(GIST OF YOJANA) अक्षय ऊर्जा विस्तार के समग्र प्रयास [July] -2018]


(GIST OF YOJANA)  अक्षय ऊर्जा विस्तार के समग्र प्रयास  [July] -2018]


अक्षय ऊर्जा विस्तार के समग्र प्रयास

भारत में ऊर्जा की जरूरतों को पूरा करने में अक्षय ऊर्जा अहम समाधान के तौर पर उभरकर सामने आई है। पिछले कुछ सालों में भारत के ऊर्जा परिदृश्य पर अक्षय ऊर्जा का असर महसूस किया गया है। भारत 2022 तक 175 गीगावॉट की अक्षय ऊर्जा क्षमता को हासिल करने की प्रक्रिया में है।

नवीन और अक्षय ऊर्जा मंत्रालय ने भविष्य में साफ-सुथरी ऊर्जा सुनिश्चित करने के लिए कई कदम उठाए हैं। इसके तहत दुनियाभर में अक्षय ऊर्जा के सबसे बड़े विस्तार अभियान को अंजाम दिया जा रहा है। मार्च 2018 तक पिछले चार साल में (मई 2014 से मार्च 2018 के दौरान) 37.33 गीगावॉट के अक्षय ऊर्जा की अतिरिक्त क्षमता तैयार हुई और अक्षय ऊर्जा की स्थापित क्षमता का आंकड़ा कुल 69 गीगावॉट (20 प्रतिशत) रहा। साल 2022 तक 175 गीगावॉट का अक्षय ऊर्जा का लक्ष्य हासिल करने की खातिर नवीन और अक्षय ऊर्जा मंत्रालय ने पवन-सौर हाइब्रिड विद्युत परियोजनाओं ऑनशोर पवन विद्युत परियोजनाओंबायोमास पावर, सौर पार्क के विकास और अल्ट्रा-मेगा बिजली परियोजनाओं के विकास के लिए योजनाएं शुरू की हैं। इसके अलावा नहर के किनारों पर ग्रिड से जुड़े सौर पीवी विद्युत संयत्र और बायोगैस आधारित ग्रिड विद्युत उत्पादन कार्यक्रम शुरू किए गए हैं।

तमाम योजनाओं में राष्ट्रीय सौर मिशन सबसे महत्वाकांक्षी कार्यक्रम है, जिसका मकसद बिजली उत्पादन के क्षेत्र में सौरऊर्जा को बढ़ावा देना है। इस कार्यक्रम के। तहत सौर ऊर्जा की उत्पादन लागत को कोयलागैस के जरिए बिजली उत्पादन की लागत के बराबर करना है। बोली लगाने की पारदर्शी प्रक्रिया के जरिए सौर (.44 रुपए प्रति यूनिट) और पवन (2.64 प्रति यूनिट) ऊर्जा के लिए ऐतिहासिक तौर पर सस्ती बिजली दर का लक्ष्य हासिल किया गया और तमाम सहूलियतों के जरिए अक्षय ऊर्जा क्षेत्र को बड़े पैमाने पर बढ़ावा दिया जा रहा है।

भारत सरकार उत्पादन आधारित प्रोत्साहन, पूंजी और ब्याज पर सब्सिडी, छूट पर वित्त पोषण, राजकोषीय प्रोत्साहन आदि के जरिए अक्षय ऊर्जा को बढ़ावा दे रही है। इसके तहत अक्षय ऊर्जा की विभिन्न योजनाओं के लिए वित्तीय मदद मुहैया कराई जा रही है। नवीन और अक्षय ऊर्जा मंत्रालय ने वित्तीय मदद के अलावा कई खास कदम उठाए हैं, जिनमें बिजली अधिनियम और शुल्क नीति में संशोधन भी शामिल है। इन संशोधनों का मकसद अक्षय खरीद दायित्व (आरपीओ) को सख्ती से लागू करना और हरित ऊर्जा कॉरीडोर परियोजना के जरिए अक्षय ऊर्जा का शून्यीकरण है। इसके अलावा, वितरण कंपनियों को प्रोत्साहित करने और नेट मीटरिंग को जरूरी करने के लिए एकीकृत विद्युत विकास योजना में उपाय करने और द्विपक्षीय और अंतरराष्ट्रीय दाताओं से हरित पर्यावरण फंड के तौर पर धन जुटाने की भी बात है, ताकि लक्ष्य को हासिल किया जा सके।
नवीन और अक्षय ऊर्जा मंत्रालय के बढ़ते कदम

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सौर ऊर्जा

  • 'सौर ऊर्जा पार्क और अल्ट्रा मेगा सौर ऊर्जा परियोजनाओं का विकास योजना की क्षमता 20 मेगावॉट से बढ़ाकर 40 मेगावॉट कर दी गई है।
  • बिल्डिंग संबंधी कानून में संशोधन कर नए निर्माण में छत पर सौर ऊर्जा के लिए जरूरी प्रावधान या ज्यादा फ्लोर एरिया रेशियो का प्रावधान किया गया है । और सबसे ऊपरी छत पर सौर ऊर्जा को बैंक/एनएचबी द्वारा घर से जुड़े लोन का हिस्सा बनाया जा रहा है।
  • छत पर सौर फोटोवोलटैक सिस्टम का प्रावधान और मिशन स्टेटमेंट व स्मार्ट सिटी के विकास से जुड़े दिशा-निर्देश के तहत 10 प्रतिशत अक्षय ऊर्जा को जरूरी करना।
  • सौर परियोजनाएं स्थापित करने के मकसद से इक्विटी के प्रबंधन की खातिर कर-मुक्त सौर बॉन्ड जारी करना। सौर ऊर्जा की खरीद के लिए टैरिफ (शुल्क) आधारित बोली लगाने की प्रतिस्पर्धात्मक प्रक्रिया।
  • छतों पर सौर पीवी स्थापित करने के लिए केंद्रीय वित्तीय सहायता, सामान्य श्रेणी वाले राज्यों में रिहायशी, स्थागत और सामाजिक क्षेत्रों में बेंचमार्क लागत का 30 प्रतिशत तक और विशेष दर्जे वाले राज्यों में बेंचमार्क लागत का 70 प्रतिशत तक मदद मिल सकती है।
  • सक्षम प्रौद्योगिकी कार्यबल को तैयार करने के लिए सूर्यमित्र अभियान शुरू किया गया है और इसके तहत 11 हजार लोगों से भी ज्यादा को प्रशिक्षित किया गया है।

पवन ऊर्जा

  • पवन ऊर्जा की स्थापित क्षमता के मामले में भारत विश्व में चौथे स्थान पर है। पहले तीन स्थानों पर चीन, अमेरिका और जर्मनी का कब्जा है।
  • राष्ट्रीय पवन ऊर्जा संस्थान (एनआईडब्ल्यूई) ने देश में पवन ऊर्जा की संभावनाओं का फिर से आकलन किया है और 100 मीटर की हद ऊंचाई पर इसके 302 गीगावॉट होने का अनुमान पेश किया गया है।
  • भारत में तटीय इलाका काफी लंबा है जहां ऑफशोर पवन ऊर्जा परियोजनाए विकसित करने की अच्छी संभावना है। कैबिनेट ने राष्ट्रीय ऑफशोर पवन ऊर्जा, नीति को मंजूरी दे दी है।
  • राष्ट्रीय पवन ऊर्जा संस्थान ने तमिलनाडु में पवन के बारे में अनुमान जताने के अनुभव के आधार पर गुजरात और महाराष्ट्र के साथ एमओयू पर हस्ताक्षर किए हैं।
  • पवन संसाधन के लिए 120 मीटर की ऊंचाई पर मेसो स्केल मैप तैयार किया गया आर ज्यादातर पवन चक्की 100 मीटर से ज्यादा की ऊंचाई पर लगाए जा रहे हैं।
    बायो ऊर्जा
  • बायोमास विद्युत परियोजनाओं के लिए केद्रीय वित्तीय सहायता में बायोमास कम्बस्टनबायोमास गैसीकरण और खोई सह-उत्पादन के मामले शामिल हैं।
  • कैप्टिव ऊर्जा उत्पादन के लिए ऑफ - ग्रिड विद्युत परियोजनाओं को बढ़ावा।
  • राष्ट्रीय बायोगैस और खाद प्रबंधन कार्यक्रम (एनबीएमएमपी) के तहत मुख्य तौर पर ग्रामीण और अर्द्धशहरी घरों के लिए एक परिवार के आकार को ध्यान में रखते हुए बायोगैस संयंत्र स्थापित किया जाता है।
  • ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए अक्षय टैरिफ नीति में संशोधन कर मार्च 2022 तक 8 प्रतिशत सौर ऊर्जा खरीदना जरूरी करने की बात है।
  • नए कोयलालिग्नाइट आधारित थर्मल संयंत्रों के लिए अक्षय ऊर्जा नियम शुरू करना।
  • किफायती अक्षय ऊर्जा सुनिश्चित करने के लिए अक्षय ऊर्जा को इकट्ठा करना।
  • सौर और पवन ऊर्जा के लिए अंतर राज्यीय ट्रांसमिशन चार्ज को हटाना। इसके अलावा, संशोधित टैरिफ नीति के मद्देनजर ऊर्जा मंत्रालय ने अगले 3 साल 2016-17, 2017-18 और 2018-19 की खातिर सौर और गैर-सौर ऊर्जा के लिए टिकाऊ बिजली की खरीद से जुड़ी लंबी अवधि के एजेंडे के बारे में अधिसूचना जारी की है, जो इस तरह है:

हरित ऊर्जा कॉरिडोर

अक्षय ऊर्जा के मामले में समृद्ध 8 राज्यों (तमिलनाडु, राजस्थान, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश महाराष्ट्र, गुजरातहिमाचल प्रदेश और मध्य प्रदेश) द्वारा अंतर-राज्यीय ट्रांसमिशन सिस्टम लागू किया जा रहा है। इसका मकसद बड़े पैमाने पर तकराबन 20,000 मेगावॉट अक्षय ऊर्जा को निकालना है।

परियोजना की कुल लागत 10141 करोड़ रुपए है, जिसमें तकरीबन 9400 सीकेएम की ट्रांसमिशन लाइन और तकरीबन 19,000 एमवीए की कुल क्षमता के सब-स्टेशन शामिल हैं।
अन्य पहल

  • अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन (आईएसए) का कानूनी वजूद दिसंबर 2017 में सामने आयाजिसका मुख्यालय भारत में है। अंतरराष्ट्रीय टिकाऊ ऊर्जा के मामले में फ्रांस के साथ मिलकर भारत अगुवा की भूमिका निभा रहा है। आईएसए 121 देशों की अंतरराष्ट्रीय संस्था है। ये देश कर्क रेखा से मकर रेखा के बीच मौजूद हैं।
  • सौर आधारित पावर जेनरेटर, बायोमास आधारित पावर जेनरेटर, पवन ऊर्जा से जुड़े सिस्टम, जलविद्युत संयंत्रों और सार्वजनिक उपयोग मसलन स्ट्रीट लाइट सिस्टम और दूर-दराज के गांव में विद्युतीकरण के मामले में अक्षय ऊर्जा की पहल के लिए उधारकर्ताओं को 15 करोड़ तक का बैंक कर्ज दिया जाएगा। निजी घर के लिए कर्ज की सीमा 10 लाख प्रति व्यक्ति होगी।
  • बिजली अधिनियम, 203 के तहत अक्षय ऊर्जा के उत्पादन और वितरण से संबंधित परियोजनाओं के लिए ऑटोमेटिक रूट के जरिए 100 प्रतिशत तक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की अनुमति है।

आभार : इस लेख को लिखने में आधारभूत तथ्य मुहैया कराने के लिए नवीन और अक्षय ऊर्जा मंत्रालयभारत सरकार का हम आभार प्रकट करते हैं। मंत्रालय और नीति आयोग के अपने सहकर्मियों का भी धन्यवाद देते हैं, जिन्होंने जानकारी और नजरिया मुहैया करायाजिससे शोध में काफी सहायता मिली।
 

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Courtesy: Yojana