(GIST OF YOJANA) सबके लिए स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार [May-2018]
(GIST OF YOJANA) सबके लिए स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार [May-2018]
सबके लिए स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार
देश के स्वास्थ्य क्षेत्र में , गत चार वर्षो में बहुत अधिक कार्य हुआ है। चाहे नीतिगत बदलाव हो, नए कर्यक्रम हो अथवा योजनाएं हों और चाहे वित्तीय अथवा वैश्विक लक्ष्यों को पूरा करना हो, स्वास्थ्य देखभाल के प्रत्येक पहलू में उल्लेखनीय उपलब्धियां अर्जित की गई हैं। सरकार समावेशी विकास के प्रति प्रतिबद्ध है और इसलिए 'सबका साथ सबका विकास' के तहत स्वास्थ्य का विषय इसके केन्द्र बिंदु में रहा है। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय यह सुनिश्चित करता है कि स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच अधिक कमजोर और सेवा से वंचित तबके तक हो। इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए मंत्रालय ने सबके लिए स्वास्थ्य-कवरेज को विस्तारित करने के लिए कई पहलें की हैं। नीतिगत मामलों के फ्रंट पर, देश के बदलते सामाजिक-आर्थिक और महामारी विज्ञानगत परिदृश्यों के चलते पैदा हुई वर्तमान और उभरती चुनौतियों का समाधान करने के उद्देश्य से 15 वर्षों के अंतराल के बाद, उठाए गए महत्वपूर्ण कदमों में से एक राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति, 2017 की घोषणा है। जबकि. इस नीति में देश के स्वास्थ्य देखभाल के सभी घटकों को समाहित किया गया है और इसका मुख्य फोकस निवारक एवं प्रोत्साहक स्वास्थ्य, प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल और
ऐसी सेवाओं तक पहुंच सुनिश्चित करने इन्हें समर्थकारी बनाने तथा स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता पर है। अन्य नीतिगत प्रयासों में, मानसिक स्वास्थ्य देखरेख अधिनियम एचआईवी तथा एड्स (निवारक एवं नियंत्रणअधिनियम, 2017 और देश की सभी मेडिकल सीटों में प्रवेश के लिए एक समान प्रवेश परीक्षा हेतु भारतीय चिकित्सा परिषद् अधिनियम, 1956 में संशोधन करना शामिल है। राष्ट्रीय पात्रता एवं प्रवेश परीक्षा (नीट) के अंतर्गत पहली बार निजी कालेजों और मान्य विश्वविद्यालयों सहित सभी के लिए एक समान प्रवेश परीक्षा है। साथ ही, मेडिकल पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए राष्ट्रीय पात्रता एवं प्रवेश परीक्षा की मेरिट सूची के आधार पर दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम , 2016 के प्रावधानों के अनुरूप दिव्यांगों के लिए वार्षिक स्वीकृत इनटेक क्षमता में वृद्धि करते हुए इसे 3 प्रतिशत से बढ़ाकर 5 प्रतिशत किया गया है।
स्वास्थ्य मंत्रालय, लाभार्थी के क्षमता से अधिक (आउट आफ पॉकेट) खों को कम करने के मद्देनजर स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच सामथ्य और इसकी गुणवत्ता को सुनिश्चित करने पर लगातार कार्य कर रहा ह। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के प्रमुख कार्यक्रम के अंतर्गत सभी 29 राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों की सभी सरकारी उपचार केन्द्रों में नि:शुल्क ड्रग्स एवं डायग्नोस्टिक कार्यक्रम के माध्यम से नि:शुल्क आवश्यक दवाइयां और निदान सूचक सेवाएं मुहैया करायी जाती हैं। अन्य अभिनव पहल के अंतर्गत कम कीमत की दवाइयां और उपचार के लिए विश्वसनीय प्रत्यारोपण सुविधाएं उपलब्ध हैं। 22 राज्यों में फैली 124 अमृत फार्मेसी के माध्यम से 5200 से अधिक औषधियां (कार्डियोवैस्चुअलकैसर डायबिटिज स्टाट्स आदि से संबंधित औषधियों सहित) इम्लांट सर्जिकल डिस्पोथजेबल्सि तथा अन्य कंज्यूमेबल्स को बाजार दरों की तुलना में 50 प्रतिशत की उल्लेखनीय छूट पर बेचा जाता है। कुल 566.36 करोड़ रुपये के एमआरपी मल्य वाली औषधियां 25436 करोड़ रुपये में प्रदान की गईजिसके परिणामस्वरूप मरीजों के 311.90 करोड़ रुपयों की बचत हुई। प्रधानमंत्री राष्ट्रीय डायलिसिस कार्यक्रम (पीएम-एनडीपी) के अंतर्गत 237,139 रोगियों को सेवाएं प्रदान की गई और 497 डायलिसिस ऑपरेशनल यूनिटोंकेन्द्रों और 3330 टोटल ऑपरेशनल डायलिसिस मशीनों के द्वारा 22,84353 निशुल्क डायलिसिस संचालित किए गए। इसके साथ ही अपने मातृका स्वास्थ्य कार्यक्रम के हिस्से के रूप में 648517 करोड़ रुपये के व्यय के साथ जननी शिशु योजना के अंतर्गत 388.65 लाख माताओं को लाभ पहुंचाया। गया। इसके परिणामस्वरूप देश में संस्थागत शिशु जन्म (डिलीवरी) की दर 47 प्रतिशत (डीएलएचएस-3, 2007-08) से बढ़कर 789 प्रतिशत (एनएफएचएस 4 2015-16) पहुंच गई है। एक नए कार्यक्रम, प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान से 1.16 करोड़ प्रसूतिपूर्व जांचों के माध्यम से 6 लाख से अधिक उच्च जोखिम की गर्भावस्था का पता लगाने में मदद मिली। एक अन्य नई पहल | है- लक्ष्य-लेबर रूम गुणवत्ता सुधार पहल जो 11 दिसम्बर, 2017 को शुरू की गयी है। यह लेबर रूम और प्रसूति ऑपरेशन थिएटरों से संबंधित मुख्य प्रक्रियाओं को सुदृढ़ करने हेतु एक केन्द्रीकृत और लक्षित दृष्टिकोण है। एनएचएम के अंतर्गत पहुंच सुनिश्चित करने हेतु मौजूदा समय में पूरे देश भर में 1416 सचल मेडिकल यूनिटें और 24276 रोगीवाहन (104108) प्रचालन में हैं। जन स्वास्थ्य प्रणालियों की अवसंरचना को सुदृढ़ करने के लिए 7990 निर्माण कार्यों और 9615 मरम्मत कार्यों को पूरा किया गया, देश भर में 73879 'आशाकर्मियों का चयन किया गया और 76283 स्वास्थ्य किटें मुहैया करायी गई। तथा 8149 आयुष चिकित्सक नियुक्त किए गए। एक सफल और युगान्तकारी उपलब्धि यह रही है कि भारत को, दिसम्बर, 2015 की वैश्विक लक्ष्य 6 तारीख के बहुत पहले अप्रैल, 2015 में ही मातृत्व एवं नवजात टिटनेस उन्मूलन (एनएनटीई) के लिए अभिपुष्ट कर दिया गया था। इसमें सबसे उल्लेखनीय बात यह है कि भारत में पांच वर्ष के अंदर होने वाली मृत्यु दर और मातृ मृत्यु अनुपात वैश्विक औसत की तुलना में तेजी से नीचे गिरा है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की अवधि के दौरान आईएमआर में कमी की वार्षिक मिश्रित दर प्रतिशतता भी 2.1 प्रतिशत से बढ़कर 45 प्रतिशत हो गई है। देश की समग्र गर्भाधान दर (टीएफआर) 1990 में 3.8 से घटकर 2005 में 2.9 तथा वर्ष 2013 में 2.3 हो गई है और 24 राज्योंसंघ राज्य क्षेत्रों ने पहले ही 2.1 से कम का प्रतिस्थापन स्तर हासिल कर लिया है।
एक महत्वपूर्ण उपलब्धि विश्व की सबसे बड़ी जनस्वास्थ्य कार्य योजना अर्थात पांच नइ वैक्सीन (मीजल्स-रूबेला , न्यूनमोकोकाल, रोटावायरस, इनएक्टीतवेटेड पोलियो और जापानी इंसेफलाइटिस) की शुरुआत द्वारा सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम का विस्तार है, जिसमें अब कुल वैक्सीन की संख्या 12 हो गई है। मिशन इन्द्रधनुषयूनिवर्सल टीकाकरण कार्यक्रम का एक महत्वपूर्ण घटक था, जिसने 528 जिलों में अपने 4 चरण पूरे कर लिए हैं। इस मिशन मोड स्कीम के अंतर्गत 255 करोड़ बच्चों का टीकाकरण किया गया और 66.57 लाख गर्भवती महिलाओं को पूर्ण रूप से प्रतिरक्षित किया गया और 68.78 लाख गर्भवती महिलाओं को प्रतिरक्षित किया जा रहा है। मिशन इन्द्रधनुष के अकेले पहले दो चरणों में विगत 1 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि की तुलना में एक वर्ष में संपूर्ण प्रतिरक्षण कवरेज में 6.7 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। केवल यही नहीं, 90 प्रतिशत के समग्र प्रतिरक्षण का लक्ष्य प्राप्त करने की तारीख को प्रधानमंत्री ने निर्धारित समय से पहले इसे दिसम्बर, 2010 में ही प्राप्त करने का लक्ष्य रखा है। इस उपलब्धि को हासिल करने के लिए प्रधानमंत्री द्वारा वडनगर, गुजरात में 8 अक्तूबर, 2017 को गहन मिशन इन्द्रधनुष की शुरुआत की गई थी, जिसे 121 जिलों, 17 शहरी क्षेत्रों और पूर्वोत्तर राज्यों के 52 जिलों (24 राज्यों के कुल 190 जिलोंशहरी क्षेत्रों में) में संचालित किया जाएगा।
वर्ष 2014 से, 1 से 19 वर्ष के समूह में, बच्चों को अल्बेंडाजोल की 97 करोड़ से अधिक खुराके दी गई हैं। साथ ही, देश भर में 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में गंभीर तीव्र कुपोषण के प्रबंधन हेतु 1150 पोषणीय पुनर्वास केन्द्रों की स्थापना की गई है। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम4डी अर्थात जन्म के समय विकृतियां, बीमारियां, कमियां तथा विकास में विलंब की शीघ्र पड़ताल और प्रबंधन के द्वारा शिशु स्वास्थ्य जांच तथा शीघ्र हस्तक्षेप सेवाओं तथा तृतीय स्वास्थ्य सेवा केन्द्रों में शल्य चिकित्सा सहित चिन्हित की गई 30 स्वास्थ्य दशाओं के नि:शुल्क प्रबंधन के लिए प्रावधान को अनिवार्य बनाता है। सितम्बर, 2017 तक इस कार्यक्रम के अंतर्गत कुल 1.55 करोड़ बच्चों को उपचार प्राप्त हो चुका है। किशोरवय स्वास्थ्य पर अधिक ध्यान केन्द्रित करने के साथ राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम की शुरुआत की गई। इसके अंतर्गत किशोरवय अनुकूल स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराने के लिए राज्यों में 7516 किशोर अनुकूल स्वास्थ्य क्लिनिक स्थापित किए गए हैं। इन क्लिनिकों में एक वर्ष में लगभग 60 लाख किशोर परामर्श और क्लिनिकल सेवाएं प्राप्त करते हैं।
इस मत्रालय ने जनसंख्या स्थिरीकरण के लिए प्राथमिकता तय की है वर्ष 2016 में मिशन परिवार विकास कार्यक्रम शुरू किया गया था ताकि मुख्य पहलों के साथ-साथ 146 उच्च गर्भाधान वाले जिलों की निरोधों और परिवार योजनों के उपायों तक पहुंच बढ़ाई जा सके। इसके अंतर्गत, उपकेन्द्र स्तर तक नवीन निरोधक उपलब्ध कराए जाते हैं। नई पहल के भाग के रूप में, नव दम्पतियों को 'आशा' कर्मियों द्वारा परिवार नियोजन किट मुहैया करायी जाती है। परिवार नियोजन एवं प्रजनन संबंधी स्वास्थ्य से जुड़े मामलों पर खुली बातचीत करने के लिए युवा विवाहित महिलाओं और उनकी सास को बढ़ावा देने हेतु सास-बहू सम्मेलन आयोजित किए जाते हैं। इस कार्यक्रम के अलावा पूरे देश में परिवार नियोजन विकल्पों की बास्केट में तीन नए निरोधकों को शामिल किया गया है अर्थात- अन्तर कार्यक्रम के अंतर्गत इंजेक्टेबल कांन्ट्रा सेप्टिव एमपीए (मीड्रॉक्सी प्रोजेस्टेरोन एसीटेट), केन्चे रोमन (छाया) तथा प्रोजेस्टेवरोन ऑनली पिल्स और इंजेक्टेबल तथा सेन्ट्क्रोमेन शुरू किये गए है
जुलाई, 2014 से छह कार्यशील एम्स' में (पिछले एक वर्ष में बढ़ाए गए । 850 बिस्तरों सहित) 1675 बिस्तरों की बढ़ोतरी की गई है और वर्ष 2017-18 में झारखण्ड और गुजरात में 2 नए ‘एम्स’ की घोषणा की गई है। उक्त छह 'एम्स' में सेवाओं के बास्केट में विस्तार किया गया है और वर्तमान में प्रतिमाह औसतन 163 बड़ी सर्जरी की जा रही हैं। साथ ही, चार राजकीय मेडिकल कॉलेजों में सुपर स्पेशियलिटी ब्लॉकों के निर्माण का कार्य पूरा हो गया है जिससे 902 अस्पताल बिस्तरोंछह सुपर स्पेशियलिटी विभागों और तीन ट्रॉमा सेंटरों की वृद्धि हुई तथा 13 और राजकीय मेडिकल कॉलेजों के स्तरोनयन परियोजनाओं के लिए मंत्रिमंडल का अनुमोदन प्राप्त कर लिया गया है।
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Courtesy: Yojana