(GIST OF YOJANA) नए दौर कौशल से रोजगार के अवसर [June -2018]
(GIST OF YOJANA) नए दौर कौशल से रोजगार के अवसर [June -2018]
नए दौर कौशल से रोजगार के अवसर
डिजिटलीकरण और डेटा विश्लेषण में तेजी से होती तकनिकी तरक्की ने मानव विकास का नया आयाम दिया है। व्यवसायों का स्वरूप बदला है और युवाओं के लिए रोजगार एवं उद्यमिता के अवसर बढ़े हैं। युवा श्रमशक्ति का पूरा उपयोग करने के लिए उन्हें नए कार्यों और रोजगारों में दक्षता प्रदान करने की रणनीति भी तैयार की जा रही है। हमारे देश में युवा वर्ग का स्वरूप क्षेत्रीय भिन्नताओं के कारण भिन्न-भिन्न है। दक्षिण के राज्यों में युवाओं की औसत आयु 29 से 31 वर्ष के बीच है। उत्तर प्रदेश, राजस्थान और बिहार में उनकी औसत आयु 20-22 वर्ष के मध्य है जिससे इन राज्यों में श्रमशील लोगों की संख्या अधिक हो जाती है। इसलिए युवाओं में कौशल विकास के प्रतिमानों को पहुंच और प्रासंगिकता के आधार पर तैयार किए जाने की जरूरत है।
वृहद जनसंख्या के लाभ
देश का युवा वर्ग जिस तेजी से मुख्यधारा की शिक्षा और कौशल को हासिल करने का प्रयास कर रहा है, उसे देखते हुए यह अनुमान लगाया जा सकता है कि भारत में 2030 तक कुशल श्रमिक अतिरेक में होंगे। इसका मुख्य कारण श्रमशील आयु वर्ग के लोगों की व्यापक आपूर्ति तो है ही, साथ ही सरकार भी विभिन्न योजनाओं और कार्यक्रमों की मदद से शिक्षा और कौशल विकास को प्रोत्साहन दे रही है। कुशल श्रमशक्ति की औद्योगिक मांग को पूरा करने में औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों (आईटीआईज) की उल्लेखनीय भूमिका है। कौशल विकास और उद्यमिता मंत्री ने घोषणा की है कि 2018 के अंत तक देश के प्रत्येक ब्लॉक में एक आईटीआई बनाया जाएगा जिसमें उद्योग
जगत से संबंधित दक्षताएं प्रदान की जाएंगी।
प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (पीएमकेवीवाई ): युवाओं को उद्योगों से
संबंधित प्रशिक्षण देने हेतु रत सरकार की पहल, ताकि उन्हें विश्व बाजार के लिए
तैयार किया जा सके।
दीनदयाल अंत्योदय योजना- राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन (डीएई एनयूएलएम ):
वेतनभोगी रोजगार या स्वरोगार के अवसरों का लाभ उठाने के लिए शहरी क्षेत्रों के
निर्धन वर्ग को दक्षता और अतिरिक्त कौशल प्रदान करना, जिससे उन्हें निरतर अजावका
उपलब्ध हों।
महानिदेशक-प्रशिक्षणमॉड्यूलर रोजगारपरक कौशल (डीजीटी-एमईएस ): व्यावसायिक प्रशिक्षण और शिक्षुता कार्यक्रमों के माध्यम से लाभकारी रोजगार में सुधार के 1 लिए स्कूल छोड़ने वाले (स्कूल ड्रॉप आउट) और असंगठित क्षेत्र के मौजूदा श्रमिकों के लिए पहल
दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना (डीडीयू-जीकेवाई ): ग्रामीण युवाओं के लिए रोजगार में नियुक्ति (प्लेसमेंट) से जुड़ा कौशल विकास कार्यक्रम।
राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (एनएसडीसी ): यह कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय
के तहत ऐसा पीपीपी मॉडल है जिसका उद्देश्य बड़ी संख्या में और गुणवत्तापूर्ण
प्रशिक्षण प्रदान करने वाले संस्थानों का निर्माण करना है ताकि कौशल विकास को बढावा
मिलेयह निगम उन संगठनों का वित्त पोषण करना है जो कौशल प्रदान करते हैं। एनएसडीसी
की उद्योग जगत के नेतृत्व वाली क्षेत्र कौशल परिषद (एसएससी) व्यावसायिक मानकों
निर्माण करती , योग्यता ढांचे का विकास करती हैं, कौशल अंतराल का अध्ययन करती हैं
और उनके द्वारा विकसित राष्ट्रीय व्यावसायिक मानकों (एनओएस) के अनुरूप पाठ्यक्रमों
क आधार पर प्रशिक्षुओं का आकलन एवं प्रमाणन करती हैं।
राष्ट्रिय कौशल विकास एजेंसी ( एनएसडीए ): कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय के तहत
स्वायत्त निकाय; 2022 तक कौशल संबंधी लक्ष्यों को हासिल करने के लिए सरकार और निजी
क्षेत्र के प्रयासों के बीच समन्वय करती है। यह एनएसडीसी, क्षेत्र कौशल परिषदों और
राज्य कौशल विकास मिशन जैसी एजेंसियों की साझेदारी में काम करती है।
आजीविका- राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन ( एनआरएलएम ): भारत सरकार के
ग्रामीण विकास मंत्रालय की इस पहल का उद्देश्य यह है कि ग्रामीण क्षेत्रों के युवाओं
को अपने कौशल को बढ़ाने का मौका मिलेइसके अतिरिक्त यह मिशन उन्हें रोजगार में
नियुक्ति से संबंधित सहयोग भी प्रदान करता है।
अटल नवाचार मिशन (एआईएम ): इस पहल का उद्देश्य नवाचार और उद्यमिता के परिवेश को
बढ़ावा देना है। इसके लिए युवाओं को आइडिया जनरेशन और इन्क्यूबेटर एवं मेंटर सपोर्ट
का मंच प्रदान किया जाएगा।
स्टार्टअप इंडिया: देश में स्टार्टअप माहौल तैयार करना। इस पहल की कार्य योजना स्टार्टअप्स के सरलीकरण और सहयोग, वित्त पोषण और प्रोत्साहन उद्योग-शिक्षा जगत की भागीदारी और बेशन सपोर्ट पर आधारित है।
उद्योग 4,0 के दायरे में नए दौर का कौशल
उद्योग 4.0 की विशेषताओं में डिजिटलीकरण, कनेक्टेड मशीनें, उभरती हुई प्रौद्योगिकियों का समामेलनव्यापार विश्लेषिकी और साइबर-भौतिक प्रणालियों में वृद्धि शामिल है। यह स्मार्ट कारखाने की अवधारणा है जहां मशान ससरा की मदद से एक दूसरे से संवाद करती हैं। इससे उत्पादकता बढ़ती है और संसाधनों का इष्टतम उपयोग किया जाता है। इस परिवेश में निम्न कौशल वाले रोजगार समाप्त हो जाएंगे और जिन नौकरियों में उच्च स्तर वाले कौशल की जरूरत होगी, उनकी क्षमता में इजाफा होगा। भारत में चौथी औद्योगिक क्रांति के उभरने के साथ इंटरनेट ऑफ थिंग्स आर्टिफिशियल इंटेलीजेंसवर्जुअल रिटैलिटी, ऑग्मेंटेड रिटैलिटी, रोबोटिक्स, बिग डेटा एनालिटिक्स और थ्री डी प्रिंटिंग जैसे डोमेन्स में कौशल की मांग बहुत अधिक बढ़ेगी।
उद्योग 4.0 को मेक इन इंडिया, कौशल भारत, स्टार्टअप इंडिया, स्टैंड अप इंडिया और डिजिटल इंडिया जैसे कार्यक्रमों से एकीकृत करने से नए अवसर उत्पन्न होंगे। मेक इन इंडिया का लक्ष्य देश को विश्वव्यापी मैन्यूफैक्चरिंग हब के रूप में बदलना है। इस कार्यक्रम में 2022 तक लगभग 1000 लाख नए रोजगारों का सृजन करने की क्षमता है। केंद्रीय बजट में मोबाइल फोन्स, ऑटोमोबाइल्स इत्यादि पर आयात शुल्क बढ़ाया गया है। इनसे इस कार्यक्रम को बढ़ावा मिला है। इसका यह लाभ होगा । कि विदेशी कंपनियां भारत में मैन्यूफैक्चरिंग इकाइयां लगाने के लिए आकर्षित होंगी। इससे भारतीय युवाओं के लिए रोजगार के अवसर बहेंगे। सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में विघटन का दौर जारी है। संरक्षणवाद, स्वचालन और विश्वव्यापी चुनौतियां देखी जा रही हैं। कुशाग्र युवाओं के लिए एक बहुत बड़ा अवसर है।
बिग डेटा, मशीन लर्निग और क्लाउड कंप्यूटिंग जैसे ऑनलाइन पाठ्यक्रमों में भर्तियां बढ़ रही हैं। बहुत सी कंपनियों ने रोजाना की समस्याओं के नए समाधनों को हासिल करने के लिए प्रतिभाओं को पोषित करने वाले एसेलरेटर प्रोग्राम्स शुरू किए हैं। भारत सरकार भी इस प्रयास को समर्थन दे रही है। 2018-19 में डिजिटल इंडिया का बजट दोगुना करके 3,073 करोड़ रुपए किया गया है। साथ ही रोबोटिक्स, आर्टिशिफियल इंटेलिजेंस डिजिटली विनिर्माणबिग डेटा एनालिसिस और आईओटी में अनुसंधान, प्रशिक्षण और कौशल के लिए उत्कृष्टता केंद्र स्थापित करने की योजना है। 2016 की जनवरी में स्टार्टअप इंडिया की शुरुआत की गई थी। यह कार्यक्रम व्यापक स्तर पर रोजगारों का सृजन कर रहा है और उद्यमिता एवं नवाचार को पोषित करने वाले जीवंत परिवेश को तैयार कर रहा, है।
नवाचार के परिवेश को प्रोत्साहन और पोषण
शिक्षा - उद्योग और सरकार के बीच रणनीतिक से नवाचार और संगठनों के आरएंडडी को
प्रोत्साहन मिलेगा। पूंजी के रूप में युवाओं का उपयोग किया जा सके इसके लिए उन्हें
शिक्षा और रोजगारपरक कौशल प्रदान किया जाना चाहिए। इस दिशा में उद्योग जगत
महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। वह अपनी निगमित सामाजिक जिम्मेदारी (सीएसआर) के
बजट के जरिए युवाओं को ऐसे अवसर प्रदान कर सकता है। अर्ध शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों
में रहने वाले युवाओं में असाधारण क्षमता और उद्यमिता कौशल है। अगर उन्हें ऐसे
परिवेश में लाया जाएगा जहां नई सोच को पोषित किया जाता है तो वे सस्ते और उच्च स्तर
के नवोन्मेषी प्रतिमानों का सृजन कर पाएंगे। अगर उन्हें वित्त पोषित किया जाए। उन्हें
दिशानिर्देश एवं सलाह मिले, नेटवर्क संबंधी सहयोग और प्रौद्योगिकी का सहारा मिलेतो
उनकी क्षमता का पूरा दोहन किया जा सकता है। ऐसे कई नमूनों पर काम किया जा रहा है
जिन्होंने रोजगार सृजन भी किया है और उनसे राजस्व भी प्राप्त हो रहा है। भारतीय
अर्थव्यवस्था का विकास सतत है और इसने
विकास के अवसरों के प्रति-उम्मीद जताई है। विमुद्रीकरण और जीएसटी के असर समाप्त हो
चुके है, एफडीआई का प्रवाह अच्छा है और व्यवस्याय जगत में बहुमुखी गतिविधियों का
पुनरुत्थान हुआ है। विनिर्माण के क्षेत्र में भारत ने अपनी स्तिथि में सुधार किया
है। कौशल और रोजगार सृजन की अच्छी संभावनाएं बन रही है और उपयुक्त नीतियां, उचित
कौशल के चयन, मानव पूंजी के विकास और शिक्षा - उद्योग जगत के संबंधो के जरिए युवाओं
की क्षमताओं का धरातल पर उपयोग किया जा सकता है
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Courtesy: Yojana