(GIST OF YOJANA) सबका सम्मान सबका उत्थान [August] -2018


(GIST OF YOJANA) सबका सम्मान सबका उत्थान [August] -2018


सबका सम्मान सबका उत्थान

सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग हमारे संविधान के अनुरूप ही ऐसा समावेशी समाज बनाना चाहता है, जहां हमारी आबादी के सबसे वंचित एवं पिछड़े वर्ग गरिमा और गौरव भरा जीवन जी सके एवं राष्ट्र की मानव पूंजी में सक्रिय सहयोग कर सके। अनुसूचित जाति, अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) तथा समाज के अन्य कमजोर वर्गों का आर्थिक शैक्षिक एवं सामाजिक सशक्तीकरण हमारी जिम्मेदारी है। हाशिए पर पड़े लोगों के अधिकारों के बारे में स्पष्ट एवं मुखर होना तथा सरकार की सभी नीतियों एवं कार्यक्रमों में उनकी चिंताओं को सामने रखना इस विभाग के सबसे प्रमुख कार्यों में से एक है। आबादी के ये वर्ग सरकार की नीतियों एवं कार्यक्रमों की दृष्टि से महत्वपूर्ण लक्षित समूह हैं और इसी कारण ग्राम स्वराज अभियान, आकांक्षी जिला कार्यक्रम, अंत्योदय अभियान जैसे देशव्यापी अभियान आरंभ किए गए हैं।

अनुसूचित जाति विकास

अनुसूचित जाति के शैक्षिक सशक्तीकरण का अपना लक्ष्य पूरा करने के लिए विभाग के बजट का एक बड़ा हिस्सा छात्रवृत्ति के मद में जाता है और लक्षित समूह के भीतर इसके वितरण में काफी सफलता मिली है। अनुसूचित जाति के छात्रों के लिए पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति (पीएमएसएससी) विभाग की प्रमुख योजना है, जो 1944 से जारी है।


और अनुसूचित जाति के छात्रों के शैक्षिक सशक्तीकरण के लिए भारत सरकार का सबसे बड़ा कदम है। हर वर्ष मैट्रिक अथवा माध्यमिक से ऊपर की शिक्षा पाने वालों से लेकर पीएचडी करने वालों तक लगभग 55 लाख छात्रों को यह छात्रवृत्ति दी जाती है। 2014 से 2018 के बीच 22930,654 छात्रों को यह छात्रवृत्ति मिली है और 10,388 करोड़ रुपए की राशि इस्तेमाल की गई है। हमें यकीन है कि लक्षित समूहों के साक्षरता स्तरों, शिक्षा बीच में ही छोड़े जाने की दर, उच्च शिक्षा में हिस्सेदारी और उत्कृष्टता हासिल करने एवं राष्ट्र की सेवा के लिए मानव पूंजी तैयार करने में सकारात्मक परिणाम आए हैं। हाल ही में कैबिनेट राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों के 8737 करोड रुपए के बकाए की अदायगी मंजूर की है और 2018-19 में इसके लिए 3000 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं। अनुसूचित जाति के छात्रों के लिए छात्रवृत्ति की अन्य योजनाएं प्री-मैट्रिक स्कॉलरशिप, श्रेष्ठ शैक्षिक संस्थानों में अध्ययन के लिए टॉप क्लास एजुकेशन स्कीम और यूजीसी के साथ मिलकर राष्ट्रीय फेलोशिप योजना हैं।

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यह विभाग योजनाओ को सीधे लागू करने के अलावा अनुसूचित जातियों के कल्याण के लिए आवंटन' (एडब्ल्यूएससी) पर भी नजर रखता है, जो अनुसूचित जाति सब प्लान का नया नाम है। अनुसूचित जातियों के लिए विशेष घटक योजना (एससीपी) का विचार 1979-80 से ही चल रही है ताकि अनुसूचित जातियों/अनुसूचित जनजातियों के विकास के लिए पंचवर्षीय योजनाओं से आनुपातिक संसाधनों का मिलना सुनिश्चित हो सके। पूर्ववर्ती योजना आयोग द्वारा जारी अनुसूचित जाति सब प्लान (एससीएसपी) के संयुक्त दिशानिर्देशों के अनुसार सभी राज्यों/मंत्रालयों/विभागों को अपनी योजना राशि में से राज्य/देश में अनुसूचित जाति के जनसंख्या प्रतिशत के अनुपात में राशि एससीएसपी के तहत देनी होगी। (2011 के जनगणना के अनुसार देश की कुल आबादी में 16.6 प्रतिशत अनुसूचित जाति की है) इसका नाम 2017 में बदलकर । 'अनुसूचित जातियों के कल्याण के लिए
आवंटन' (एडब्ल्यूएससी) कर दिया गया। एडब्ल्यू एससी के तहत आवंटन 2015-16 में 30850.88 करोड़ रुपए था, जिसे 83.52 प्रतिशत बढ़ाकर 56618.50 करोड़ रुपए कर दिया गया। नीति आयोग द्वारा तैयार किए गए रूप के अनुसार आर्थिक, भौतिक एवं परिणाम आधारित निगरानी सूचकांकों के बारे में विभिन्न मंत्रालयों एवं विभागों से ऑनलाइन जानकारी लेने के लिए 2017 में विभाग ने एक वेब पोर्टल (e-utthaan.gov.in) तैयार किया है। वित्तीय निगरानी को सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन प्रणाली (पीएफएमएस) के साथ जोड़ा गया है और इस प्रकार वास्तविक समय में यानि रियल टाइम आधार पर निगरानी की जाती है। भौतिक उपलब्धियों के मामले में सभी नोडल अधिकारियों का लॉग इन एवं पासवर्ड उपलब्ध कराए गए ताकि वे जानकारी को सीधे पोर्टल में जमा कर सकें ।

पिछड़े वर्गों का विकास

पिछड़े वर्ग भी महत्वपूर्ण लक्षित समूह हैं, जिनके कल्याण के लिए कुल आवंटन 2018-19 में 41.03 प्रतिशत बढ़ाकर 1747 करोड़ रुपए कर दिया गया। 2017-18 में यह 1237.30 करोड़ रुपए था। छात्रवृत्ति की योजनाएं पिछड़े वर्ग की आबादी के लिए भी सरकार की प्रमुख योजना रही हैं, जिनमे प्री एवं पोस्ट मेट्रिक स्कॉलर्शिप तथा राष्ट्रीय फेलोशिप मुख्य है।

सामाजिक सुरक्षा

महत्वपूर्ण मगर अक्सर अनदेखा किया जाने वाला वर्ग वरिष्ठ नागरिकों का भी है, जिनकी संख्या और बढती उम्र में निर्भरता का अनुपात बहुत तेजी से बढ़ रहा है। उम्र के संबंध में बदलती स्थितियों वरिष्ठ नागरिकों की सामाजिक - आर्थिक जरूरतों, सामाजिक मूल्य व्यवस्था तथा तकनीकी विकास को ध्यान में रखते हुए वरिष्ठ नागरिकों के लिए संशोधित नीति तैयार की जा रही है। वरिष्ठ नागरिकों के लिए एकीकृत कार्यक्रम की वर्तमान नीतियों के अंतर्गत खर्च के नियम 1 अप्रैल, 2015 से 110 प्रतिशत तक बढ़ा दिए गए थे, जिन्हें 1 अप्रैल, 2018 से एक बार फिर 104 प्रतिशत तक बढ़ा दिया गया है। इस तरह 1 अप्रैल, 2015 से पहले के खर्च के नियमों में 288 प्रतिशत तक (वृद्धाश्रम के लिए 5.42 लाख रुपए से बढ़ाकर 21.6 लाख रुपए) का इजाफा कर दिया गया है। योजना के अंतर्गत फिजियोथेरेपिस्ट, सहायक एवं योग शिक्षकों के पद सृजित किए गए हैं। वृद्धाश्रमों के पंजीकरण, मानकीकरण तथा रेटिंग प्रदान करने की व्यवस्था की गई है।

हाथ से मैला उठाने वालों का पुनर्वास

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के 150वें जयंती वर्ष में विभाग हाथ से मैला उठाने वालों के साथ अतीत में हुए अन्याय तथा अपमान को मिटाने एवं गरिमापूर्ण जीवन की दिशा में उनका पुनर्वास करने के लिए प्रतिबद्ध है। इसके लिए 18 राज्यों के 170 चिह्नित जिलों में राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी वित्त एवं विकास निगम (एनएसकेएफडीसी) द्वारा राज्य सरकार तथा सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ मिलकर हाथ से मैला उठाने वालों का राष्ट्रीय सर्वेक्षण किया गया है, उसका संयोजन किया गया है और निगरानी भी की गई है। अब तक 125 जिलों में सर्वेक्षण शिविर पूरे हो चुके हैं और 5365 लोगों की पहचान हाथ से मैला उठाने वालों के रूप में की जा चुकी है। हाथ से मैला उठाने वाले जिस व्यक्ति को राष्ट्रीय सर्वेक्षण में चिह्नित किया जाएगा, उसे 40,000 रुपए की एकबारगी नकद सहायता दी जाएगी और बाद में उसके पुनर्वास के उपाय किए जाएंगे।

नगर निगमों और नगर पालिकाओं के साथ मिलकर काम करना इस योजना के लिए अनिवार्य है। सफाई से संबंधित वाहनों एवं उपकरणों की खरीद के लिए पंचायतों एवं नगर निगमों के साथ समझौते किए जा रहे हैं। साथ ही ऐसे वाहनों एवं उपकरणों की खरीद के लिए सफाई कर्मचारियों के स्वयं सहायता समूहों को कर्ज की सुविधा भी दी जाएगी। इससे सफाई कर्मचारी हाथ से सफाई के खतरों से भी बच जाएंगे क्योंकि वह असुरक्षित एवं स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेह होती है।

निगम

इस विभाग के पास तीन वित्त विकास निगम - राष्ट्रिय पिछड़ा वर्ग वित्त एवं विकास निगम (एनबीसीएफडीसी), एनएसकेएफडीसी और राष्ट्रीय अनुसूचित जाति वित्त एवं विकास निगम (एनएसएफडीसी) हैं।

ये निगम अलाभकारी कंपनियां हैं। जिनका उद्देश्य लक्षित समूहों के लाभ के लिए आर्थिक एवं विकास गतिविधियों को बढ़ावा देना तथा आजीविका, कौशल विकास एवं स्वरोजगार के उपक्रमों में उनकी सहायता करना है। इस मामले में निगम सरकार की ही विस्तारित शाखा की तरह काम करते हैं।

डॉ. अंबेडकर अंतरराष्ट्रीय केंद्र (डीएआईसी) और डॉ. अंबेडकर राष्ट्रीय स्मारक (डीएएनएम)

डॉ. बाबा साहेब अंबेडकर के विचारों को । आगे बढ़ाने के लिए विभाग ने डॉ. अंबेडकर अंतरराष्ट्रीय केंद्र (डीएआईसी) की स्थापना की है, जिसका उद्घाटन प्रधानमंत्री ने 7 दिसंबर, 2017 को नई दिल्ली में किया। केंद्र डॉ. अंबेडकर की शिक्षाओं एवं दृष्टिकोण के प्रसार में प्रमुख भूमिका अदा करेगा और सामाजिक एवं आर्थिक विषयों पर अनुसंधान का प्रमुख केंद्र बनेगा। यह समावेशी वृद्धि एवं उससे संबंधित सामाजिक-आर्थिक विषयों के लिए विचार समूह (थिंक टैंक) की तरह काम करेगा।

डॉ. अंबेडकर राष्ट्रीय स्मारक (डीएएनएम) का उदघाटन प्रधानमंत्री ने नई दिल्ली के अलीपर रोड पर 13 अप्रैल, 2018 को किया। यह डॉ.अंबेडकर के जीवन एवं काल के बारे में संग्रहालय हैं। संग्रहालय में रोज अच्छी संख्या में दर्शक आते हैं।

निष्कर्ष

विभाग जन कल्याण को बढ़ावा देने में सामाजिक क्रम सुनिश्चित करने के लिए सविंधान के अनुछेद 38 में किए गए वायदे को पूर्ण करने के लिए प्रतिबन्ध हैं, जो इस सरकार के 'सबका साथ, सबका विकास' के दिशानिर्देशक सिद्धांत के अनुरूप भी हैं। यह लक्ष्य तभी पूरा होगा, जब इस विभाग की लक्षित जनसँख्या, वंचित एवं कमजोर वर्ग अपनी श्रमताओ का भरपूर इस्तेमाल करने में सक्षम हो पाएंगे।

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Courtesy: Yojana