए राष्ट्रीय डिजिटल साक्षरता अभियान योजना चलाई जा रही है। इस पहल का उद्देश्य गैर-आईटी साक्षर नागरिकों को लोकतांत्रिक और विकास प्रक्रिया में सक्रिय और प्रभावी भागीदारी निभाने में सक्षम बनाना तो है ही, साथ ही साथ आजीविका को बढ़ाने के लिए आईटी साक्षर बनने का प्रशिक्षण देना भी है।

सामान्य सेवा केंद्र

इस योजना का उद्देश्य डिजिटल इंडिया के तहत ग्राम पंचायत (जीपी) स्तर पर 2.5 लाख सीएससी केंद्रों का आत्मनिर्भर नेटवर्क स्थापित करना और विभिन्न नागरिक-केंद्रित सेवाएं प्रदान करना है। गांव-गांव में फैले इन केंद्रों के जरिए बड़े पैमाने पर ग्रामीण नागरिकों को डिजिटल माध्यमों से विविध श्रेणियों की सेवाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं। सरकार ने निजी क्षेत्र की कंपनियों को भी इस व्यवस्था से जोड़ा है।

भारत ब्रॉडबैंड नेटवर्क

भारत ब्रॉडबैंड नेटवर्क लिमिटेड एक विशेष प्रयोजन वाला वाहन है जिसे कंपनी अधिनियम के अंतर्गत भारत सरकार द्वारा स्थापित किया गया था। इसे भारत में राष्ट्रीय ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क बनाने का दायित्व निभाना है। कुल मिलाकर देश के 6,600 ब्लॉकों और 641 जिलों में फैली लगभग 2,50000 ग्राम पंचायतों को फाइबर आधारित ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी के दायरे में लाया जा रहा है।

स्वयं

स्वयं (SWAYAM) उन छात्रों के लिए डिजिटल विभाजन को दूर करने का प्रयास , जो अब तक डिजिटल क्रांति से अछूते रहे हैं और ज्ञान अर्थव्यवस्था की मुख्यधारा में शामिल नहीं हो पाए हैं। स्वदेश में विकसित आईटी प्लेटफॉर्म के माध्यम से 9वीं कक्षा से स्नातकोत्तर तक की कक्षाओं में कोई भी व्यक्ति किसी भी समयकहीं से भी हिस्सा ले सकता है। यहां विद्यालय स्तर से लेकर प्रमाणपत्रडिप्लोमा, स्नात्तक और स्नातकोत्तर स्तर तक के पाठ्यक्रमों के लिए बेहतरीन तथा विविधतापूर्ण पाठ्य सामग्री उपलब्ध कराई गई है। ग्रामीण छात्रों के लिए इसकी विशेष अहमियत है।

स्वच्छ भारत एप

आज भारत का स्वच्छता अभियान एक राष्ट्रीय आंदोलन में बदल गया है। स्वच्छता कार्यक्रमों के प्रबंधन में तकनीक की सार्थक भूमिका हो सकती है। यह एप इसी उद्देश्य से तैयार किया गया है। और इन कार्यक्रमों से जुड़े विभिन्न पक्षों के बीच समन्वय की दृष्टि से उपयोगी है।

एसएमएस आधारित मिड डे मील निगरानी

मिड-डे मील मोबाइल एप स्कूलों द्वारा भेजे जाने वाले दैनिक और मासिक मिड डे मील डाटा की प्रभावी निगरानी के लिए है। वह इंचार्ज टीचर के लिए अतिरिक्त डाटा संवाद तंत्र प्रदान करता है जिसे एसएमएस का उपयोग करके दैनिक मासिक डाटा भेजना होता है। ब्लॉक, जिला और राज्य स्तर के उच्च अधिकारियों के पास अपने मोबाइल उपकरणों पर रोजाना और साथ ही मासिक डाटा पहुंचता है।

पूसा कृषि एप

खेती में प्रौद्योगिकी से लाभान्वित होने के लिए विकसित पूसा कृषि एप किसानों को अपने कृषि क्षेत्रों की समस्याओं का आसानी से समाधान खोजने और मौसम के बारे में जानकारी प्राप्त करने में मदद करता है। साथ ही साथ वह फसलों को बचाने के लिए उपाय भी बताता है। यह भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर द्वारा विकसित फसलों की नई किस्मों से संबंधित जानकारी भी प्रदान करता है।

निर्मया एप

कोई महिला या कोई अन्य व्यक्ति किसी आपातकालीन स्थिति में इसका प्रयोग कर अपने करीबियों या किसी समूह को संदेश भेज सकता है। यह एप व्यक्ति के स्थान की सही-सही जानकारी उसके जानने वालों तक पहुंचा देता है ताकि वे उसकी मदद के लिए पहुंच सकें या इसकी व्यवस्था कर सकें। हालांकि वैसे तो यह किसी भी व्यक्ति के लिए उपयोगी है लेकिन महिलाओं के विरुद्ध अपराधों की रोकथाम में इसकी खास भूमिका हो सकती है खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में।

किसान सुविधा

किसान सुविधा किसानों को प्रासंगिक जानकारी तुरन्त प्राप्त करने में मदद करने के लिए विकसित एक सर्वव्यापी मोबाइल एप है। यह एप विभिन्न मौसमोंबाजार मूल्यबीजउर्वरक, कीटनाशकोंकृषि मशीनरीडीलरोंकृषि सलाहकारों, पौध संरक्षण आदि पर जानकारी प्रदान करता है। मौसम चेतावनियांनिकटतम क्षेत्र में वस्तु के बाजार मूल्य तथा साथ ही भारत में अधिकतम मूल्य की जानकारी भी देता है। इसका मकसद किसानों को सशक्त बनाना है।

ई-राष्ट्रीय कृषि बाजार

राष्ट्रीय कृषि बाजार एनएएम) एक अखिल भारतीय इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग पोर्टल है जोकि मौजूदा कृषि बाजारों (कृषि उत्पाद विपणन समिति) की मंडियों को कृषि वस्तुओं के लिए एक एकीकृत राष्ट्रीय बाजार बनाने के लिए नेटवर्क प्रदान करता है। एनएएम पोर्टल संबंधित सूचना और सेवाओं के लिए एकल खिड़की सेवा प्रदान करता है इसमें जिंसों के आगमनबाजार भाव खरीदने-बेचने के प्रस्ताव तथा उनका जवाब देने के प्रावधान शामिल हैं।

ई-जिला

ईजिला एक मिशन मोड परियोजना है जिसे राज्यों के जिला प्रशासनों को मजबूत करने के लिए अभिकल्पित किया गया है। यह विभागों और जिला प्रशासन को आईसीटी समर्थन से लैस करने के लिए केंद्रीकृत सॉफ्टवेयर अनुप्रयोग प्रदान करता है। इन विभागों द्वारा प्रदान की जा रही नागरिक सेवाओं की डिलीवरी में सुधार भी इसका एक लक्ष्य है। वह नागरिकों तक प्रशासनिक सेवाओं की पहुंच सुनिश्चित करता है।

ई-पंचायत

ई-पंचायत ग्राम पंचायतों के कामकाज को चुस्त-दुरुस्त और सुनियोजित रूप देने वाली ई-गवर्नेस पहल है। यह पंचायती राज संस्थाओं में ई-गवर्नेस को सशक्त बनाने तथा उनकी सेवाओं को सुलभ बनाने में योगदान दे रही है।

फसल बीमा मोबाइल एप

फसल बीमा मोबाइल एप का प्रयोग ऋण लेने वाले किसान के मामले में क्षेत्रकवरेज राशि और ऋण राशि के आधार पर अधिसूचित फसलों के लिए बीमा प्रीमियम की गणना के लिए किया जा सकता है। इसका इस्तेमाल किसी भी अधिसूचित क्षेत्र में फसल की सामान्य बीमा राशि, विस्तारित बीमा राशि, प्रीमियम विवरण और सब्सिडी की जानकारी के लिए भी किया जा सकता है।

एग्रीमाट एप

इस मोबाइल एप्लिकेशन को एक उद्देश्य के साथ विकसित किया गया है ताकि किसानों को फसल की कीमतों के बारे में निरंतर अवगत रखा जाए। कृषि बाजार की एप का उपयोग करके अपने स्वयं के स्थान के 50 किलोमीटर के दायरे में आने वाले बाजारों में फसलों की कीमतों से संबंधित जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। कृषि वस्तुओं की कीमतों को एग्मार्क नेट पोर्टल से प्राप्त किया जाता है।

सुगम्य भारत एप

सुगम्य भारत अभियान या सुलभ भारत अभियान सार्वभौमिक पहुंच प्राप्त करने के लिए एक राष्ट्रव्यापी अभियान है। इसके केंद्र में दिव्यांग व्यक्ति हैं। समान अवसरों तक उनकी। पहुंच बनाने और एक समावेशी समाज की स्थापना में योगदान के उद्देश्य से यह एप लाया गया है। यह मोबाइल एप्लिकेशन आईओएस और एंड्रॉइड प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध है और इसे संबंधित एप स्टोर से डाउनलोड किया जा सकता है।

लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली

भारत सरकार ने गरीबों पर ध्यान देने के साथ लक्षित। सार्वजनिक वितरण प्रणाली (टीपीडीएस) का शुभारंभ किया था। टीपीडीएस के तहतराज्यों को खाद्यान्नों के वितरण के लिए एक पारदर्शी और जवाबदेह व्यवस्था कायम करने में मदद की गई है। ऐसा करने के लिए विभिन्न डिजिटल मंचोंसूचनाओं के संग्रह और विश्लेषण का सहारा लिया गया है।

प्रधानमंत्री ग्रामीण डिजिटल साक्षरता अभियान

प्रधानमंत्री ग्रामीण डिजिटल साक्षरता अभियान के तहत 31 मार्च, 2019 तक प्रत्येक पात्र परिवार के एक सदस्य को डिजिटल माध्यमों पर साक्षर बनाया जाना है। इसके अंतर्गत राज्यों/ संघशासित प्रदेशों में ग्रामीण क्षेत्रों में छह करोड़ व्यक्तियों को सक्षम बनाने की योजना है। इससे लाभान्वित होने वाले लोगों में विशेषकर अनुसूचित ति/अनुसूचित जनजाति, अल्पसंख्यक गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल)महिलाएंदिव्यांग आदि समाज के हाशिए वाले वर्ग शामिल हैं।

इन कार्यक्रमोंपरियोजनाओंमिशनोंअभियानों आदि ने तकनीक का प्रयोग करते हुए ग्रामीण विकास में हाथ बंटाया है। इनकी सफलता सतत राष्ट्रीय विकास की प्रक्रिया को नई ऊंचाइयों पर ले जा सकती है और एक सक्षमसबलआत्मविश्वास ज्ञान आधारित समाज की स्थापना का लक्ष्य पाने में मदद कर सकती है।

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Courtesy: Kurukshetra