(The Gist of Kurukshetra) बायोगैस: ग्रामीण भारत के लिए उपयुक्त वैकल्पिक ऊर्जा [May-2018]


(The Gist of Kurukshetra) बायोगैस: ग्रामीण भारत के लिए उपयुक्त वैकल्पिक ऊर्जा [May-2018]


बायोगैस: ग्रामीण भारत के लिए उपयुक्त वैकल्पिक ऊर्जा

अर्थीक विकास, सामाजिक उन्नति मानव कल्याण और जीवन-स्तर को ऊंचा उठाने के लिए ऊर्जा सबसे महत्वपूर्ण घटक है। हालांकि इस बढ़ती हुई ऊर्जा खपत में हुई। वृद्धि जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता का कारण है, जो एक बड़ी पर्यावरणीय चिंता का कारण बनता जा रहा है और जलवायु को गंभीर नुकसान पहुंचा रहा है। ऊर्जा की आपूर्ति की दीर्घकालिक सुरक्षा सुनिश्चित करने की आवश्यकता क के साथहमें उन तरीकों की तलाश करनी चाहिए जो आज और भविष्य में लोगों की जरूरतों को पूरा करें। असीमित आपूर्ति की क्षमता के साथ, बायोगैस एक प्रभावी, नवीकरणीय गैर-जीवाश्म ईंधन है जिससे पर्यावरणऊर्जा, आर्थिक और अपशिष्ट प्रबंधन सहित कई क्षेत्रों में लाभ होते हैं, जो ग्रामीणशहरी और औद्योगिक सभी क्षेत्रों में सुचारू एवं प्रभावी रूप से उपयोग में लाया जा सकता है। हम प्रतिवर्ष अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए अरबों मूल्य के पेट्रोलियम उत्पादों का आयात करते रहे हैं। भारत 1.25 अरब से अधिक मानव और 30 करोड़ पशु आबादी के साथ-साथ एक विशाल कृषि देश होने के कारण बायोगैस से ऊर्जापूर्ति एक बहुत ही उपयुक्त उपाय है। औद्योगिकीकरण और जनसंख्या वृद्धि के साथ-साथ दिन-प्रतिदिन अपशिष्ट पदार्थों का भंडार बढ़ता ही जा रहा है जोकि न सिर्फ पर्यावरण को प्रदूषित कर रहा है बल्कि सभी जीव जनजाति पर कुप्रभाव डाल रहा है।

परिवहन ईंधन के रूप में बायोगैस का उपयोग

बीडीटीसी, आईआईटी दिल्ली द्वारा विकसित प्रौद्योगिकी पर आधारित एक 10 घनमीटर/ घंटा क्षमता वाली स्वचालित बायोगैस शुद्धि और बोटलिंग प्लांट, आईआईटी दिल्ली परिसर में कर्यान्वित किया गया है। समृद्ध और बोतलंबद बायोगैस को नियमित रूप से एक वैगन आर कार के ईंधन के रूप में पिछले पांच वर्षो से लगातार उपयोग में लाया जा रहा है, जोकि सिर्फ बायोगैस पर 50 हजार किमी से भी अधिक चल चुकी है। इसके सभी मापदंडों का विश्लेषण करने के लिए मोटर वाहन परीक्षण के लिए अंतर्राष्ट्रीय केंद्र ICAT (इंटरनेशनलसेंटर फॉर ऑटोमोटिव टेस्टिंग) संस्था में सभी तरह के परीक्षण करने के बाद इसे सत्यापित किया गया। सभी तरह के कण उत्सर्जन के परिणाम (NOx, COहाइड्रोकार्बन और | पार्टिक्यूलेट मामलेBSIV मानदंडों से का पालन कर रहे थे। बीडीटीसी, आईआईटी दिल्ली बायोगैस संवर्धन और बॉटलिंग तकनीक पर निरंतर अनुसंधान एवं विकास कार्य में लगा है। ताकि इसे सार्वजनिक और उद्योग क्षेत्र के लिए अधिक व्यावसायिक रूप से व्यवहार्य और आकर्षक बनाया जा सके।

लिग्नोसल्लुलोसिक अपशिष्ट का बायो मेथेनेशन

भारत में धान की खेती प्रतिवर्ष लगभग 4.395 करोड़ हेक्टेयर भूभाग पर की जाती है जिससे लगभग क्रमशः 10.654 करोड़ टन चावल और लगभग160 करोड़ टन पुआल का उत्पादन होता है। पुआल की कुछ मात्रा आधुनिक बायोमास पॉवर के लिए ईधन के रूप मेंईट भट्टियों में उपयोग कर ली जाती है पर शेष (लगभग दो तिहाई) भाग खुले वातावरण में जला दिया जाता है। जिसके गंभीर परिणाम होते हैं। जैसाकि भारत के कई राज्यों में पुआल जलाना एक बहत ही आम प्रथा बन गई है जिससे वायुमंडल में निलंबित कणों और विभिन्न ग्रीनहाउस गैसों का अत्यधिक मात्र में उत्सर्जन होता है और देश की राजधानी भी इसके कप्रभाव से अछूती नहीं है।

बायोगैस संवर्धन के लिए मोबाईल यूनिट का डिजाइन और विकास

बायोगैस शुद्धि और बोतलबंदी प्रणाली के व्यापार मॉडल सुधारने के लिए, और ग्रामीण क्षेत्रों के दूरदराज के स्थानों पर स्थित छोटे एवं मध्यम आकार के बायोगैस संयंत्रों में इसके प्रयोज्यता को बढ़ाने के लिए भी बायोगैस शुद्धि और बॉटलिंग प्रणाली के लिए एक मोबाइल इकाई विकसित की गई है। यह प्रणाली पीढ़ी के बिंदु पर बायोगैस के उपयोग की सीमाओं को दूर करती है और वाहन आवेदन के लिए बायोगैस का उपयोग करने के लिए मोबाइल विकल्प प्रदान करती है। यह न केवल देश में बड़ी मात्रा में उपलब्ध बायोगैस से जैव-सीएनजी के उत्पादन के लिए विकास के विभिन्न वाणिज्यिक संकुल को मजबूत करेगा बल्कि ग्रामीण उद्यमियों के लिए भी एक व्यवहार्य विकल्प होगा।

बायोगैस के उत्पादन के वैकल्पिक स्रोत

ग्रामीण क्षेत्रों में बायोगैस के उत्पादन के लिए सामान्यतः पशु अपशिष्ट जैसे गोबर का उपयोग किया जाता है। परंतु दिनोंदिन बढ़ते शहरीकरण और घटते पशुधन की वजह से समय आ गया है। कि बायोगैस की निरंतरता के लिए वैकल्पिक स्रोत की ओर ध्यान दिया जाए। वैकल्पिक स्रोत की खोज बायोगैस तकनीक में बढ़ती हुई रुचि और इसके विस्तार की संभावना के साथ अपरिहार्य हो जाती है। समय आ गया है जब हमें वैकल्पिक अपशिष्ट सामग्रियों की तलाश करनी चाहिए जो व्यर्थ हो रही हैं और कचरे के रूप में मानी जाती रही है।

ग्रामीण उत्थान के संदर्भ में बायोगैस की भूमिका

ग्रामीण स्तर पर लाभप्रद रोजगार पैदा करने और उद्यमशीलता को बढ़ावा देने के संदर्भ में बायोगैस एक बहुत ही महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है जिससे कि ग्रामीण और शहरी आबादी के बीच असमानता को भी काफी हद तक कम किया जा सकता है। यदि उपलब्ध संसाधन का बेहतर एवं अधिकतम उपयोग किया जाए तो बायोगैस से ग्रामीण प्रौद्योगिकी को काफी बढ़ावा मिल सकता है। इन संसाधनों के उपयोग और अपव्यय से बचने से वास्तव में ग्रामीण उद्यमिता और सामाजिक विकास में मदद मिल सकती है। उद्यमियों को तीसरे पक्ष की मदद करने के लिए बैठने और प्रतीक्षा करने की आवश्यकता नहीं है बल्कि वे अपना रास्ता तयार कर सकते हैं।
बायोगैस के क्षेत्र में व्यावसायीकरण और उद्यमशीलता के लिए प्रौद्योगिकी मॉडल
बायोगैस ग्रामीण एवं शहरी दोनों ही स्तर पर ऊर्जा की मांग एवं रोजगार पैदा करने के साथ-साथ सामाजिक विकास के लिए आगे आने और योगदान करने का भी मौका देता है। बायोगैस न केवल ऊर्जा आवश्यकताओं में देश को अधिक सुरक्षित बनाने में मदद करेगा, बल्कि रासायनिक मुक्त जैविक खेती और जलवायु परिवर्तन की दिशा में भी महत्वपूर्ण योगदान देगा। बायोगैस की तकनीक एक सामान्य, सरल अच्छी तरह से ज्ञात है, लेकिन कैसे इसके माध्यम से अति लघु उद्योग स्थापित किया जाएसामान्य ग्रामीण नागरिक इससे अनजान हैं। कुछ इसी तरह के मॉडलों का उपयोग करके एवं छोटे प्रमोटरों/उद्यमियों के सहयोग से इसे सुचारू रूप से क्रियान्वित किया जा सकता है।

मॉडल-1 घरेलू बायोगैस संयंत्र

  • ग्रामीण इलाकों में घरेलू बायोगैस संयंत्र (पशुमल आधारित)
  • शहरी क्षेत्र में घरेलू बायोगैस संयंत्र (रसोई कचरा आधारित) मॉडल-2 उद्यमशीलता मोड के माध्यम से वाणिज्यिक बायोगैस
  • खाना पकाने के लिए पाइपलाइन नेटवर्क के माध्यम से गैस वितरण के लिए बायोगैस संयंत्र।
  • छोटे पैमाने पर बिजली उत्पादन के लिए बायोगैस संयंत्र मॉडल-3 उद्यमशीलता मोड के माध्यम से वाणिज्यिक बायोगैस सयत्र |
  • मॉडल-4 ग्रामीण इलाकों में बायोगैस संयंत्र का वाद्ययंत्र आवेदन ।

मॉडल-5 बड़े पैमाने पर वाणिज्यिक बायोगैस संयंत्र।

  • ऑटोमोटिव अनुप्रयोग के लिए जैव-सीएनजी उत्पादन के लिए औद्योगिक अपशिष्ट/एसटीपी / एमएसडब्ल्यू पर आधारित बायोगैस संयंत्र।\
  • बिजली उत्पादन के लिए औद्योगिक अपशिष्ट/एसटीपी/ एमएसडब्ल्यू पर आधारित बायोगैस संयंत्र। किसी भी विकासशील अर्थव्यवस्था के लिए ऊर्जा का बहुत ही महत्वपूर्ण योगदान होता है और विकास की रफ्तार को हम अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा किए बगैर बनाए नहीं रख सकते। जिस रफ्तार से भारत की ऊर्जा जरूरतें बढ़ रही , उस रफ्तार से इसका उत्पादन नहीं बढ़ रहा है जिस वजह से आज वक्त की जरूरत यह है कि बढ़ती जरूरतों की पूर्ति के लिए वैकल्पिक ऊर्जा
    के स्रोतों को तलाशा जाए और अधिकतम उपयोग में लाया जाए। देशभर में गैर- पारंपरिक स्रोतों से ऊर्जा उत्पादन के प्रति लोगों को जागरूक बनाए जाने की जरूरत है।

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Courtesy: Kurukshetra