(GIST OF YOJANA) जन- जन तक जरूरी और सस्ती दवाइयों की पहुंच [June -2018]


(GIST OF YOJANA) जन- जन तक जरूरी और सस्ती दवाइयों की पहुंच [June -2018]


जन- जन तक जरूरी और सस्ती दवाइयों की पहुंच

यह एक विंडबना है कि आजादी के 70 साल बाद भी देश की 40 फीसदी आबादी ही ब्राडेंड दवाओं का खर्च वहन करने में सक्षम है। ब्रांडेड दवाओं का बाजार 1 लाख 20 हजार करोड़ रुपये का है, जबकि कुल 10 लोगों में से 6 को ब्रांडेड दवाओं की सुविधा उपलब्ध नहीं है। हालांकि, इस तस्वीर का एक बेहतर पहलू यह है कि भारत विश्वस्तरीय जेनरिक दवाओं के निर्यात के मामले में प्रमुख देश है। और वह तकरीबन 200 देशों को ऐसी दवाओं की आपूर्ति करता है। दुनियाभर में खपत होने वाली हर 6 दवाओं में से 1 दवा की खपत भारत में होती है।

इस विरोधाभास पर भी नजर डालने की जरूरत है कि एक ओर जहां 10 में से 6 लोगों को दवाओं की उपलब्धता नहीं है, जबकि भारत दुनिया के उन 4 प्रमुख देशों में शामिल है, जो अच्छी गुणवत्ता वाली जेनरिक दवाओं का उत्पादन कर इसे बाकी देशों को निर्यात करता है। प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना (पीएमबीजेपी) का मकसद इस विरोधाभासी स्थिति को दूर करना है। यह परियोजना देश के हर नागरिक को (चाहे वह किसी धर्मजाति या स्तर का हो) किफायती दरों पर अच्छी गुणवत्ता वाली दवाओं को उपलब्ध कराना है। इसके जरिये सरकार का इरादा देश के नागरिकों को जल्द से जल्द स्वास्थ्य सुरक्षा मुहैया कराना है। भारत सरकार के रसायन और उर्वरक मंत्रालय से जुड़े फार्मास्युटिकल विभाग ने नवंबर 2008 में देश भर में 'जनऔषधि योजनाशुरू की थी। इसका मकसद सभी लोगों को किफायत में बेहतर गुणवत्ता वाली जेनरिक दवाएं उपलब्ध कराना था। इस योजना को भारतीय फार्मा पीएसयू ब्यूरो (बीपीपीआई), गुड़गांव के जरिये लागू किया जा रहा है। यह ब्यूरो रसायन और उर्वरक मंत्रालय के फार्मास्युटिकल विभाग के प्रशासनिक नियंत्रण के तहत काम कर रहा हैहालांकि, साल 2015 तक सिर्फ 99 पीएमबीजेपी केद्र ही काम कर रहे थे। सितंबर 2015 में 'जन औषधि योजना को नया रूप दिया गया और इसका नाम बदलकर प्रधानमंत्री जन औषधि योजना (पीएमजेएवाई) कर दिया गया गया। योजना की पहुंच ज्यादा से ज्यादा बढ़ाने के लिए दिसंबर 2016 में इसका नाम एक बार फिर से बदलकर प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना (पीएमबीजेपी) कर दिया गया गया। इसके बाद राष्ट्रीय और क्षेत्रीय अखबारों के जरिये मीडिया में अभियान चलाकर लोगों को इस योजना में शामिल होने को कहा गया।

परियोजना का खास बातें

  • आबादी के सभी हिस्से, खासतौर पर गरीबों और वचिंतों तक अच्छी दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करना।
  • अच्छी गुणवत्ता वाली जेनरिक दवाओं की पहुंच का दायरा बढ़ाना, ताकि प्रति व्यक्ति के लिहाज से इलाज की यूनिट लागत को कम किया जा सके। डब्ल्यूएचओ-जीएमपी और सीपीएसयू विनिर्माताओं के जरिये बेहतर गुणवत्ता वाली दवाओं की खरीद और हर बैच को एनएबीए लैब से हरी झंडी मिलने के बाद ही जारी करना।
  • इस धारणा को दूर करने की जरूरत है कि गुणवत्ता का संबंध सिर्फ ऊंची कीमतों से है। लिहाजा, शिक्षा और प्रचार के जरिये जागरूकता फैलाना।
  • सरकार, पीएसयूनिजी क्षेत्र, एनजीओ, सोसायटी, सहकारी इकाइयों और बाकी संस्थानों की सहभागिता से सार्वजनिक कार्यक्रम चलाना।
  • इलाज की कम लागत के जरिये स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर करने के लिए जेनरिक दवाओं की मांग पैदा करना और तमाम तरह के इलाज में जरूरत के हिसाब से इन

दवाओं की उपलब्धता को आसान बनाना।

  • जन औषधि केंद्रों को खोलने में निजी उद्यमियों को जोड़कर रोजगार पैदा करना।
    16-17 और 2017-18 के दौरान हासिल किए गए लक्ष्य ( 31-08-2018 के मुताबिक)
  • पीएमबीजेके के जरिये 700 स ज्यादा दवाएं और सर्जिकल और अन्य 154 आइटम बिक्री के लिए स्केट में उपलब्ध हैं। जल्द ही बास्केट को बढ़ाकर इसके दायरे में 1,000

दवाओं को लाया जाएगा।

  • केद्रीय वेयरहाउस में उत्पादों का पर्याप्त स्टॉक उपलब्ध है। सभी उत्पादों को वितरकों और केद्रों तक पहुंचाने के लिए कोशिशें जारी हैं।
  • अलग-अलग राज्यों में 8 सीएंडएफ एजेंट बनाए गए हैं और बेहतर सप्लाई चेन मैनेजमेंट के मकसद कई और एजेंट बनाने को लेकर काम चल रहा है।
  • बेहतर उपलब्धता के लिए अलग अलग राज्यों में 54 वितरकों की। तैनाती हुई है।
  • आपूर्ति को बेहतर बनाने के लिए नया आपूर्ति प्रणाली लागू की गई।
  • कई राज्यों ने अपने यहां पीएमबीजेपी को लागु करने के लिए एमओयू पर हस्ताक्षर किए है।

उपलब्धता

  • चालू प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्रों की संख्या 3500 से भी ज्यादा हो गई है, 33 से भी ज्यादा राज्योंकेद्रशासित प्रदेशों में फैली है।
  • हर केद्र की रोजाना औसत बिक्री 3 300 रुपये है, जो 15000 रुपये के ब्रांडेड उत्पादों की बिक्री के बराबर है।
  • बीपीपीआई देश भर में हर दिन 4 -5 केद्र खोल रहा है।
  • पीएमबीजपा कद्र अब देश के 33 राज्योंकेंद्रशासित प्रदेशों में मौजूद है।
  • देश के कुल 718 जिलों में से कुल 584 में पीएमबीजेपी केद्र खोले गए है।

पीएमबीजेपी की वजह से गुणवत्ता वाली दवाओं की कीमतों में तेजी से कमी आई है। और आबादी के बड़े हिस्से, खासतौर पर गरीबों को दवाएं मिल रही हैं। पीएमबीजेपी के तहत उपलब्ध दवाएं ब्रांडेड कीमतों के मुकाबले 50-90 फीसदी सस्ती हैं, जिससे देश के नागरिकों को 400 करोड़ की बचत मुमकिन हो रही है। निम्न तालिका में इसे और स्पष्ट तरीके से समझा जा सकता है।

UPSC सामान्य अध्ययन प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा (Combo) Study Kit

UPSC सामान्य अध्ययन (GS) प्रारंभिक परीक्षा (Pre) पेपर-1 स्टडी किट

<<Go Back To Main Page

Courtesy: Yojana