(GIST OF YOJANA) कृषि सुधारो के लिए प्रतिबद्ध है सरकार [June -2018]


(GIST OF YOJANA) कृषि सुधारो के लिए प्रतिबद्ध है सरकार [June -2018]


कृषि सुधारो के लिए प्रतिबद्ध है सरकार

देश की कृषि और खाद्य सुरक्षा पर काम आगामी वर्षो में लगातार जारी रहेगा और इससे एक निश्चित समयसीमा के भीतर किसानों की आमदनी को दोगुना करने में मदद मिलेगी। केद्रीय कृषि मंत्री श्री राधामोहन सिंह ने हाल में नई दिल्ली में राष्ट्रीय खरीफ सम्मेलन 2018 को संबोधित करते हुए यह बात कही। उन्होंने बताया कि भारत इस मामले में न सिर्फ आत्मनिर्भर है, बल्कि कई कृषि उत्पादों का निर्यातक भी है।
सरकार का मकसद कृषि नीतियों और कार्यकमों को 'उत्पादन केद्रित' के बजाय 'आमदनी केद्रित' बनाना है। इस महत्वाकांक्षी लक्ष्य को हासिल करने के लिए सरकार प्रधानमंत्री द्वारा सुझाए गए सात बिंदुओं वाली बहुआयामी रणनीति पर अमल को प्रोत्साहन दे रही है, जो कुछ इस तरह हैं:

  • सिंचाई पर जोर के साथ ‘प्रति बूद ज्यादा फसल के लिए संसाधन तैयार करने की खातिर हर स्तर पर समाधान पर जोर।
  • हर खेत की मिट्टी की गुणवत्ता के हिसाब से बेहतर बीज और पोषक तत्वों का प्रावधान।
  • फसलों की कटाई के बाद होने वाले नुकसान को रोकने के लिए वेयर हाउसों और कोल्ड चेन में बड़े पैमाने पर निवेश।
  • खाद्य प्रसंस्करण के जरिये वैल्यू एडिशन को बढ़ावा देना।
  • सभी 585 केद्रों की कमियों को दूर करने के लिए राष्ट्रीय
  • कृषि बाजार और ई-प्लेटफॉर्म को अमल में लाना।
  • जोखिम कम करने के लिए कम कीमत पर फसल बीमा योजना की शुरुआत
  • डेयरी पशुपालन पोल्ट्री, मधुमक्खी पालनबागवानी और मछली पालन जैसी अन्य गतिविधियों को बढ़ावा देना।

कृषि मंत्री ने बताया कि केंद्रीय बजट 2018-19 में राष्ट्रीय बांस मिशन का एलान किया गया है जिसका मकसद बांस को पूरी तरह से कृषि आय के तौर पर विकसित करना है। इससे किसानों की आमदनी बढ़ाने में मदद मिलेगी। डेयरी और मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय डेयरी योजना-1 (एनडीपी-1), डेयरी विकास राष्ट्रीय कार्यक्रम (एनपीडीडी), डेयरी उद्यमिता विकास योजना (डीईडीएस) और नीली क्रांति जैसे कार्यक्रमों और अभियानों को लागू किया जा रहा है और किसान इसका फायदा उठा रहे हैं।

सिंह का यह भी कहना था कि सरकार का मुख्य लक्ष्य न सिर्फ कृषि से जुड़े वैसे संभावित क्षेत्रों की पहचान करना है, जहां ज्यादा से ज्यादा निवेश किए जाने की जरूरत है, बल्कि बागवानी, पशुपालन और मछली पालन आदि क्षेत्रों से उन्हें जोड़कर आमदनी में बढ़ोतरी के लिए गुंजाइश बनाना है। किसानों की आमदनी को दोगुना करने का लक्ष्य हासिल करने के लिए कृषि मंत्रालय खेती की लागत कम करने को लेकर लगातार काम कर रहा है। इसके तहत बेहतर उत्पादकता के जरिये उत्पादन बढ़ाना, बेहतर रिटर्न सुनिश्चित करना और मौसम की अनिश्चितता के मद्देनजर जोखिम प्रबंधन जैसी बातें शामिल हैं। ज्यादा से ज्यादा उत्पादन सुनिश्चित करने के लिए राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन, बागवानी के एकीकृत विकास से जुड़े मिशनराष्ट्रीय तिलहन मिशन, राष्ट्रीय गोकुल मिशन, राष्ट्रीय पशु मिशन, नीली क्रांति आदि अभियान चलाए जा रहे हैं। इसी तरह, खेती की लागत को कम करने के लिए सॉयल में हेल्थ कार्ड, नीम कोटेड यूरिया के इस्तेमाल और फसलों के लिए ज्यादा से ज्यादा पानी जैसे उपाय किए जा रहे हैं। किसानों की आमदनी बेहतर करने के लिए ईनैमकोल्ड स्टोरेज, कम ब्याज दर पर स्टोरेज की सुविधा, फसल तैयार होने के बाद भी कर्ज की सुविधा, न्यूनतम समर्थन मूल्य के आधार में बढ़ोतरी आदि पर जोर दिया जा रहा है। जोखिम प्रबंधन और टिकाऊ व्यवस्था को अपनाने के लिए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई). परंपरागत कृषि विकास योजना (पीकेवीवाई) और उत्तरपूर्व के लिए जैविक खेती मिशन आदि पर काम चल रहा है।
 

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Courtesy: Yojana