(GIST OF YOJANA) कृषि क्षेत्र में समग्र पहल : हरित क्रांति - कृषोन्नति योंजना' [June -2018]
(GIST OF YOJANA) कृषि क्षेत्र में समग्र पहल : हरित क्रांति - कृषोन्नति योंजना' [June -2018]
कृषि क्षेत्र में समग्र पहल : हरित क्रांति - कृषोन्नति योंजना'
मई 2018 में प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की कबीना समिति ने कृषि क्षेत्र में - अंब्रैला स्किम - हरित क्रांति - कृषोन्नति योजना' को अपनी मंजूरी दी। 12 वीं पंचवर्षीय योजना से इतर 2017-18 और 2019-20 की अवधि के लिए इस योजना में केंद्र की हिस्सेदारी 33, 269.976 करोड़ रुपए है।
इस अंब्रेला योजना में 11 योजनाएं मिशन समाहित हैं। इनका उद्देश्य समग्र और वैज्ञानिक तरीके से कृषि और संबद्ध क्षेत्र में विकास करना है जिससे उत्पादन, उत्पादकता और उपज पर बेहतर रिटर्न को बढ़ाकर किसानों की आय में वृद्धि की जाए। तीन वित्तीय वर्षोंयानी 2017-18, 2018-19 और 2019-20 के लिए इन योजनाओं को 3,269.976 करोड़ रुपये के व्यय के साथ जारी रखा जाएगा।
निम्नलिखित योजनाएं अंब्रेला स्कीम्स में शामिल हैं-
1. बागवानी के एकीकृत विकास के लिए मिशन (एमआईडीएच) : 7533.04 करोड़ रुपए की कुल केंद्रीय हिस्सेदारी के साथ एमआईडीएच का उद्देश्य बागवानी उत्पादन को बढ़ाकर आहार सुरक्षा में सुधार करके और कृषि परिवारों को आय समर्थन देकर बागवानी क्षेत्र के समग्र विकास को प्रोत्साहित करना है।
2. तिलहन और तेल पाम पर राष्ट्रीय मिशन (एनएमओओपी) सहित राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (एनएफएसएम) में कुल केंद्रीय हिस्सा 6893.38 करोड़ रुपए का है। इसका उद्देश्य देश के चिन्हित जिलों में उचित तरीके से क्षेत्र विस्तार और उत्पादकता को बढ़ाकर चावल, गेहूं, दाल, मोटे अनाज तथा वाणिज्यिक फसलों का उत्पादन बढ़ाना है। यह कार्य प्रत्येक कृषि भूमि में मिट्टी की उर्वरता तथा उत्पादकता को बहाल करके और कृषि स्तरीय अर्थव्यवस्था बढ़ाकर किया जाएगा। इसका एक और उद्देश्य खाद्य तेलों की उपलब्धता को सुदृढ़ करना और खाद्य तेलों के आयात को घटाना है।
3. सतत कृषि के लिए राष्ट्रीय मिशन (एनएमएसए) में 3980. 82 करोड़ रुपए का कुल केंद्रीय हिस्सा है। एनएमएसए का उद्देश्य विशष कृषि परिस्थितिकी में एकीकृत कृषि, उचित मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन और संसाधनों के संरक्षण से जुड़ी प्रौद्योगिकी के मेलजोल से सतत कृषि को प्रोत्साहित करना है।
4. 2961.26 करोड़ रुपए के कुल केंद्रीय हिस्से के साथ कृषि विस्तार पर उपमिशन (एसएमएई) का उद्देश्य राज्य सरकारों, स्थानीय निकायों आदि की विस्तार व्यवस्था को मजबूत बनाना, खाद्य औरआहार सुरक्षा हासिल करना तथा किसानों का सामाजिक-आर्थिक सशक्तीकरण करना है जिससे कार्यक्रम नियोजन और क्रियान्वयन व्यवस्था को संस्थागत किया जा सके, विभिन्न हितधारकों के बीच कारगर संपर्क कायम किया जा सके, मानव संसाधन विकास को समर्थन दिया जा सके तथा इलेक्ट्रॉनिक तथा प्रिंट मीडिया अंतर वैयक्तिक संचार और आईसीटी उपकरणों का नए प्रकार से उपयोग किया जा सके।
5. बीज तथा पौध रोपण सामग्री पर उप मिशन (एसएमएसपी) में कुल केंद्रीय हिस्सेदारी 920.6 करोड़ रुपए की है। इसका उद्देश्य प्रामाणितउत्तम गुणवत्ता के बीजों का उत्पादन बढ़ाना, एसआरआर में वृद्धि करना, खेती से बचाए गए बीजों की गुणवत्ता बढ़ाना, बीज प्रजनन श्रृंखला को मजबूत बनाना, बीज उत्पादन में नई प्रौद्योगिकी और तौर-तरीकों को प्रोत्साहित करना, प्रसंस्करण, परीक्षण आदि को बढ़ावा देना है। इसका उद्देश्य बीज उत्पादन, भंडारण, प्रामाणीकरण तथा गुणवत्ता के लिए आधारभूत ढांचे को मजबूत और आधुनिक बनाना है।
6. कृषि मशीनीकरण पर उपमिशन (एसएमएएम) में कुल केंद्रीय हिस्सेदारी 3250 करोड़ रुपए की है। एसएमएएम का उद्देश्य छोटे और मझोले किसानों तक कृषि मशीनरी की उपलब्धता बढ़ाना और बिजली की कमी वाले क्षेत्रों में मशीनीकरण को बढ़ावा देना भी है। इसके अतिरिक्त जमीन के छोटे पट्टे और व्यक्तिगत स्वामित्व की उच्च लागत के कारण होने वाले आर्थिक नुकसानों की भरपाई के लिए 'कस्टम हायरिंग सेंटरों को प्रोत्साहित करना, उच्च तकनीक और उच्च मूल्य के कृषि उपकरणों के लिए हब तैयार करना, प्रदर्शन एवं क्षमता निर्माण संबंधित गतिविधियों के माध्यम से हितधारकों में जागरूकता बढ़ाना तथा देश भर में स्थापित निर्दिष्ट परीक्षण केंद्रों में प्रदर्शनपरीक्षण और प्रामाणीकरण को सुनिश्चित करना भी इस उपमिशन का लक्ष्य है।
7. पौध संरक्षण और पौधों के अलगाव पर उपमिशन (एसएमपीपीयूमें कुल केद्रीय हिस्सेदारी 102267 करोड़ रुपए की है। एसएमपीपीक्यू का उद्देश्य कीड़े-मकोड़ों, बीमारियों, अनचाहे पौधों, छोटे कीटाणुओं और अन्य कीटाणुओं आदि से कृषि फसलों तथा उनकी गुणवत्ता को होने वाले नुकसान को कम करना है। इसका उद्देश्य बाहरी प्रजाति के कीड़े-मकोड़ों के हमलों से कृषि जैविकी की सुरक्षा करना और विश्व बाजार में भारतीय कृषि सामग्रियों के निर्यात में सहायता करना और संरक्षण रणनीतियों के जरिए खेती की उत्तम पद्धतियों को प्रोत्साहित करना है। . कृषि गणना, अर्थव्यवस्थाएं तथा सांख्यिकी पर एकीकृत योजना (आईएसएसीईएस) में कुल केद्रीय हिस्सेदारी 730.58 करोड़ रुपए की है। इसका उद्देश्य कृषि गणना करना, प्रमुख फसलों की उपज लागत का अध्ययन करना, देश की कृषि संबंधी आर्थिक समस्याओं पर शोध अध्ययन करना, प्रख्यात अर्थशास्त्रियों, कृषि वैज्ञानिकों, विशेषज्ञों से जुड़े सम्मेलनों कार्यशालाओं और सेमिनारों
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को वित्त पोषित करना तथा अल्पावधि के अध्ययन करने हेतु पेपर लाना, कृषि साख्यिकी के तौर-तरीकों में सुधार करना और फसल रोपण से लेकर फसल कटाई तक की स्थिति के बारे में अनुक्रमिक सूचना प्रणाली बनाना है।
9. कृषि सहयोग पर एकीकृत योजना (आईएसएसी) में कुल केंद्रीय हिस्सेदारी 1902.636 करोड़ रुपए की है। इसका उद्देश्य सहकारी समितियों की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए वित्तीय सहायता उपलब्ध कराना, क्षेत्रीय असंतुलन को दूर करना और कृषि विपणनप्रसंस्करण, भंडारण, कम्प्यूटरीकरण एवं कमजोर वगों से जुड़े कार्यक्रमों में सहकारी विकास को तेज करना है। इसके अतिरिक्त इसका उद्देश्य मूल्य संवर्धन के जरिए कपास उत्पादकों को उनके उत्पादों के लिए लाभकारी मूल्य दिलाना तथा विकेद्रित बुनकरों को उचित दरों पर उत्तम गुणवत्ता की रूई की आपूर्ति सुनिश्चित करना है।
10. कृषि विपणन पर एकीकृत योजना (आईएसएएम) में कुल केंद्रीय हिस्सेदारी 386393 करोड़ रुपए की है। इसका उद्देश्य कृषि विपणन के लिए आधारभूत ढांचा विकसित करना, इस आधारभूत ढांचे में नवाचार तथा नवीनतम तकनीक एवं प्रतिस्पर्धा के विकल्पों को प्रोत्साहित करना है। इसके अतिरिक्त इस योजना | का उद्देश्य कृषि उत्पादों के श्रेणीकरण, मानकीकरण और गुणवत्ता | प्रमाणीकरण के लिए आधारभूत ढांचा उपलब्ध कराना, राष्ट्रव्यापी विपणन सूचना नेटवर्क स्थापित करना तथा देश भर में कृषि सामग्रियों के व्यापार हेतु बाजारों को साझा ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के जरिए एकीकृत करना है।
11. राष्ट्रीय ई-गवर्नेस (एनईजीपी-ए) में केंद्र की कुल हिस्सेदारी 211.06 करोड़ रुपए की है और इसका उद्देश्य विभिन्न कार्यक्रमों के अंतर्गत किसान और किसान केंद्रित सेवाओं को लाना। है। इस योजना का उद्देश्य विस्तार सेवाओं की पहुंच और प्रभाव को बढ़ाना, फसल चक्र के दौरान सूचनाओं और सेवाओं तक किसानों की पहुंच में वृद्धि करना, केद्र और राज्यों की वर्तमान आईसीटी पहल को विस्तार देना और उन्हें एकीकृत करना तथा उत्पादकता बढ़ाने के लिए किसानों को समय पर प्रासंगिक सूचना उपलब्ध कराते हुए कार्यक्रमों की क्षमता और प्रभाव में वृद्धि करना है।
उत्पादन क आधारभूत ढांचे को तैयार करनाउसे मजबूती देना, उत्पादन लागत को कम करना और कृषि एवं संबद्ध उत्पादों का विपणन इन योजनाओंमिशंस के केंद्र में है। पिछले कुछ वर्षों के दौरान भिन्न-भिन्न अवधि के लिए इन योजनाओंमिशंस को लागू किया जा रहा है।
इन सभी योजनाओंमिशनों को पृथक योजनामिशन के रूप में मूल्यांकित किया गया था और स्वतंत्र रूप से अनुमोदित किया गया था। वर्ष 207-18 में यह निर्णय लिया गया है कि इन सभी योजनाओंमिशंस को एक अंब्रेला योजना हरित क्रांतिकृषोन्नति योजना के अंतर्गत लाया जाए।
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Courtesy: Yojana