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Model Questions for UPSC PRE यूपीएससी आईएएस (प्री) सीसैट CSAT (Hindi) Set-78

Model Questions for UPSC PRE यूपीएससी आईएएस (प्री) सीसैट CSAT (Hindi) Set-78

लेखांशः प्रश्नों के लिए निर्देषः नीचे दिए गए लेखांश को पड़े तथा उसके बाद प्रश्नों के उत्तर दे। आपके उत्तर लेखांश पर ही आधारित होना चाहिए कतर वार्ता

Model Questions for UPSC PRE यूपीएससी आईएएस (प्री) सीसैट CSAT (Hindi) Set-77

Model Questions for UPSC PRE यूपीएससी आईएएस (प्री) सीसैट CSAT (Hindi) Set-77

लेखांशः प्रश्नों के लिए निर्देष नीचे दिए गए लेखाश को पड़े तथा उसके बाद प्रश्नों के उत्तर में आपके उत्तर लेखांश पर ही आधारित होना चाहिश तीव्र आर्थिक

Model Questions for UPSC PRE यूपीएससी आईएएस (प्री) सीसैट CSAT (Hindi) Set-76

Model Questions for UPSC PRE यूपीएससी आईएएस (प्री) सीसैट CSAT (Hindi) Set-76

लेखांशः प्रश्नों के लिए निर्देषः नीचे दिए गए लेखांश को पड़े तथा उसके बाद प्रश्नों के उत्तर दे। आपके उत्तर लेखांश पर ही आधारित होना चाहिए 26/11 के मुम्बई

Model Questions for UPSC PRE यूपीएससी आईएएस (प्री) सीसैट CSAT (Hindi) Set-75

Model Questions for UPSC PRE यूपीएससी आईएएस (प्री) सीसैट CSAT (Hindi) Set-75

लेखांशः प्रश्नों के लिए निर्देषः नीचे दिए गए लेखांश को पड़े तथा उसके बाद प्रश्नों के उत्तर दे। आपके उत्तर लेखांश पर ही आधारित होना चाहिए हमने बाजार और

(The Gist of Kurukshetra) जैविक खेती के विकास के लिए वेस्ट (कचरा) डीकंपोजरी [April-2018]


(The Gist of Kurukshetra) जैविक खेती के विकास के लिए वेस्ट (कचरा) डीकंपोजरी [April-2018]


जैविक खेती के विकास के लिए वेस्ट (कचरा) डीकंपोजर

राष्ट्रिय जैविक केंद्र ने वर्ष 2015 में कचरा दिक्पोजर का अविष्कार किया जिसके पुरे देश में आश्चर्यजनक सफल परिणाम निकले। इसका प्रयोग जैविक कचरे से तत्काल खाद बनाने के लिए किया जाता है तथा मिटटी के स्वास्थ्य में सुधर के लिए बढे पैमाने में केचुएं पैदा होते है और पौध की बीमारियों को रोकने के लिए इसका उपयोग किया जाता है इसको देशी गाय के गोबर से सुष्म जैविक जीवाणु निकल कर बनाया गया है। वेस्ट डिंकपोजर की 30 ग्राम की मात्र को पैक्ड बोतल में बेचा जा रहा है जिसकी लगत 20 रु प्रति बोतल आती है। इसका निर्माण राष्ट्रिय जैविक खेती केंद्र , गाजियाबाद में होता है। देश के एक लाख किसानो के पास अभी यह पहुंचा है जिससे 20 लाख से ज्यादा किसान इससे लाभान्वित हुए है। इस वेस्ट डिंकपोजर को आईसीएसआर द्वारा सत्यपित किया जाता है।

(कचरा) वेस्ट डीकंपोजर तैयार करने का तरीका

  • 2 किलो गुड़ को 200 लीटर पानी वाले प्लास्टिक के ड्रम में मिलाएं।
  • अब एक बोतल वेस्ट डीकंपोजर की ले और उसे गुड़ के गोल वाले प्लास्टिक ड्रम में मिला दें।
  • ड्रम में सही ढंग से वेस्ट डीकंपोजर के वितरण के लिए लकड़ी के एक डंडे से इसे हिलाएं और व्यवस्थित ढंग से मिलाएं।
  • इस ड्रम को पेपर या कार्ड बोर्ड से ढक दें और प्रत्येक दिन एक या दो बार इसको पुनः मिलाएं।
  • 5 दिनों के बाद ड्रम का गोल क्रीमी हो जाएगा यानी एक बोतल से 200 लीटर वेस्ट डी कंपोजर घोल तैयार हो जाता है।

उपयोग

1. वेस्ट डीकंपोजर का उपयोग 1000 लीटर प्रति एकड़ किया जाता है जिससे सभी प्रकार की मिट्टी क्षारीय एवं अम्लीय) के।रासायनिक एवं भौतिक गुणों में इस प्रकार के अनुप्रयोग के 21 दिनों के भीतर सुधार आने लगता है तथा इससे 6 माह के भीतर एक एकड़ भूमि हो में मृदा में 4 लाख से अधिक केचुएं पैदा जाते हैं।

2. कृषि जानवरों मलकिचन का कचरा तथा शहरों का कचरा जैसी सभी नाशवान जैविक सामग्री 40 दिनों के भीतर कचराका गल कर जैविक खाद बन जाती है।

3. वेस्ट डीकंपोजर से बीजों का उपचार करने पर 98 प्रतिशत मामलों में बीजों की शीघ्र और एक सामान अंकुरण की घटनाएं देखने में आती हैं तथा इससे अंकुरण से पहले बीजों को संरक्षण प्रदान होता है।

4. वेस्ट डीकंपोजर का पौधों पर छिड़काव करने से विभिन्न फसलों में सभी प्रकार की बीमारियों पर प्रभावी ढंग से रोक लगती है।

5. वेस्ट डीकंपोजर का उपयोग करके किसान बिना रसायन उर्वरक व कीटनाशक हैं। इससे , डीएपी या फसल उगा सकते यूरिया एमओपी की आवश्यकता नहीं पड़ती है।

6. वेस्ट डीकंपोजर का प्रयोग करने से सभी प्रकार की कीटनाशी / फफूदनाशी और नाशीजीव दवाईयों का 90 प्रतिशत तक उपयोग कम हो जाता है क्योंकि यह जड़ों की बीमारियों और तनों की बीमारियों को नियंत्रित करता है ।

जैविक खेती की सीमाएं

  • यह अधिक समय लेने वाली प्रक्रिया पर आधारित है।
  • प्रारम्भ में पैदावार कम होती है।
  • बढे पैमाने पर जैविक आधानो उपलब्धता की आवश्यकता।
  • उच्च गुणवत्ता वाले आधानो की कम उपलब्धता।
  • विपणन सुविधाओं की कमी।
  • किसानो के लिए प्रशिक्षण सुविधाओं की कमी

जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए संगठन और सरकारी योजनाएं / पहल

राष्ट्रिय जैविक खेती अनुसंधान संसथान , गंगटोक, सिक्किम हल ही में स्थापित यह सनुसन्धान संसथान जैविक खेती पर अनुसन्धान और शिक्षा को बढ़ावा देता है। इसमें जैविक उत्पादन प्रणाली, खासतौर पर पूर्वोत राज्यों के पर्वतीय इलाको में जैविक उत्पादन में प्रशिक्षण दिया जाता है।

UPSC सामान्य अध्ययन प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा (Combo) Study Kit 2018

Model Questions for UPSC PRE यूपीएससी आईएएस (प्री) सीसैट CSAT (Hindi) Set-74

Model Questions for UPSC PRE यूपीएससी आईएएस (प्री) सीसैट CSAT (Hindi) Set-74

लेखांश : प्रश्नों के लिए निर्देषनीचे दिए गए लेखांश को पड़े तथा उसके बाद अश्नों के उत्तर दे। आपके उत्तर लेखांश पर ही आधारित होना चाहिए पश्चिमी

Model Questions for UPSC PRE CSAT PAPER SET - 74

Model Questions for UPSC PRE CSAT PAPER SET - 74

Passage: Instruction for question- read the followingpassage and answer the questions that follow. Your answers to the questions should be based on the passage only.

A calamity can strike any county, even one of the most developed ones. Its true that an advanced level of preparedness mitigates the consequences of the calamity .

But then you never know how deadly the calamity will be neither do use know why a particular place becomes the venue of disaster and it is no use questiong God’s way, as has long been established since the days of job. But these are things which man can be cautious against. For a number of tragedies are visited upon us for our doing. In our quest for development we forgot that things can go out of hand. In fact the powers of development blinds us to our limitations priding ourselves on vanquishing nature, we build casteless it is only the fury of nature that remains us from time to time that these are but castles of sand. Nuclear power is one such meme. No matter how much are we taught it as a peaceful means is repeatedly compress upon us that it had its genesis in bringing upon the world one of its Servest catastrophes the ghost of Hiroshima refuses to be burried and however Fukushima. If it can happen in developed county like Japan. One should think twice or thrice may be four times before embracing this technology. The safeguards are critical and should be developed. Before the project start in full swing. Whether it was three mile island , Chernobyl or Fukushima, there is a lot that developing countries need to learn before signing nuclear deal left right and centre.

Alternatively, it is not bad an idea to question what development means. Is it so complete thing as growth of per capita power consumption? Or is there another dimension that we fails to employ because of our tunnel vision. Its time we concentrated our energy on spiritual guest too. Its good to learn physic but here is nothing bad about learning metaphysics. 16

1. An officer has been given an important target for completion the should

(a) Achieve target by team work and cohesiveness.
(b) Important the plan work gradually
(c) Use his position to achieve the target.
(d) Put pressure on his subordinates.

2. You are the team leader you made a mistake while explaining a project to your team workers.a team member rudely points out the error. How will you react?

(a) You will become angry on him and scold him.
(b) You will feel sorry and improve your mistake.
(c) You will make a mockery of the employee
(d) You will take it lightly and leave the topic.

3. In, life, you often have a share a workspace with any person. What is an important point to Remember when sharing a workspace?

(a) Share your workspace with someone who has a similar way of working.
(b) Do not change the layout of the workspace without asking.
(c) Often crack jokes to make your colleague happy.
(d) Indulge in informal relation with your colleague.

4. There are some people who constantly by complain about one thing or the other. Which of the following  characteristics of individuals influence their satisfaction level?

(a) Educational level
(b) Experience
(c) Age
(d) Personality

5. A person went to a psychiatrist this problem was that words were not coming to him quickly during speaking the probable reason for this could be

(a) He has gone brain- dead
(b) He is losing his memory.
(c) He does 30 percent to 40 percent of his work by leaving voice- mail, ménage ore- mails.
(d) He is not talkative

Printd Study Material for UPSC CSAT Paper-2 Exam - 2018

(The Gist of Kurukshetra) पर्यावरण - अनुकूल जैविक खेती [April-2018]


(The Gist of Kurukshetra) पर्यावरण - अनुकूल जैविक खेती [April-2018]


पर्यावरण - अनुकूल जैविक खेती

भारत में 1965-66 में कृषि के क्षेत्र में हरितक्रांति की शुरुआत के बाद से देश की बेतहाशा बढ़ रही आबादी की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए खेती में उर्वरकों के इस्तेमाल को भारी बढ़ावा मिला है। परिणामस्वरूप हमने अपने लक्ष्यों को पूरा किया है और खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भरता प्राप्त की है। लेकिन सघन खेती प्रणाली के खतरे बड़े चुनौती भरे हैं क्योंकि इनसे पारिस्थितिकीय संतुलन पर भारी असर पड़ता है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए आर्गेनिक या जैविक खेती पर आधारित प्रणाली की बात सोची गई जिसमें रासायनिक उर्वरकों की बजाय कार्बनिक पदार्थों के सड़ने-गलने से प्राप्त खाद का प्रयोग किया जाता है। जैविक पदार्थों से बनी खाद के इस्तेमाल पर आधारित यह प्रणाली हमारे समाज में प्राचीनकाल से ही प्रचलित रही है। इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ आर्गेनिक एग्रिकल्चर मूवमेंट्स (आर्गेनिक खेती अभियानों का अंतर्राष्ट्रीय परिसंघ-आईएफओएएम) एक ऐसा अंतर्राष्ट्रीय संगठन है जो जैविक खेती के मानकों को विनियमित करता है और दुनिया भर में आर्गेनिक खेती की अवधारणा को बढ़ावा देने के लिए विश्व के 120 से अधिक देशों को एकजुट कर उनकी मदद करता है। आईएफओएएम के अनुसार जैविक खेती ऐसी उत्पादन प्रणाली है जो जमीं, परिस्थितिकिय प्रणाली और लोगो के स्वास्थ्य को बनाये रखती है।

अवधारणा

यह उत्पादन प्रबंधन प्रणाली आमतौर जैविक पदार्थों या खेत आधारित संसाधनों (फसलों के अवशिष्ट पदार्थोंमवेशियों के गोबर हरी खादखेतों और उनके बाहर के अपशिष्टग्रोथ रेग्युलेटरोंजैव उर्वरकों, बायो पेस्टिसाइड आदि पर आधारित है। इसमें खेतों से बाहर के कृत्रिम पदार्थों (उर्वरकों, कवकनाशकों, खरपतवार नाशकों आदि) के उपयोग को हतोत्साहित किया जाता है ताकि मिट्टी, पानी और हवा को प्रदूषित किए बगैर लंबी अवधि तक प्राकृतिक संतुलन को कायम रखा जा सके। इसमें खेती के लिए किसी स्थान विशेष से संबंधित फसल वैज्ञानिक, जैविक और यांत्रिक विधियों का उपयोग किया जाता है ताकि संसाधनों का पुनर्चक्रण हो सके। और कृषि-पारिस्थितिकीय तंत्र पर आधारित स्वास्थ्य को बढ़ावा दिया जा सके।

उदेश्य

  • कृषि रसायनो का उपयोग न करना

  • प्राकृतिक संतुलन को बरकरार रखना

  • पौष्टिक आहार का उत्पादन

  • ग्रामीण आजीविका को लाभप्रद जैविक खेती के ज़रिए बढ़ावा देना

  • मिटटी और पानी जैसे ससंसाधनो का सरंक्षण

  • फसल उतपासन के साथ- साथ पशुधन का व्यवस्थिति विकास

  • जैव विविधता और पारिस्थितिकय प्रणाली सम्बन्धी सेवाओं का सरंक्षण और सवर्धन

  • प्रदुषण की रोकथाम

  • खेती में जीवाश्म ईंधन से प्राप्त ऊर्जा का उपयोग कम करना

  • अधिक टिकाऊ और उत्पादक कृषि प्रणाली का विकास करना।

UPSC सामान्य अध्ययन प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा (Combo) Study Kit 2018

Model Questions for UPSC PRE यूपीएससी आईएएस (प्री) सीसैट CSAT (Hindi) Set-73

Model Questions for UPSC PRE यूपीएससी आईएएस (प्री) सीसैट CSAT (Hindi) Set-73

निर्देश : निम्न पाई चार्ट एक विश्व विधालय में विभिन्न विषयो में पढ़ने वाले छात्रों के वितरण को दर्शाता है।

(The Gist of Kurukshetra) मत्स्य पालन के नए आयाम [April-2018]


(The Gist of Kurukshetra) मत्स्य पालन के नए आयाम [April-2018]


मत्स्य पालन के नए आयाम

विश्व में भारत मत्स्य उत्पादन या मात्स्यिकी में दूसरे स्थान पर है। देश में वर्ष 2016-17 के दौरान लगभग 1.14 करोड़ टन मछलियां और अन्य जलजीव, समुद्री तटों एवं अंत स्थलीय मछुआरों द्वारा पकड़े अथवा मत्स्य पालन के जरिए उत्पादित किए गए हैं। यही नहीं जलजीव संवर्धन/पालन (एक्वाकल्चर) के क्षेत्र में भी हमारा देश विश्व में दूसरे पायदान पर है। वर्तमान में देश में लगभग 1.5 करोड़ लोगों की आजीविका का आधार मात्स्यिकी मत्स्य प्रग्रहण के कार्यकलापों से जुड़ा हुआ है। वर्ष 2016-17 में भारत द्वारा रिकार्ड 37870.90 करोड़ रुपये मूल्य के बराबर की बहुमूल्य विदेशी मुद्रा 1134,948 मीट्रिक टन समुद्री मछलियों/जलजीवों का निर्यात कर कमाई गई थी। राष्ट्रीय मात्स्यिकी विकास बोर्ड (नेशनल फिशरीज डेवलपमेंट बोर्डया एनएफडीबी के आंकड़ों पर नजर डालें तो देश के सकल घरेलू उत्पादन (जीडीपी) में मत्स्य क्षेत्र की भागीदारी लगभग 11 प्रतिशत और कृषि जीडीपी में लगभग 5.15 फीसदी है। बढ़ते मत्स्य उत्पादन के कारण ही देश में प्रति व्यक्ति 9 किलोग्राम मत्स्य आहार की उपलब्धता संभव हो पाई है। इन तथ्यों से मात्स्यिकी फिशरीजके महत्व को बखूबी समझा जा सकता है। सरकार द्वारा भी इस क्षेत्र पर अब भरपूर ध्यान दिया जा रहा है और इसी क्रम में नील क्रांति मिशन को तैयार कर उस पर अमल किया जा रहा है। इसमें वर्ष 2020 तक मत्स्य निर्यात को 100 लाख करोड़ रुपये के लक्ष्य तक पहुंचाना तय किया गया है ।

विश्व में समुद्री मात्स्यिकी को सर्वाधिक तेजी से बढ़ने वाले खाद्य उत्पादन क्षेत्र के तौर पर देखा जा रहा है। इसके पीछे कारण है बढ़ती विश्व आबादी के लिए प्रोटीनयुक्त अत्यत कम लागत के आहार को बड़ी मात्रा में उपलब्ध करवाने की समुद्री मात्स्यिकी की अक्त क्षमता। सीफ़ड पर आधारित व्यंजनों का चलन भी संभवत इसी वजह से तमाम देशों में बढ़ता हुआ देखा जा सकता है। कई फास्टफूड समूह तो सीफूड से तैयार विभिन्न डिश के बल पर ही अपने कारोबार को तेजी से बढ़ा रहे हैं। ऐसे में भारत के लिए विभिन्न प्रकार की समुद्री मछलियों और अन्य जलजीवों का निर्यात बढ़ाने के अच्छे अवसर हो सकते हैं।

भारत का बढ़ता मात्स्यिकी निर्यात

अमेरिका और यूरोप के देशो के सदस्य देश भी भारत से समुंद्री जलजीवों का भारी मात्रा में आयत कर है
निर्यात में हिस्सेदारी निरंतर बढ़ रही है कुल मत्स्य निर्यात में लगभग 3828 प्रतिशत या डॉलर में हुई कमाई के रूप में 64.50 प्रतिशत की निम्प की भागीदारी है।
श्रिम्प के बाद हिमीकृत मछलियों की सर्वाधिक मात्रा निर्यात (2615 प्रतिशतकी जाती है।
समुद्री जलजीवों के भारत से आयात में डॉलर से भुगतान के आधार पर अमेरिका पहले (2998 प्रतिशत, दक्षिणीपूर्वी एशिया। दूसरे (2991 प्रतिशत) और यूरोपियन यूनियन (7.98 प्रतिशतके। साथ तीसरे स्थान पर है।

श्रिम्प एल वन्नामेयी, जलजीव प्रजातियों में विविधता और गुणवत्ता में बढ़ोतरी तथा समुद्री जलजीवों के प्रसंस्करण की सुविधाओं में बढ़ते निवेश से निर्यात में वृद्धि हो रही है।

भारत से टाइगर श्रिम्प के खरीददार के रूप में जापान सबसे आगे है। इसकी हिस्सेदारी लगभग 48.34 प्रतिशत है।
भारत से लगभग 75 देशों को मछलियों और शेलफिश के उत्पादों का निर्यात किया जाता है।
देश के कुल कृषि निर्यात में मात्स्यिकी क्षेत्र की भागीदारी लगभग 20 प्रतिशत है।

पिंजरे में जलजीव संवर्धन

समुद्री मुहानों, खाड़ियोंछोटे जलाशयों तथा खारे जलाशयों के लिए स्थानीय तौर पर बनाए गए उपयुक्त पिंजरों में मछली पालन एक उभरती हुई नवोन्मेषी और व्यावहारिक प्रौद्योगिकी है।रोजगार सृजनमछली उत्पादन और आय अर्जन के उद्देश्य से इस प्रौद्योगिकी का प्रयोग खारे जल संसाधनों के साथ देश के तटीय हिस्सों में भी लोकप्रिय होता जा रहा है। खारा जलजीव पालन विकास की दिशा में नोडल अनुसंधान संस्थान के तौर पर भाकृअनुप केंद्रीय खारा जलजीव पालन संस्थान, चेन्नई और राष्ट्रीय समुद्री प्रौद्योगिकी संस्थानचेन्नई द्वारा साझेदारी में काम किया जा रहा है। इसके अंतर्गत न सिर्फ युवाओं को इससे संबंधित विशिष्ट ट्रेनिंग प्रदान की जाती है बल्कि पिंजरा डिजाइन, निर्माण व स्थापना के क्षेत्र में भी कौशल को बढ़ावा दिया जाता है। भाकृअनुपकेंद्रीय समुद्री मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान कोच्चि द्वारा भी पिंजरे में जलजीव संवर्धन तकनीकी का विकास किया गया है। इसका सफलतापूर्वक प्रयोग कोबिया और सिल्वर पोम्पानो प्रजातियों के संवर्धन में कई स्थानों पर किया जा रहा है। तटवर्ती क्षेत्रों में इनके झुंड बैंक और हैचरी सुविधाओं की बड़े पैमाने पर आवश्यकता है ताकि स्थानीय मछुआरे इनका लाभ उठाते हुए पिंजरे में कोबिया और सिल्वर पम्पानों का उत्पादन कर देश के मत्स्य उत्पादन में बढ़ोतरी करने में महत्वपूर्ण योगदान दे सकें। नेशनल फिशरीज डेवलपमेंट बोर्ड द्वारा संस्थान के इस प्रस्ताव पर विचार किया जा रहा है ताकि समुद्री तटवर्ती राज्यों में पिंजरे में मत्स्य संवर्धन को बड़े पैमाने पर प्रोत्साहन दिया जा सके। इस तकनीक की समी और अंतः स्थलीय मत्स्य पालनदोनों ही तरह के क्षेत्र में आने वाले समय में उपयोग बढ़ने की पूरी संभावनाएं है।\

नील क्रांति मिशन

भारत सरकार द्वारा मात्स्यिकी और जलजीव पालन के महत्व को समझते हुए पहले से चल रही इनसे जुड़ी विभिन्न योजनओं और कार्यक्रम हुए नीलक्रांति मिशन के अंतरगर्त शामिल किया गया है। इसमें नेशनल फिशरीज डेवलोपमेन्ट बोर्ड के कार्यकलापों के अतिरिक्त अतः स्थलीय मात्स्यिकी एंव जलजीव पालन , समुंद्री मात्स्यिकीइंफ्रास्ट्रक्चर तथा पोस्ट हार्वेस्ट ऑपरेशंस मात्स्यिकी क्षेत्र के डाटाबेस तथा जीआईएस का समुचित विकासमात्स्यिकी से जुड़े संस्थानों के बीच आपसी तालमेलमछुआरों के कल्याण हेतु राष्ट्रीय योजना आदि को भी सम्मिलित किया गया है। इसका उद्देश्य मात्स्यिकी के माध्यम से लोगों की पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए मत्स्य कृषकों की आय को दोगुना करने के लक्ष्य की प्राप्ति भी है। वर्ष 2017 में लोकसभा में एक प्रश्न के उत्तर में तत्कालीन केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्यमंत्री श्री सुदर्शन भगत द्वारा बताया गया था कि उनके विभाग द्वारा आगामी 5 वर्षों की अवधि के लिए नेशनल फिशरीज एक्शन प्लान 2020 तैयार किया गया है। इसके तहत मत्स्य उत्पादन और उत्पादकता को बढ़ाते हुए नीलक्रांति मिशन की अवधारणा को साकार किया जाएगा। नीलक्रांति मिशन के अंतर्गत वर्ष 2020 तक का लक्ष्य .1.5 करोड़ टन मत्स्य उत्पादन 8 प्रतिशत वृद्धि दर से हासिल करना निर्धारित किया गया है।

UPSC सामान्य अध्ययन प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा (Combo) Study Kit 2018

Model Questions for UPSC PRE यूपीएससी आईएएस (प्री) सीसैट CSAT (Hindi) Set-72

Model Questions for UPSC PRE यूपीएससी आईएएस (प्री) सीसैट CSAT (Hindi) Set-72

1. 20 व्यक्ति एक चौकोर टेबल के चारो ओर बैठे हुए है। इस बात की क्या प्रायिकता है कि 10 विशेष व्यक्ति एक साथ बैठेगें?

Model Questions for UPSC PRE यूपीएससी आईएएस (प्री) सीसैट CSAT (Hindi) Set-70

Model Questions for UPSC PRE यूपीएससी आईएएस (प्री) सीसैट CSAT (Hindi) Set-70

निर्देश: नीचे दिए गए प्रत्येक प्रश्न में दो कथन है जिसके साथ दो (1

(The Gist of Kurukshetra) ऑपरेशन ग्रीन से सुधरेगी कृषि की तस्वीर [April-2018]


(The Gist of Kurukshetra) ऑपरेशन ग्रीन से सुधरेगी कृषि की तस्वीर [April-2018]


ऑपरेशन ग्रीन से सुधरेगी कृषि की तस्वीर

देश में ऑप्रेशन फ्लड (श्वेतक्रांति) की अभूतपूर्व सफलता के बाद सरकार ने ऑप्रेशन ग्रीन शुरू करने की घोसणा की है।इसमें टमाटरप्याज और आलू जैसी फसलों को उसकी खेती से लेकर रसोईघर तक की आपूर्ति श्रृंखला को संयोजित करना है। इस पूरी श्रृंखला को मजबूत बनाने के लिए सरकार ने आम बजट में बजटीय प्रावधान किया है। इसमें कृषि मंत्रालय के साथ खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय की भूमिका भी अहम होगी। रसोईघर की प्रमुख सब्जियों में शुमार इन कृषि उत्पादों की खेती आमतौर पर देश के छोटे एवं मझोले स्तर के किसान ज्यादा करते हैं। यही वजह है कि पैदावार अधिक हुई तो मूल्य घट जाने से उनकी लागत मिलने के भी लाले पड़ जाते हैं। इसके विपरीत इन जिंसों की पैदावार घटी तो पूरे देश में हायतौबा मचना आम हो गया है। राजनैतिक तौर पर यह बेहद संवेदनशील मुद्दा बन जाता है। ऑपरेशन ग्रीन के तहत इसमें एक तरफ किसानों को इनकी खेती के लिए प्रोत्साहित करना है तो दूसरी तरफ उपभोक्ताओं को उचित मूल्य पर इन जिंसों की सालभर उपलब्धता बनाए रखने की चुनौती से निपटना है। इन्हीं दोहरी बाधाओं से निपटने के लिए सरकार ने ऑपरेशन ग्रीन की शुरुआत कर दी है। आगामी वित्तवर्ष में इस दिशा में कार्य तेजी भी पकड़ सकता है। इसके चलते किसानों की आमदनी को दोगुना ने सरकार की मंशा को पूरा करने में भी मदद मिलेगी ।

केंद्रीय वित्तमंत्री श्री अरुण जेटली ने वित्तवर्ष 2018-19 के आम बजट में इस समस्या का निदान ढूंढ़ा और उसके लिए ऑपरेशन ग्रीन की घोषणा की है। इसके लिए आम बजट में 500 करोड़ रुपये की प्रारंभिक धनराशि भी आवंटित कर दी गई है। इस धनराशि से कोल्ड चेनकोल्ड स्टोरेज, अन्य लॉजिस्टिक और सबसे अधिक जोर खाद्य प्रसंस्करण पर दिया जाएगा। प्रधानमंत्री कृषि संपदा योजना इसमें बेहद मुफीद साबित होगी। इसके तहत देशभर में आलूप्याज और टमाटर उत्पादक क्षेत्रों में क्लस्टर आधारित पूरी श्रृंखला विकसित की जाएगी, ताकि किसानों के उत्पादों के बाजार में आने के वक्त कीमतें न घटने पाएं और समय रहते उनका भंडारण उचित माध्यमों से किया जा सके। ऑपरेशन ग्रीन के तहत इन प्रमुख सब्जियों की खेती वाले राज्यों के क्षेत्रों को चिन्हित कर वहां इन बुनियादी ढांचे का निर्माण किया जाएगा। जरूरत पड़ने पर संबंधित मंडी कानून में संशोधन भी किया जा सकता है ताकि सीधे किसानों के खेतों से ही उत्पाद को बड़ी उपभोक्ता कंपनियां और प्रसंस्करण करने वाले खरीद सकते हैं। कांट्रैक्ट फार्मिग (खेती) की सुविधा बहाल की जाएगी। इससे इन संवेदनशील सब्जियों की उपलब्धता पूरे समय एक जैसी रह सकती हैं। किसानों को उनकी उपज का जहां उचित मूल्य मिलेगा वहीं उपभोक्ताओं को महंगाई से निजात मिलेगी। किप्रनों की आमदनी को दोगना करने में सहूलियत मिलेगी ।

(The Gist of Kurukshetra) लाभकारी किसानी की दिशा में नई पहल [April-2018]


(The Gist of Kurukshetra) लाभकारी किसानी की दिशा में नई पहला [April-2018]


लाभकारी किसानी की दिशा में नई पहल

    संसद के बजट सत्र के दौरान एक सवाल के लिखित जवाब में कृषि एंव किसान कल्याण राजयमंत्री श्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने जानकारी दी कि एक सर्वे के मुताबिक हर चार में से एक किसान पैदावार की कम कीमत को लेकर परेशान है और ये हाल किसी एक इलाके या क्षेत्र का नहींबल्कि पूरे देश का है। सेंटर फॉर स्टडी एंड डेवलपिंग सोसायटिज के मूड ऑफ द नेशन 2018 सर्वे में किसान की परेशानी की जिन वजहों देखें सूची संख्या 1) का जिक्र किया गया, उनमें फसल की वाजिब कीमत के बाद सिंचाई सुविधाओं का अभाव, फसल बर्बाद हो जाना, सरकार की नजरअंदाजी, कच्चे माल की ऊंची लागत वगैरह शामिल हैं। जहां देश की करीब दो तिहाई से ज्यादा आबादी कृषि पर निर्भर है, वहां पर ऐसी परेशानियों का सामने आना सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती खड़ा करता है। ऐसे में ये सवाल उठता है कि इन चुनौतियों से निबटने के लिए सरकार क्या कर रही है? क्या कृषि व संबद्ध क्षेत्रों से जुड़ी योजनाएं इस चुनौती से निबटने में सक्षम हैं या नहीं? इन सारे सवालों के केंद्रबिंदु में है किसानों को उनकी फसल के लिए लाभकारी कीमत प्रदान करना। ये कैसे होगा?

इसके लिए एक विशेष लक्ष्य पर काम किया जा रहा है। आइये देंखे की ये विशेष लक्ष्य क्या है , उसे हासिल केने के लिए किन योजनाओ पर काम चल रहा है और उन योजनाओ के लिए बजट से कितनी मदद मिल रही है।

किसानो की आमदनी दुगुनी करना

वर्ष 2018 - 19 का आम बजट पेश करने के दौरान वित्तमंत्री श्री अरुण जेटली ने खा था की हम किसानो की आमदनी बढ़ाने पर विशेष जोर दे रहे है। हम कृषि को एक खर्च करके सामान भूमि पर कहि ज्यादा उपज सुनिश्चित क्र सके और उसके साथ ही अपनी उपज की बेहतर कीमते भी प्राप्त कर सके।
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी पहले ही कह चुके है की देश की 75 वी वर्षगांठ यानि 2022 तक किसानो की आमदनी को दुगुनी करने का लक्ष्य है। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए आधारभूत सिद्धांत उत्पादन की लागत से कम से कम 50 प्रतिशत अधिक यानि लागत से डेढ़ गुना दाम दिलाना है। वर्ष 2017-18 की रबी फसलों के लिए अधिकांश घोषित फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य यानि एमएसपी लागत से कम से डेढ़ गुना ज्यादा पहले ही तय किया जाता जा चूका है।

UPSC सामान्य अध्ययन प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा (Combo) Study Kit 2018

(The Gist of Kurukshetra) पशुधन : किसानो का चलता - फिरता बिमा [April-2018]


(The Gist of Kurukshetra) पशुधन : किसानो का चलता - फिरता बिमा [April-2018]


पशुधन : किसानो का चलता - फिरता बिमा

कृषि एंव पशुपालन का भारीतय अर्थव्यवस्था में विशेष महत्व है। करीब 70 प्रतिशत आबादी अपनी जीविका के लिए इसी व्यवसाय पर निर्भर है। कुल जीडीपी में पशुधन की हिस्सेदारी करीब 4 फीसदी है। उन्नीसवीं पशुगणना (2012) के अनुसार भारत में कुल 512 करोड़ पशु हैं जोकि विश्व के कुल पशुओं का लगभग 20 प्रतिशत हैं। इस पशुधन में क्रमशः गायभैंसबकरीभेड़सुअर और मुर्गी की संख्या करोड़ में) 1991, 10,53,14.55, 7.61, 1.11 और 68.88 है। सन् 1998 से लगातार भारत दूध उत्पादन में विश्व में अपना पहला स्थान बनाए हुए है। वर्ष 2016-17 में भारत का दूध उत्पादन 16374 करोड़ टन रहा। विश्व की कुल गायों की आबादी की 15 प्रतिशत भारत में है हालांकि मैंसें 55 प्रतिशत हैं। विश्व में भारत भैंसों की संख्या में पहला, बकरियों में दूसराभेड़ में तीसरा और कुक्कुट में सातवें स्थान पर है। व्यावसायिक-स्तर पर चिकनमीट और अंडों की उपलब्धता के लिए मुर्गी और बत्तख पालन ही कुक्कुट पालन है। दूध उत्पादन के साथ ही भारत अंडा उत्पादन में तीसरे यलर उत्पादन में चौथे स्थान पर अपनी बढ़त बनाए हुए है। पिछले कुछ वर्षो के केन्दीय बजट में कृषि मद के लिए खर्च में वृद्धि की गई , लेकिन फिर भी जमीनी हकीकत में ज्यादा बदलाव नहीं हुआ है। वर्ष 2017-18 की क्रमशः प्रथम तिमाही और तृतीय तिमाही में कृषि का योगदान 4,493.13 और 3,245.21 अरब रुपये रहा है। वर्ष 2016-17 में क्रमशः उन्नत नस्ल गायदेसी गायभैंस और बकरी का प्रतिदिन उत्पादन किलोग्राम में) 752, 283, 5.25 और 0.46 रहा है। पशुधन क्षेत्र में 60 प्रतिशत से अधिक योगदान अकेले दूध और दूध उत्पादों का है। प्रति व्यक्ति दूध की उपलब्धता 2013-14 के 307 ग्राम प्रतिदिन से बढ़कर 2016-17 में 352 ग्राम प्रतिदिन पहुंच गई है। भारत में मुख्यतः 2016-17 में अधिक दूध उत्पादन उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात और आंध्र प्रदेश में दर्ज किया गया।

बकरी गरीब आदमी की गाय मानी जाती है। मानव पोषण में विशेष योगदान है। बकरी के दूध में आयरन, कैल्शियम फॉस्फोरस, मैग्निशियम और सिलिनियम अधिक मात्रा में उपलब्ध होता है इसीलिए इसका प्रयोग फेफड़े के घावों, गले की पीड़ा को दूर करने, खून में प्लेटलेट्स की संख्या बढ़ाने के लिए किया जाता है। बकरी के मांस में 19-21 प्रतिशत प्रोटीन, 3-.5 प्रतिशत वसा पाई जाती है जो हृदय व मोटे लोगों के लिए लाभदायक है। कुक्कुट पालन से पौष्टिक खाद्य मीट और अण्डे के साथ ही कई बेरोजगारों को आय का साधन मिल जाता है। वर्ष 2016-17 में भारत में 881 बिलियन अंडों का उत्पादन हुआ। इस समय देश में अंडों की प्रति व्यक्ति उपलब्धता 69 अंडे है। वर्ष 2016-17 में सबसे ज्यादा अंडा उत्पादन आमतौर पर तमिलनाडुआंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल और हरियाणा में पाया गया ।

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Model Questions for UPSC PRE यूपीएससी आईएएस (प्री) सीसैट CSAT (Hindi) Set-69

Model Questions for UPSC PRE यूपीएससी आईएएस (प्री) सीसैट CSAT (Hindi) Set-69

निर्देशः नीचे दिए गए प्रत्येक प्रश्न में दो कथन है जिसके साथ दो (1 एवं2) निष्कर्ष भी दिए गए है। आपको उन दो कथनों को सत्य मानकर चलना है यद्यपि के वे सामान्य ज्ञात जानकारी के इतर हो सकते है। निष्कर्षों को पढ़ते हुए यह निर्धारित कीजिए कि कौन सा निष्कर्ष दिए गए कथन का तर्कतः पालन करता है चाहे वह सामान्य ज्ञात तथ्य से उतर हो

उत्तर

(a) यदि केवल निष्कर्ष 1 तर्कतः सही है।
(b) यदि केवल 2 तर्कतः सही है।
(C) न तो 1 सही है न तो 2
(d) यदि दोनो सही है

1. कथनः एक कैलेण्डर वर्ष में अन्तर्राष्ट्रीय एकदिवसीय क्रिकेट मैच की संस्था सुनिश्चित की जानी चाहिए

तर्क

1. नहीं, प्रत्येक देश को यह स्वतंत्रता होनी चाहिए कि वह जितने मैच चाहे उतने मैच खेले
2. हाँ, नही तो उच्च स्तर के खिलाड़ी बहुत जल्द ही थक जाएगे।

2. कथनः क्या भारत में क्रूए को कानूनी रूप से वैध कर दिया जाए

तर्क

1. हा, इससे सरकार इस पर टैक्स लगा कर बड़ी मात्रा में पैसा कमा सकती है।
2. नहीं, इससे गरीब परिवार के लोग अपनी सारी कमाई को में लगा देगे और बर्बादी के कगार पर आ जाएगे

3. कथनः क्या किशोरो को इंटरनेट देखने से प्रतिबंधित कर देना

तर्क

1. हाँ, बहुत से बच्चे विशेषकर किशोर इंटरनेट पर अश्लील सामग्री पढ़ते है।
2. नहीं किशोरों को इंटरनेट से प्रतिबंधित करने का अर्थ होगा। बहुत सी उपयोगी व सार्थक सामग्री को उनकी पहुंच से दूर रखना

4. कथनः क्या वयस्को की फिल्मों का टेलीविजन में टेलीकास्ट होना पूरी तरह बंद होना चाहिए

तर्क

1. हाँ, इस तरह की फिल्मे बच्चों पर गलत असर डालती है और बच्चो की प्राथमिकता को सर्वोच्च स्तर रखना चाहिए
2. नहीं उनके सामान्यतः उस समय टेलीकास्ट करना चाहिए जब बच्चे घर से बाहर हो या सो गए हो

5. कथनः क्या हमारे देश में कुछ अवसरों को छोड़कर पटाखे जलाना पूरी तरह प्रतिबंधित होना चाहिए

तर्क

1. नहींलोगो को अपनी रूचि एवं वरीयता के आधार पर सारे अवसरों पर खुशी मनाने देना चाहिए
2. हाँ, पटाखे जलाने से ध्वनि और वायु प्रदूषण होता है जो कि स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है
 

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Model Questions for UPSC PRE यूपीएससी आईएएस (प्री) सीसैट CSAT (Hindi) Set-68

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निर्देशः नीचे दिए गए प्रत्येक प्रश्न में दो कथन है जिसके साथ दो (1 एवं2) निष्कर्ष भी दिए गए है। आपको उन दो कथनों को सत्य मानकर चलना है यद्यपि के वे सामान्य ज्ञात जानकारी के इतर हो सकते है। निष्कर्षों को पढ़ते हुए यह निर्धारित कीजिए कि कौन सा निष्कर्ष दिए गए कथन का तर्कतः पालन करता है चाहे वह सामान्य ज्ञात तथ्य से उतर हो

उत्तर

(a) यदि केवल निष्कर्ष 1 तर्कतः सही है।
(b) यदि केवल 2 तर्कतः सही है।
(C) न तो 1 सही है न तो 2
(d) यदि दोनो सही है

1.

कथन : सभी कार बिल्लिया है।सभी पंखे बिल्लिया है

निष्कर्षः

1. सभी कार बिल्लिया है।
2. सभी पंखे बिल्लिया है

2. कथन : सारे कप किताब है।सारी किताबे कमीज है

निष्कर्षः

1. कुछ कप कमीज नहीं है।
2. कुछ कमीज कप है।

3. कथन : कुछ पेपर पेन है। सारे पेन्सिल है।

निष्कर्षः

1. सारी बासुरी वाद्ययंत्र है।
2. कुछ पेन पेपर है

4. कथन : सारे हारमोनियम वाद्य यंत्र है सारे वाद्ययंत्र बांसुरी है।

निष्कर्षः 1. सारी बासुरी वाद्ययंत्र है।

5. कथनः क्या घरेलू सामान बेचने वाली भारतीय शहरो की सभी छोटी दुकानो को बंद कर देना चाहिए

तर्क :

1. नहींइससे सारे छोटे दुकानदार रोजगार विहीन हो जाएगे और उन्हे खर्चा करने का कोई अन्य साधन नहीं रहेगा।
2. हाँ, लोग बड़े शहरो में एक छत नीचे सारी खरीददारी करना पसंद करते है इसलिए इन छोटी दुकानो को इतने ग्राहक भी नहीं मिलते है जिससे कि ये बची रही

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