(GIST OF YOJANA) भगोड़ा आर्थिक अपराधी विधेयक 2018 [July] -2018]


(GIST OF YOJANA) भगोड़ा आर्थिक अपराधी विधेयक 2018 [July] -2018]


भगोड़ा आर्थिक अपराधी विधेयक 2018

इस समय दुनिया भर में आर्थिक स्तिथितयां उतार-चढ़ाव भरी है। ऐसे में हमारा देश अपने दरवाजे वैश्वीकरण के लिए खोल चूका है , जिस कारण ये झटके यहां भी महसूस करे जारी है। पहले हमारा देश सुनिया भर अर्थव्यवस्थाओं को दहलाने वाले झटको से एक सिमा तक बचा हुआ था। उदारीकरण के बाद हमें भी हलचल महसुस होती है। भारतीय कारोबार बढ़ गए है , उन्होंने अपने पंख पूरी दुनिया में फैला लिए है और उनमे से कई अपने विस्तार के लिए पूंजी जुटाने बैंको ने भी वृद्धि की उम्मीद में और भरोसे के कारण अपने ग्राहकों को कर्ज दे दिए है। बदकिस्मती से अब उन पर कई तरफ से चोट पढ रही है। सरकार को लगा कि भारतीय दंड संहिता, भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम एवं धन शोधन निवारण अधिनियम होने के बाद भी आर्थिक अपराधियों पर निशाना साधने के लिए अलग से एक कानून की जरूरत है। इसीलिए सरकार ने बजट में ऐलान किया कि भगोड़े आर्थिक अपराधियों को निशाना बनाने के लिए विशेष कानून लाया जाएगा, जो सरकार को संपत्तियां जब्त करने तथा उनकी बिक्री से मिली रकम ऋणदाताओं को देने का अधिकार प्रदान करेगा। नीरव मोदी और मेहुल चोकसी की धोखाधड़ी से पंजाब नेशनल बैंक को चोट पहुंचने के फौरन बाद केद्रीय मंत्रिमंडल ने आर्थिक धोखेबाजों का खेल खत्म करने और निवेशकों एवं बैंक ग्राहकों का भरोसा बैंकिंग प्रणाली में मजबूत करने के लिए एक विधेयक को मंजूरी दी।

विधेयक का औचित्य और परिचय

 कारोबारी सौदे बिगड़ने के कारण ग्राहक अपने कर्ज वक्त पर चुकाने में नाकाम हो गए और बैंकिंग क्षेत्र को चोट झेलनी पड़ी। जानबूझकर कर्ज नहीं चुकाने वाले ऐसे कई धोखेबाजों को जब खतरा नजर आने लगा । तो वे देश छोड़कर भाग गए। सजा भुगतने के बजाय ऊंची हैसियत वाले और पैसा पानी की तरह बहाने वाले इन कारोबारियों को जब सख्त कार्रवाई की आहट सुनाई। पड़ी तो सजा भुगतने के बजाय वे कानून प्रवर्तन अधिकारियों और नियामकों के आने से पहले ही भारत छोड़कर भाग गएउनके ऊपर बकाया राशि, कर्ज और बाकी खर्च की करोड़ों रुपए की रकम हो सकती है। देश के बैंकों, जांच एजेंसियों, अभियोजन एजेंसियों को इन निर्लज्ज लोगों ने झांसा दिया है और गलत तरीकों से कमाया गया धन विभिन्न विदेशी कपनियों, संपत्तियों और बैंक खातों में इकट्ठा कर दिया है और वे हमारे देश के कानून से दूर विदेशों में शानोशौकत से जी रहे हैं। अर्थव्यवस्था पर गंभीर प्रभाव डालने वाली ऐसी समस्याओं से पूरी तरह निपटने के लिए हमारे कानून में पर्याप्त दीवानी और फौजदारी प्रावधान नहीं हैं।

विधेयक

इस विधेयक के दायरे में वे मामले आते हैं, जिनमें आर्थिक अपराधों का कल मूल्य 100 करोड़ रुपए या उससे अधिक होता है। यह विधेयक फरार हो चुके भगोड़े आर्थिक अपराधियों के मामले में कानून कीसंपत्तियों को जब्त करने का अधिकार देगा। इससे बैंकों और दूसरी वित्तीय संस्थाओं को फरार डिफॉल्टरों से वसूली करने में बहुत मदद मिलेगी।

अगर कोई कथित अपराधी खुद को भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित किए जाने से पहले ही भारत लौट आता है और उस मामले में इस अधिनियम के तहत चल रही उचित अदालती कार्यवाही का हिस्सा बन जाता है। तो उसे इस विधेयक के तहत राहत मिल सकती है और उसके खिलाफ कार्यवाही बंद कर दी जाएगी।

विधेयक पर अच्छी तरह से विचार किया गया है और जरूरी सुरक्षा प्रदान की गई है, जैसे वकील के जरिए सुनवाई की सुविधा प्रदान करना, उस व्यक्ति को जवाब दाखिल करने के लिए समय देना, भारत या विदेश में समन भेजना। साथ ही उच्च न्यायालय में अपील करने की सुविधा भी प्रदान की गई।है। कानून के प्रावधानों के अनुरूप संपत्ति का प्रबंधन करने और उसे निपटाने के लिए प्रशासक को नियुक्त करने का प्रावधान भी इसमें है। विधेयक धन शोधन निवारक अधिनियम, साक्ष्य अधिनियमभारतीय दंड संहिता जैसे पहले के कानूनों के अनुरूप ही है।

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क्रियान्वयन

निदेशक का अर्थ है धन शोधन निवारण अधिनियम2002 की धारा 49(1) के अंतर्गत नियुक्त निदेशक। उप निदेशक का अर्थ है धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 की धारा 49(1) के अंतर्गत नियुक्त उप निदेशक। इस प्रकार नियुक्त निदेशक अथवा उप निदेशक को धन शोधन निवारण अधिनियम 2002 के अंतर्गत निर्धारित विशेष अदालत के समक्ष एक आवेदन दाखिल करना पड़ता है ताकि किसी व्यक्ति को भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित किया जा सके। आवेदन में होना चाहिए :

1. यह मानने का कारण कि व्यक्ति भगोड़ा आर्थिक अपराधी है।
2. उसके ठिकाने के बारे में कोई जानकारी
3. जिन संपत्तियों को अपराध से खड़ा किया माना जा रहा हो और जिनकी।जब्ती का आदेश मांगा जा रहा हो उनकी सूची।
4. जिन बेनामी अथवा विदेशी संपत्तियों की जब्ती की मांग की जा रही हो, उनकी सूची
5. उन संपत्तियों में जिनका हित हो, उनकी सूची (अर्थात् उस संपत्ति में किसी हित का दावा कर रह अथवा दाव का हक रखने वाले सभी व्यक्ति।)

सभी प्रकार के विवरण के साथ आवेदन मिलने के बाद विशेष अदालत (विधेयक की धारा 10 के तहत) उस व्यक्ति के नाम नोटिस जारी करेगी, जिसमें उसे नोटिस जारी होने के बाद अधिकतम छह सप्ताह में निर्धारित स्थान और समय पर उपस्थित होने के लिए कहा जाएगा और यह भी बताया जाएगा कि उस स्थान तथा समय पर नहीं पहुंचने पर उसे भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित कर दिया जाएगा और इस कानून के तहत उसकी संपत्ति जब्त कर ली जाएगी। यदि व्यक्ति बताए गए समय और स्थान पर विशेष अदालत के समक्ष आ जाता है तो अदालत इस विधेयक के प्रावधानों के तहत उसके खिलाफ चल रही कार्यवाही समाप्त कर देगी।

निदेशक का अधिकार

निदेशक अथवा उसके द्वारा अधिकृत किसी अन्य अधिकारी के पास दीवानी अदालत जैसे अधिकार होंगे। वह अपने पास मौजूद साक्ष्यों के आधार पर मान सकता है (मानने का आधार अथवा कारण लिखित में होना चाहिए) कि अमुक व्यक्ति भगोडा आर्थिक अपराधी हो सकता है, वह अपने अधिकार क्षेत्र के भीतर अथवा जिस अधिकारी का यह अधिकार क्षेत्र हो, उसके द्वारा अधिकार प्राप्त करने के बाद उस क्षेत्र के किसी भी स्थान पर जा सकता है।

ऐसे किसी भी स्थान पर जाने के बाद वह उसके मालिक, कर्मचारी अथवा उस समय वहां मौजूद किसी अन्य व्यक्ति से रिकॉर्ड जांचने की सुविधा मुहैया कराने के लए, अपराध से हुई आय अथवा उससे संबंधित किसी भी सौदे को जांचने एवं उसकी पुष्टि करने की सुविधा प्रदान करने के लिए कह सकता है तथा उनसे कार्यवाही से संबंधित जरूरी जानकारी देने का अनुरोध भी कर सकता है।

इस धारा के तहत काम कर रहा निदेशक अथवा अन्य अधिकृत अधिकारी जांचे गए रिकॉर्ड पर पहचान के लिए निशान लगा सकता है, उनकी नकल निकलवा सकता है, जांची या सत्यापित की गई संपत्तियों की सूची बना सकता है और संपत्ति पर मौजूद किसी भी व्यक्ति का बयान दर्ज कर सकता है।

अपील

विशेष अदालत के आदेश के खिलाफ अपील उच्च न्यायालय में ही की जा सकती है। अपील फैसले के 30 दिन के भीतर ही करना बेहतर है। यदि तय तारीख तक अपील नहीं करने के याची द्वारा बताए गए कारण से उच्च न्यायालय संतुष्ट हो जाता है तो वह इस अवधि के बाद की गई अपील को भी स्वीकार कर सकता है। फैसले की तारीख के 90 दिन बाद उच्च न्यायालय किसी भी अपील या याचिका पर विचार नहीं करेगा।

निष्कर्ष

आशा है कि विधेयक केद्र सरकार को उन धनाढय व्यक्तियों की संपत्तियां वसूलने में मदद करेगा, जो आर्थिक धोखाधड़ी करने के बाद मुकदमे और अन्य कानूनी कार्यवाहियों से बचने के लिए देश छोड़कर भाग गए हैं। उनकी बिक्री से होने वाली आय से राजकोष मजबूत होगा। यह भी माना जा रहा है कि यह विधेयक उन लोगों को रोकने का काम करेगा, जो आर्थिक अपराध करने तथा कानून से भागने की फिराक में हैं या ऐसा करने ही जा रहे हैं।

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Courtesy: Yojana